Sunday, November 24, 2024
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शहर में निकला बारहा वफात का जलूस

2016-12-12-05-ravijansaamnaसासनी, जन सामना संवाददाता। रबीउल-अव्वल इस्लामी महीनों में तीसरा महीना है। इस मुबारक महीने में हजरत मोहम्मद जमीं पर आए। उस समय खुदा का नाम लेने वाला कोई नहीं था। लोग आपस में लड़ते झगड़ते थे। जुल्म भी बढ़ रहे थे, वक्त को दुनिया में ऐसे शख्स की जरूरत थी जो इंसानियत का पैगाम पूरी दुनिया में फैलाए। लेागों में भाईचारा एकता पैदा कर उनमें मोहब्बत का पैगाम दे। जिससे एक दूसरे का सहारा बनते हुए बेसहाराओं का सहारा बन सके। आखिर खुदा ने लोगों की मदद को हजरत मोहम्मद को दुनिया में भेजा। उन्होंने इंसानियत का रास्ता दिखाया। यह बातें नूरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुहम्मद मजाहिर रजा ने कस्बा के निकाले गये मिलाद-उल-नवी जलूस के दौरान बताईं। उन्होंने बताया कि मोहम्मद साहब की पैदाइश के दिन हर जगह रोशनी हो गई। हालांकि मोहम्मद साहब को दुनिया को खुदा के रास्ते में लाने हेतु काफी विरोध का सामना करना पड़ा। मगर इरादों की जीत हुई।

हजरत अलाउद्दीन हसन शाह बिलाली दरगाह के सज्जादा गद्दी नशीन डा. इरशाद हसन शाह बिलाली ने बताया कि मोहम्मद साहब की पैदाइश के बाद मस्जिद को रोशन मीनार मिल गया, आलिमों को इल्म का खजाना मिल गया। इस्लाम का परचम बुलंद हो गया। इस्लाम का कलमा पढ़ा जाने लगा। उन्होंने अगर लोगों को नमाज पढने का हुक्म दिया तो पहले रात रात भर नमाज पढ़ कर दिखाई। रोजा रखने को कहा तो पहले खुद रोजा रखा। कोई बीमार होता तो वह उसे देखने जाते, और खुदा से दुआ करते। मोहम्मद साहब ने हमेशा सच बोला, मोहम्मद यानी जिसकी तारीफ की गई हो। उनकी तालीम यही थी कि गुस्से पर काबू रखो। 622 ईश्वी में उन्होंने अपने मुरीदों के साथ मक्का से मदीना चले गये। मदीना में उनका इस्तकबाल हुआ। देखते-देखते दुनियां से बुराईयों का इंतकाल हो गया जहां एक बेहतरीन तहजीब वाला समाज बन गया। जिस दिन मोहम्मद साहब पैदा हुए उसी दिन उसी तारीख को उन्होंने पर्दा कर बफात पाई। जलूस दरगाह से शुरु होकर मोहल्ला कस्साबान पहुंचा जहां ईदगाह इंतजामियां कमेटी का जलूस भी शामिल हुआ। यह जलूस रामलीला मैदान मोहल्ला विष्णुपुरी, आगरा अलीगढ़ मार्ग, कोतवाली चैराहा, विजयगढ़ रोड, आशा नगर, ब्राह्मणपुरी, पारस कालोनी, जामुन वाला मोहल्ला होते हुए बड़ी दरगाह जाकर समापन किया गया। इस दौरान मौलाना अब्दुल नसर, मौलाना इरफान बिलाली, दिलशाद अली, मौ. निजाम बिलाली, शम्स टेलर, कमरुद्दीन बृजेश प्रधान, याकूब खां, मो. शान, मुकीस, जाकिर, मास्टर कल्लू हसन, मोहसिन, इकवाल, लतीफ बिलाली, मो. सादिल, जवाहर घोसी आदि मौजूद रहे।