फिरोजाबाद। जय भोले सेवा समिति के तत्वाधान में गोपाल आश्रम में चल रही शिवमहापुराण कथा में कथा व्यास शिवदास राघवाचार्य ने शिव की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि मंदिर या ध्यानी यानी से प्राप्त माला को फेंकना नहींे चाहिए। सदैव प्रसादी के रूप में अपने मस्तक से लगानी चाहिए। जब भी कही से माला प्राप्त हो, तो माला को सुखा लेना है। सोमवार को घर के प्रत्येक सदस्य के साथ बैठकर लाल वस्त्र पर उस माला के पुष्पों को हाथों के बीच में रख चूरा बना लेना है और एक पोटली बना छोड़े चूरा को मंदिर में रख देना है। बाकी बचे चूरा शाम को प्रदोष काल में पूरे घर में डालना है। प्रातः झाडू से चूरा घर से बाहर कर देना है तथा बचें घागें में 16 गॉठ बनाकर अपने मुख्य द्वार के पीछे टॉग दें, इससे कोई बाधा बुरी ऊर्जा पूजा घर में प्रवेश नहीं करेंगी। नौ दुर्गे या देवी की पूजा करें, तो पूजा में भोलेनाथ की प्रतिमा अवश्य रखे। इससे जगदम्बा की कृपा सदा के लिए बनी रहती है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि देवोत्थान एकादशी के अवसर पर शिवमहापुराण कथा में 12 सौभाग्यशाली कन्याओ का विवाह करवाया जायेगा। शिवकथा में विजय कुमार गुप्ता, हेमलता गुप्ता, राहुल, प्रियंका, पूजा, रजत गुप्ता, सुरेश चंद्र शर्मा, ब्रजेश कुमार अग्रवाल, आलोक अग्रवाल, अंकिता भारद्वाज, रिषभ गर्ग, गोविंद गर्ग, कपिल बंसल, विपेंद्र गुप्ता, ऋषि शर्मा, सागर शर्मा आदि मौजूद रहे।
Home » मुख्य समाचार » मंदिर में प्राप्त माला को प्रसादी के रूप में अपने मस्तक पर लगाना चाहिएः शिवदास राघवाचार्य