हाथरसः जन सामना संवाददाता। भारत में प्राकृतिक छटाओं के लिए कश्मीर को स्वर्ग कहा जाता है लेकिन इसके अलावा भी कहीं बहुत कुछ और है जो और कहीं नहीं दिखाई देता वह माउण्ट आबू में दिखाई देता है। जैसा सोचकर गये थे उससे दस गुना अच्छा व महसूस हुआ। यह स्थल कलयुुग में जैसे कि स्वर्ग है। कुछ अलग-अलग प्रकार से अभिव्यक्ति माउण्ट आबू से चिकित्सकों की चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन से बारह चिकित्सक एवं उनके परिजनों ने वापिस आने के बाद अलीगढ़ रोड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र पर कल प्रातःकालीन राजयोग सत्र में ब्रहमावत्सों के मध्य की।
डाॅ. रवि नेे कहा कि पहले हम कुछ और ही सोचते थेे लेेकिन माउण्ट आबू में संगठन की व्यवस्था और व्यवहार कुशलता आदि अवर्णनीय है। डाॅ. कुणाल वाष्र्णेय ने कहा कि अब इस जीवन पद्धति को यहां आरम्भ करनेे का प्रयास किया जायेगा। प्र्राणायाम प्रशिक्षक वीरेन्द्र्र शर्मा ने कहा सब कुछ मनुष्य की सोच के ऊपर निर्भर करता है, लगातार अच्छेे सानिध्य से आत्मा में अच्छे संस्कार प्रकट हो ही जाते हैं।
ज्ञात हो कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मेडीकल विंग द्वारा आयुर्वेद, होम्योपैैथ, एलोपैैथी, योग चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा से जुडे़ हुए चिकित्सकों का सम्मेलन माउण्ट आबू की तलहटी में विशाल शान्तिवन परिसर में किया गया था जिसमें सभी विधाओं के लगभग पाॅच हजार विशेषज्ञों ने भाग लिया था।
इससे पूर्व प्रातःकालीन सत्र में बीके शान्ता बहिन ने कहा कि यदि देखना ही है तोे आत्मा समझकर दृष्टा मानकर दिव्य पवित्र दृष्टि से ही देखो। चमडी की आॅंखें चमडी को ही देखेंगी। अहंकार मनुष्य की सभी कला काया चट करकेे उसे अलंकार हीन बना देता है।
इस अवसर पर डाॅ. हर्ष गर्ग, वरिष्ट होम्योपैथिक चिकित्सक डा. सुरेशचन्द्र वाष्र्णेय, उमा बहिन, श्वेता, मोनिका, कैप्टन अहसान सिंह, सीपी शर्मा, दाऊदयाल अग्रवाल, गजेन्द्र सिंह, ओम प्रकाश आदि उपस्थित थे।