रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। योगी राज में भी अधिकारियों के सर से पूर्ववर्ती सरकार का भूत नही उतर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की लाख सख्ती के बावजूद अधिकारी अपनी खाऊ कमाऊ नीति नही छोड़ रहे हैं। पिछली सरकारों में मलाई काट चुके अधिकारी इस बार भी अपनी वही पुरानी रीति चलाकर सरकार को बदनाम करने में लगे हुए हैं। सरकार द्वारा घोषित धान का समर्थन मूल्य किसानों को नही मिल पा रहा है। जिससे किसान अपनी मेहनत से कमाई फसल को अढ़तियों व राइसमिलों पर कम दामों में बेंचने को मजबूर हो रहा है। हर बार की तरह इस बार भी अधिकारी व राइसमिलर की सांठ गांठ के चलते किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। प्रदेष में योगी सरकार बनने के बाद लोगो ने भ्रष्टचार से मुक्त प्रदेष की कल्पना शुरू कर दी थी वहीं मुख्यमंत्री की सख्ती के चलते इसका असर भी दिखना शुरू हो गया था परन्तु पूर्ववर्ती सरकारों में मलाई काट चुके अधिकारी अपनी कारगुजारी व तिकड़म से बाज नही आ रहे हैं। क्षेत्र के किसानों की माने तो नवम्बर माह से शुरू हुई धान की खरीद में आधे माह तक तो धान की खरीद बोरे न होने आदि कारणों से नही की गयी उसके बाद खरीद शुरू भी की गयी तो उन्ही किसानों की तौल की गयी जो अधिकारियों से मैनेज कर रहे थे। क्षेत्र के धान खरीद केन्द्रो की देख रेख के जिम्मेदारी अधिकारी एस एम आई रवि शंकर सिंह की मिली भगत के चलते केन्द्र प्रभारियों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी और केन्द्र प्रभारियों ने मिल मालिकों से सांठ गांठ कर उनकी खरीद को अपने कागजो पर दर्षाकर मोटी कमाई का खेल शुरू कर दिया। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि चाहे कोई भी सरकार हो इन अधिकारियों का यह खेल रूकने वाला नही है। क्योंकि जब भी इन अधिकारियों पर चढ़ाई की जाती है तो यह भी उपर तक के अधिकारियों का रोना रोकर अपनी जान छुड़ा लेते हैं। आखिर सच क्या है यह तो अधिकारी भी जानते है और जनता भी। किसानों का कहना है कि भाजपा सरकार में भी किसानों के हितो पर अधिकारी डाका डाल रहे हैं आखिर कब तक किसानों का शोसण होता रहेगा। क्षेत्र के किसानों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर धान खरीद की जांच सीबाआई से कराने की मांग की है।