Saturday, April 27, 2024
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शौचालय निर्माण में दिख रहा भ्रष्टाचार का बोलबाला

डेरापुर विकास खण्ड के मझगवां ग्राम पंचायत के मिर्जापुर खुर्द गांव में बनाये गए शौचालय का नजारा जिसे देखकर ही साबित हो रहा है कि मानचित्र के मुताबिक नहीं बनाया गया शौचालय

⇒शौचालय निर्माण के मानकों में हुई है जमकर धांधली
⇒शिकायतों के निस्तारण में गुमराह कर रहे जिले के अधिकारी
⇒ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारियों ने जमकर करवाई धांधली
कानपुर देहात, पंकज कुमार सिंह। जिले के रसूलाबाद विकास खण्ड व डेरापुर क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण करवाया गया और निर्माण में मानकों के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया। ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान ने मिली भगत कर अपनी अपनी जेब भर ली। साथ ही यह भी आशंका है कि जिले के आलाधिकारी भी जेब भर रहे हैं तभी तो वे शिकायतों का निस्तारण हवा हवाई करने में अपने अपनी बाजीगरी कर रहे हैं।
मामला डेरापुर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत मझगवां का है। यहां ग्राम मिर्जापुर खुर्द में शौचालय बनवाने में मानकों को ताक पर रखा गया। जब भ्रष्टाचार सम्बन्धी शिकायत की गई तो ग्राम विकास अधिकारी श्री रवि कुमार शुक्ला ने अपनी कलम की बाजीगरी दिखाई और खुद को व ग्राम प्रधान राजेलाल पाल को बचा लिया। खास बात यह भी सामने आई कि ग्राम विकास अधिकारी की ही रिपोर्ट को जिला पंचायत राजअधिकारी व जिला अधिकारी ने भी तरजीह दी, वहीं जिला पंचायत राज अधिकारी ने हर कदम पर ग्राम विकास अधिकारी का साथ दिया। ऐसा ही मामला रसूलाबाद क्षेत्र का है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ शौचालय’ योजना में भ्रष्टाचार की अमरवेल ने खूब रंग दिखाया है। इस क्षेत्र में भी ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी की जेब भरने का एक अच्छा माध्यम ‘स्वच्छ शौचालय योजना’ बनती दिख रही है। इस योजना के तहत बनाये गए शौचालयों में मानकों के साथ पूरी निर्भीकता के साथ खूब खिलवाड़ किया गया है और इसमें ग्राम विकास अधिकारी ने भी पूरी सहभागिता करते हुए ऐसे शौचालयों को तैयार करवा कर उपयोग के लिए छोड़ दिए जो भविष्य में देश की जनता को उसी स्थान पर लाकर छोड़ देंगे जिससे बचाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी जी जी-जान से जुटे हैं। कहने का मतलब यह है कि जो शौचालय ग्रामीण क्षेत्र की जनता उपयोग कर रही है उनके दोनों टैंकों में मल प्रवाहित हो रहा है। कुछ वर्षों बाद जब दोनों टैंक एक साथ भर जायेंगे तो ऐसे में या तो शौचालयों का उपयोग बन्द करना पड़ेगा या टैंकों में एकत्र हुए मैले को बिना जैविक खाद के बने ही फेंकने की मजबूरी होगी। जबकि स्वच्छ शौचालय में दो टैंक इसलिए बनाये गए हैं कि पहले एक टैंक का उपयोग हो जब वह भर जाये तो दूसरा टैंक खोल दिया जाये और जब पहले वाले टैंक में एकत्र हुआ मल जैविक खाद का रूप ले ले तो उसे खेतिहर भूमि को उपजाऊ बनाने के काम में लाया जाये। लेकिन जागरूकता की कमी व ग्राम प्रधान की लापरवाही के चलते ग्रामीणों को शौचालय उपयोग की सही जानकारी नहीं दी गई है।
विकास खण्ड रसूलाबाद के ग्राम पंचायत कहिजरी खुर्द के अन्तर्गत आने वाले

कहिंजरी क्षेत्र में बनाये गए शौचालय का नजारा जिसे देखकर ही साबित हो रहा है कि मानचित्र के मुताबिक नहीं बनाया गया शौचालय

गांवों में ग्राम प्रधान ने शौचालय तो बनवाए लेकिन उनके उपयोग के तरीके किसी को नहीं बताये साथ ही शौचालय निर्माण में ग्राम प्रधान ने खूब धांधली करवाई। मानकों के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया। कहिजरी खुर्द निवासी के निवासी राम नरेश सिंह ने सभी शौचालय का सत्यापन कराने को खुला चैलेंज देकर कहा कि एक भी शौचालय मानक के अनुसार नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा सरकारी अधिकारी आये किसी एक शौचालय को तुड़वा ले अगर मानकों के अनुसार पाया जाता है तो उसका पूरा भुगतान करने को तैयार है। गाँव में उनके द्वारा सत्यापन करने पर शौचालय में दरवाजा टूटा पाया गया, ऊपर छत का नही होना, दरवाजे पतली टीन से बने और कई शौचालय में एक गड्ढा ही पाया गया साथ में अन्य कई कमियां पाई गई है। राम नरेश सिंह ने बताया कुछ दिन पहले डीपीआरओ ने सख्त रूख अपनाया था 4 गांवो के सत्यापन के दौरान उपनिदेशक पंचायत ने लापरवाही पकड़ी थी। तभी उन्होंने निर्णय लिया ग्राम पोवा में आवास एवं शौचालय निर्माण की जांच के लिए जिलाधिकारी कानपुर देहात को एक शिकायती पत्र भेज दिया है।