Saturday, March 29, 2025
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महर्षि दयानन्द सरस्वती की जयंती पर वक्ताओं ने उनके जीवन पर रखें विचार

फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। सिरसागंज में करहल रोड स्थित आर्य गुरूकुल महाविद्यालय में महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जयन्ती के अवसर पर 16 से 18 नवंबर तक आर्य धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। आर्य धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन यानि रविवार को मंचासीन विद्वत्वजनों ने स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन पर अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा कि व्यक्ति बड़ा नहीं होता उसका भाव, उसका संकल्प बड़ा होता है। इस आयोजन में मंत्री जी ने जो भाव प्रदर्शित किया है, वह उनकी विराट सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्र और सनातन के लिए समर्पित रहूंगा। स्वामी दयानंद सरस्वती में शिव की भांति विषपान करने की क्षमता, राम की मर्यादा और कृष्ण की दूरदर्शिता का समिश्रण था। भारतीय समाज को जात-पात और ऊंच-नीच के जहर से बाहर निकालकर ज्ञान के दीप को प्रज्वलित करने का कार्य किया। इस रूप में उनका योगदान अमूल्य है। साथ ही कहा कि 90 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानी ऐसे थे जो दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित थे। आज भारत को जात-पात अगडा पिछड़ा के नाम पर विभाजित करने का जो षड्यंत्र रचा जा रहा है, उसे समाप्त करने की आवश्यकता है। आर्य समाज, सनातन संस्कृति की सबसे सशक्त इकाई है। सनातन एवं समाज को जागृत करने हेतु हम सभी को आर्य समाज के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। कैबिनेट मंत्री ठा. जयवीर सिंह ने कहा कि हम सभी का उद्देश्य है सामाजिक समरसता को बनाना और अपने देश को वहीं गौरवशाली मुकाम दिलाना। जिसके बल पर भारत विश्व गुरु कहलाता था, आप सभी को अपने हित से बढ़कर देश हित को समझना होगा, तभी हम 2047 तक इस विकसित भारत के सपने को पूरा कर सकेंगे। मंत्री जी ने आचार्य प्रमोद कृष्णन को पुष्प गुच्छ एवं स्मरण पत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही कन्या गुरुकुल हाथरस की बालिकाओं द्वारा स्वागत गायन भी किया गया। 2000 बालिकाओं ने एक साथ मुख्य अतिथि आचार्य प्रमोद कृष्णन एवं मंत्री जी के सामने अपने कौशल का प्रदर्शन किया। वहीं संदीप आर्य गिल ने अपने साथियों अंकुर आर्य और मुकेश राणा के साथ मिलकर स्वामी दयानंद सरस्वती पर गीत गाकर श्रोताओं को ओत-प्रोत कर दिया। इस दौरान मंच पर देवेंद्र पाल वर्मा, रवि शास्त्री कुशल देव आदि आचार्यगण उपस्थित रहे।