Thursday, April 25, 2024
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दक्षिण चीन सागर में तनाव-पंकज के. सिंह

pankaj-k-singhभारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाते हुए सेशेल्स के साथ चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। सेशेल्स को भारत ने अपना विश्वसनीय मित्र और रणनीति साझीदार बताया है। भारतीय प्रधानमंत्री के अनुसार, हिंद महासागर के द्विपक्षीय देशों के साथ मजबूत और स्थाई संबंध भारत की सुरक्षा एवं आर्थिक प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। सेशेल्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का भी समर्थन किया है। भारत द्वारा सेशेल्स के नागरिकों के लिए तीन माह का मुफ्त वीजा और वीजा आॅन एराइवल की घोषणा की गई है। भारत और सेशेल्स के मध्य जल सर्वेक्षण, अक्षय ऊर्जा तथा बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में परस्पर सहयोग को सुनिश्चित किया गया है। दोनों देशों के मध्य नैविगेशन चार्ट और इलेक्ट्रॉनिक नैविगेशन चार्ट का निर्माण किया जाएगा। दोनों देश प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करते हुए अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए ब्लू इकॉनमी की दिशा में पारस्परिक सहयोग को और गति देंगे। इस संदर्भ में दोनों देश संयुक्त कार्यसमूह गठित करने पर भी सहमत हो गए हैं। भारत और आसियान देश दक्षिण चीन सागर में चीन के निरंतर बढ़ते प्रभुत्व के मद्देनजर सशंकित दिखाई पड़ रहे हैं। भारत और आसियान देश समुद्र और साइबर स्पेस समेत अनेक क्षेत्रों में नवीन सुरक्षा ढांचा विकसित करने पर चर्चा करते रहे हैं। भारत हमेशा ही इस बात के लिए प्रयत्नशील रहा है कि उच्च सागर में नौ चालन तथा परिवहन की स्वतंत्रता होनी चाहिए और दक्षिण चीन सागर से जुड़े किसी भी प्रकार के सीमा विवाद का हल पारस्परिक वार्ताओं द्वारा ही निकाला जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर में चीन, वियतनाम और फिलिपिंस समेत अन्य तटवर्ती देशों के मध्य अनेक द्विपीय और सामुद्रिक सीमा संबंधी विवाद निरंतर सामने आते रहते हैं और इनकी वजह से प्रायः तनावपूर्ण स्थितियां बनी रहती हैं। हिंद महासागर के द्वीपीय देशों की यात्रा के दौरान कूटनीतिक कारणों की वजह से भारतीय प्रधानमंत्री ने मालदीव को अपने दौरे में शामिल नहीं किया था। मालदीव ने इस संदर्भ में आधिकारिक रूप से दुख और निराशा व्यक्त की है। उल्लेखनीय है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद को 13 वर्ष की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद भारत समेत विश्व के अनेक देशों ने इस पर चिंता व्यक्त की थी। मालदीव का इस संदर्भ में यही कहना है कि यह सजा एक विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए सुनाई गई है और यह मालदीव का एक नितांत घरेलू मामला है। मालदीव के विदेश मंत्रालय में उपविदेश मंत्री फातिमा इनाया ने भारत की चिंताओं के संदर्भ में कहा कि, ‘‘हम इस संदर्भ में भारत की चिंता समझ सकते हैं। यह स्वाभाविक ही है कि आप अपने पड़ोस में होने वाली घटनाओं के संदर्भ में चिंतित हों।’’ मालदीव ने भारत के साथ आपसी सहयोग और रचनात्मक साझेदारी को जारी रखने के प्रति आग्रह व्यक्त किया है। उल्लेखनीय है कि मालदीव ने काफी प्रयास किया था कि भारतीय प्रधानमंत्री अपनी यात्राओं में मालदीव का कार्यक्रम भी शामिल करें, परंतु भारत द्वारा यही संकेत दिए गए कि अभी इसके लिए उपयुक्त माहौल तैयार नहीं हो सका है। मालदीव आश्वस्त है कि भारत पूर्व में जिस प्रकार मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए उसके साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाता रहा है, आगे भी उसी दिशा में दोनों देश आगे बढ़ते रहेंगे। मालदीव और भारत के बीच लंबे अरसे से आपसी लाभ पर आधारित मजबूत रिश्ते रहे हैं, लेकिन मौजूदा सरकार चीनी से करीबी बढ़ाते हुए इसे चुनौती दे रही है। हिंद महासागर में चीन के हित कोई गुप्त रहस्य नहीं रह गए हैं। हमने देखा है कि हिंद महासागर के छोटे द्वीप देशों- मालदीव और श्रीलंका में चीन किस तरह तेजी से अपना निवेश बढ़ा रहा है। मालदीव शत-प्रतिशत इस्लामी देश है, इसलिए मालदीव में जब अस्थिरता या तानाशाही प्रवृत्तियां बढ़ती हैं, तब वहां जेहादी उग्रवादी इस्लामी गुटों का वर्चस्व बढ़ने लगता है। मालदीव में 2013 के राष्ट्रपति चुनाव के राष्ट्रपति नशीद के शासन के दौरान मालदीव और भारत के रिश्ते सबसे नजदीकी रहे। राष्ट्रपति नशीद ने भारत को मालदीव में रेडार सुविधा स्थापित करने की अनुमति दी। इस पूरे इलाके में शांति और सुरक्षा मजबूत करने के लिए मालदीव और भारत ने तालमेल से काम किया। हम यह देखना चाहते हैं कि भारत हिंद महासागर में अग्रणी ताकत रहे। हमारा यह भी मानना है कि एक मजबूत भारत मालदीव में जो सबसे बड़ी समस्या हम देख रहे हैं, वह है मौजूदा कार्यपालिका यानी यामीन सरकार द्वारा चुनाव आयोग, न्यायिक सेवा आयोग और सुप्रीम कोर्ट की सत्ता को पूरी तरह कमजोर कर दिया गया है। सरकार इन तीनों स्तंभों को कमजोर कर अपनी जड़ें मजबूत करने में लगी है। एक भ्रष्ट न्यायपालिका की वजह से ही राष्ट्रपति नशीद की कुर्सी छीनी गई। मालदीव में आज कानून का शासन नहीं। एमडीपी को इस बात से चिंता है कि जब से राष्ट्रपति यामीन सत्ता में आए हैं, मालदीव में चीनी निवेश काफी बढ़ा है। एमडीपी का मानना है कि चीन का असली इरादा आर्थिक मदद करना नहीं, बल्कि मालदीव में एक सैनिक अड्डा स्थापित करना है।