Sunday, May 5, 2024
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नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए शुरू हुई जोर आजमाइश

लालगंज, रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। चुनाव आयोग द्वारा निकाय चुनाव की घोषणा के बाद नामांकन प्रकिया समाप्त हो गयी। ऐसे मे रायबरेली जिले की लालगंज नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव रोचक हो चला है। चार प्रमुख पार्टियो के उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के साथ ही पार्टियों में बगावती नामांकन हो चुके हैं। भाजपा ने के सी गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है। तो कांग्रेस ने अनूप वाजपेयी, सपा ने राम बाबू गुप्ता और बसपा ने असरफ सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष के पति नागेन्द्र गुप्ता, कांग्रेस से टिकट माग रहे दीपेन्द्र गुप्ता, तेज प्रताप सिंह, सपा से पप्पू कौशल और बसपा से रामचन्द्र मिश्रा रामू ने टिकट न मिलने पर बागी होकर नामांकन कर दिया है। सभी पार्टियो का संगठनात्मक सिस्टम बिखरता जा रहा है। एक प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने के बाद कुल 22 प्रत्याशी मैदान में हैं और सभी अपनी जीत के दावे करते नजर आ रहे हैं। चुनाव में सभी प्रत्याशी राजनीतिक ,जातीय,धार्मिक और आर्थिक तरीकों को आजमाने पर रणनीति बना रहे हैं ऐसे में फैसला जनता को करना है कि किसे कुर्सी सौपे। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि अध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी। परंतु नगर में लोगों के बीच हो रही चर्चाओं में भाजपा की ड्रामेबाजी जिसमे के सी गुप्ता को प्रत्याशी बनाकर नागेन्द्र गुप्ता को बाद में प्रत्याशी घोषित करना और फिर के सी गुप्ता को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर देना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भाजपा में संगठन और सत्तासीन लोगों के बीच कैसा संघर्ष चल रहा है। भाजपा विधायक के साथ साये की तरह रहने वाले शिवप्रकाश पांडेय उर्फ बच्चा पाण्डेय के समर्थक उनका टिकट भाजपा से पक्का मानकर चल रहे थे। पूरे नगर में बच्चा पाण्डेय ने अपनी टीम भी खड़ी कर ली थी सभी वार्डों में पदाधिकारियों का चयन भी उनकी ही पसंद से किया गया था विधायक का सबसे खास होने के कारण सभी को अहसास था कि टिकट बच्चा पांडेय को ही मिलेगा पर ऐन मौके पर उनका टिकट कटने स न केवले विधायक की पैरवी पर सवाल खड़े हो गए बल्कि राजनैतिक पंडित भी हैरान रह गए।गुटों में बंटी भाजपा से प्रत्यशी बनाये गए के सी गुप्ता की नैय्या कैसे पर होगी यह तो समय बतायेगा पर भाजपा के बागी नागेन्द्र गुप्ता, निर्लेश सिंह और बच्चा पांडेय के समर्थकों की नाराजगी ने के सी गुप्ता के सामने मुख्य मुकाबले में खड़ा हो पाने का संकट जरूर पैदा कर दिया है। कांग्रेस से पूर्व विधायक अशोक सिंह घोषित प्रत्याशी का समर्थन अगर पूरे मन से करेंगे तो निश्चित कांग्रेस का फायदा होगा। परन्तु अनूप बाजपेई को जिस तरह से 2006 में जनता ने सर आंखों पर बैठकर जिताया था अनूप उस लोकप्रियता को बरकरार नहीं रख पाए। अपने समर्थकों के प्रति बेरुखी और सहयोगियों के उचित मां-सम्मान रख पाने के कारण जानता ने 2012 के नगर पंचायत चुनाव में जनता ने उन्हें धूल-धूसरित कर कहीं का न छोड़ा। इस बार दीपेन्द्र गुप्ता ने कांग्रेस संगठन के लिए काफी मेहनत की थी और टिकट को लेकर आशान्वित भी नजर आ रहे थे मगर बीजेपी और सपा के अलावा चार और उन्हीं की बिरादरी के लोगों के मैदान में आ जाने से जातीय गणित में फिट न बैठने के कारण वह टिकट गंवा बैठे। सपा से पूर्व विधायक ने कुछ दिन पहले सपा में शामिल राम बाबू गुप्ता को टिकट दिलाकर संगठन को नाराज कर दिया है। पुराने सपाई पप्पू कौशल के समर्थन में एक अन्य सपाई सतीश महाजन के साथ आने से पप्पू की ताकत बढ़ी है और वह दावा कर रहे हैं कि असली सपा उन्हीं के साथ है जबकि पूर्व विधायक देवेन्द्र प्रताप सिंह ने सपाइयों की भावनाओं से खेलने का काम किया है जिसका जवाब सपा के सच्चे सिपाही आने वाले चुनावों में देंगे। उधर बसपा से रामू मिश्रा का टिकट तय माना जा रहा था ,परंतु अंतिम समय में असरफ सिद्दीकी को टिकट दे दिया गया। चूँकि निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी अपनी गणित फिट करने में लगे हैं ,इसलिए यह तय है कि चुनाव रोचक होगा। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में तेजप्रताप सिंह और रामचन्द्र मिश्रा को डार्क हॉर्स माना जा रहा है जो अपने प्रदर्शन से सभी को चैंका सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में अक्सर अपने पुत्र और स्वयं विवादों में नाम आने के कारण चर्चा में रहने वाली एक स्कूल संचालिका सरल शुक्ला को मैदान में उतारा है जिनका चुनाव प्रचार अब तक काफी ठंडा रहा है ऐसे में चुनाव में उनसे किसी करिश्मे की उम्मीद बेमानी है।अब यह देखना दिसचस्प होगा कि किस उम्मीदवार की क्या रणनीति होगी और किसकी रणनीति का नगर की जनता पर कितना प्रभाव पड़ेगा।
इस चुनाव में जनता नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी किसे सौंपती है यह तो आने वाले एक दिसंबर की तारीख तय करेगी फिलहाल तो फैसले की राह ही देखी जा सकती है।