Friday, April 26, 2024
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टी0बी0 एवं जापानी इन्सेफेलाइटिस के क्षेत्र में शोध कार्य प्राथमिक स्तर पर पहचान एवं निदान के उपायों की खोज करेंः मुख्य सचिव

लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने सी0बी0एम0आर0 के वैज्ञानिकों से कहा कि प्रदेश वासियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये विभिन्न प्रचलित बीमारियों यथा ट्यूबरकोलोसिस (टी0बी0) एवं जापानी इन्सेफेलाइटिस (जे0ई0) आदि के क्षेत्र में शोध कार्य प्राथमिक स्तर पर पहचान एवं उनमें निदान के उपायों की खोज करें। उन्होंने केन्द्र द्वारा अल्जाइमर, पार्किन्सन, कैन्सर, आर्थराइटिस एवं क्रोनिक लिवर फेल्योर एवं अन्य जटिल रोगों पर किये गये अनुसंधानिक कार्यों एवं मिली उपलब्धियों की सराहना भी की।
मुख्य सचिव शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में सेन्टर आॅफ बायोमेेडिकल रिसर्च, लखनऊ (सी0बी0एम0आर0) की शासी-निकाय की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। सी0बी0एम0आर0 लखनऊ द्वारा सेन्टर की शोध परियोजनाओं यथा- डिजीज डायग्नोसिस एवं मैकेनिज्म, मोलिक्यूलर सेन्थेसिस, ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में किये जा रहे कार्य एवं उपलब्धियों पर प्रस्तुतिकरण दिया गया।
बैठक में बताया गया कि यह सेन्टर राज्य स्तर एवं संभवतः राष्ट्रीय स्तर पर अपने आप में एक इकलौता सेन्टर है, जिसका शोध कार्य निदान एवं पद्धतियों (डायगनोसिस एवं थेरेपी) पर आधारित है। वर्तमान में इस सेन्टर की तीन यूनिटें है क्रमशः माॅलीक्यूलर डायग्नोस्टिक एवं फेनोम रिसर्च माॅलीक्यूलर सेन्थेसिस एवं ड्रग डिस्कवरी, ट्रान्सलेसनल एवं सेल बायोलाॅजी कार्यरत है।
निदान एवं फेनोम रिसर्च यूनिट द्वारा मेनिन्जाइटिस, यूरोसिपिसिस, आॅस्टियोपोरोसिस, अटेंश्न डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिसआॅर्डर, ताकायसु आर्टराइटिस और क्रोनिक लिवर फेल्योर के क्षेत्र में एन0एम0आर0 (न्यूक्लीयर मैग्नेटिक रेजोनेन्स), एम0आर0आई0 के उपयोग के द्वारा गैर-इनवेसिव डायग्नोस्टिक पद्धति विकसित करने पर केन्द्रित है। ताकायसु आर्थराइटिस और क्रोनिक लिवर फेल्योर के क्षेत्र में अनुसंधान नैदानिक उपयोगिता के स्तर पर अग्रसर है।
माॅलीक्यूलर सिन्थेसिस एवं ड्रग डिस्कवरी यूनिट कैंसर, न्यूरोजाॅजिकल डिस्आॅर्डर आदि के लिये नई रासायनिक संरचनाओं की खोज करने पर केंद्रित है। इन क्षेत्रों में गहन शोध गतिविधियों के कारण एक नए रासायनिक इकाई को प्राकृतिक उत्पादों के आधार पर विकसित किया गया है जो एक प्रबल एंटी-अल्जाइमर एजेन्ट है और सी0डी0आर0आई0, लखनऊ के सहयोग से पेटेंट कराया गया है। इस यूनिट के द्वारा पर्किन्सन रोग से सम्बन्धित एक उन्नत माॅलीक्यूल विकसित किया गया है। विभिन्न प्रकार के कैंसर चिकित्सा के लिए प्राकृतिक उत्पादों पर आधारित कई प्रमुख माॅलीक्यूल का विकास प्रगति पर है।
ट्रान्सलेशनल एवं सेल बायोलाॅजी यूनिट, जो कि एक नई यूनिट है, द्वारा कैंसर कीमोथेरेपी के कारण होने वाली जटिलताओं के कारण उत्पन्न होने वाले कार्डियक डिसफंक्शन की पहचान की गई है।
उल्लेखनीय है कि सी0बी0एम0आर0, चिकित्सा शिक्षा विभाग, उ0प्र शासन के अन्तर्गत संचालित एक स्वायत्तशासी केन्द्र है। इस सेन्टर की स्थापना सन् 2001 में सेन्टर आॅफ बायोमेडिकल मैग्नेटिक रेजोनेन्स के रूप में की गई थी। इस सेन्टर के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2006 में इस सेन्टर को एक स्वायत्तश्शासी केन्द्र के रूप में स्थापित किया गया। इस सेन्टर द्वारा जैव चिकित्सीय शोध के क्षेत्र में वृहद स्तर पर किये जा रहे अनुसंधान को देखते हुए वर्ष 2013 में इसका नाम सेन्टर आॅफ बायोमेडिकल, रिसर्च कर दिया गया।
बैठक में प्रमुख सचिव वित्त संजीव मित्तल, विशिष्ट वैज्ञानिक प्रो0 गोवर्धन मेहता, पूर्व निदेशक, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैगलोर ने उपाध्यक्ष के रूप में, कुलपति के0जी0एम0यू0 प्रो0 मदन लाल ब्रम्ह भट्ट, विशिष्ट आचार्य भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर प्रो0 एस0 चन्द्रसेकरन, निदेशक आई0आई0एस0ई0आर0 भोपाल प्रो0 विनोद कुमार सिंह, निदेशक सी0डी0आर0आई0 लखनऊ डा0 मधु दीक्षित, अध्यक्ष पैनेसिया बायोटेक चण्डीगढ़ डा0 संजय त्रेहन, निदेशक सी0बी0एम0आर0 लखनऊ प्रो0 गणेश पाण्डेय उपस्थित थे।