रायबरेली। एक तरफ जिलाधिकारी हर्षिता माथुर रायबरेली को रमणीय बनाने की दिशा में अथक प्रयास करके जिले भर में अभियान चला रही हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री के निर्देश पर शहर से लेकर गांव तक स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। परन्तु इस अभियान को जिले के सदर क्षेत्र के ब्लॉक अमावां के ग्राम सरावां में मुंह चिढ़ाया जा रहा है। यहां नियुक्त सफाई कर्मी लगभग एक वर्ष से नदारद हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में सफाई अभियान के दौरान लोगों को जागरूक किया गया लेकिन लोगों में जागरूकता नहीं दिख रही। ग्रामीणों ने कहा कि जनप्रतिनिधि व अधिकारी-कर्मचारियों के जोर-शोर से चलाए गए अभियान की हकीकत जगह-जगह फैली गंदगी बयां कर रही है। अधिकारी-कर्मचारी अभियान के जरिए सिर्फ फोटो खिंचवाकर खानापूर्ति कर लेते हैं, उसके बाद पलट कर इस ओर नहीं देखते। विजय सिंह, चंद्रसेन, लालू शुक्ला, नेपाल सिंह, मंशा राम चौधरी, धीरेंद्र पटेल ने बताया कि लगभग एक साल से सफाई कर्मचारी गांव की ओर दिखाई नहीं दिए, जिससे गांव में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है। गांव की नालियों की सफाई लगभग छः महीने से नहीं हो पाई जिससे बीमारियां बढ़ रही है। गंदा पानी जमा होने से मच्छरों का प्रजनन बढ़ता है, जिससे संचारी रोग, डेंगू, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा पैदा हो गया है। नालियों की सफाई न होने से बारिश का पानी भी जमा हो जाता है, जिससे सड़कें, खड़ंजे और मोहल्ले जलमग्न हो जाते हैं, जिसकी शिकायत ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि वीरेंद्र कुमार से कई बार की गई तो यही बता देते कि यहां पर कोई सफाई कर्मचारी नियुक्त नहीं है और इसके बारे में ब्लॉक के अधिकारियों से ही पूछे मैं कुछ नहीं बता सकता। लगभग यह सिलसिला एक साल से चल रहा है ब्लॉक में बैठे अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।