Monday, May 6, 2024
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शांति प्रिय भारत का अर्थ कमजोर होना नहीं: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति ने विश्व समुदाय से भारत द्वारा प्रस्तावित आतंकवाद विरोधी समझौता को पूरा करने और अपनाने का अनुरोध किया
उपराष्ट्रपति ने भारतीय वायु सेना की कार्रवाई की प्रशंसा की; कहा- पूरा देश खुश है
उपराष्ट्रपति ने इंडिया फाउंडेशन के कौटिल्य फेलो कार्यक्रम को संबोधित किया
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू कहा है कि भारत अपनी शक्ति के साथ शांति और समृद्धि चाहता है और प्रायोजित विघटनकारी मंसूबों का उचित जवाब दिया जाएगा, जैसा कि कल की वायु सेना की सफल कार्रवाई में दिखा। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना की कार्रवाई स्वभाविक रूप से प्रतिरोधी थी और देश में शांति और समृद्धि की रक्षा में थी।
श्री वेंकैया नायडू इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित कौटिल्य फेलोशीप कार्यक्रम में शामिल 32 देशों के लगभग 80 राजनयिक, शोधकर्ता, शिक्षाविद तथा पॉलिसी थींक टैंक के सदस्यों के साथ बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर इंडिया फाउंडेशन के निदेशक श्री राम माधव तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का दर्शन ने नजदीक और दूर के देशों के साथ विदेशी संबंधों को आकार दिया है।
श्री नायडू ने आतंकी शिविरों पर वायु सेना की कार्रवाई के बारे में कहा कि भारत शांतिप्रिय देश है लेकिन अहिंसक और शांति प्रिय होने का अर्थ यह नहीं है कि हम कमजोर तथा अपनी सुरक्षा और एकता पर आनेवाले खतरों से अनजान हैं। उन्होंने कहा कि हमारी प्रगति की राह में बाधा डालने वाली विघटनकारी प्रकृतियों और शक्तियों के बारे में पूरी जानकारी है। उन्होंने कहा कि हम ऐसी शक्तियों को परास्त करने के लिए संकल्पबद्ध हैं और हमें अनेक देशों का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद और बढ़ती बेदिमागी हिंसा के प्रति मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते।
पूरे विश्व की शांति और विकास के लिए दुनिया भर में फैले आतंकवाद की चुनौती की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने विश्व समुदाय से जागने और आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में शामिल होने तथा भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता को अपनाने का आग्रह किया। यह समझौता संयुक्त राष्ट्र में 1996 से लंबित है। उन्होंने ने कहा कि वैश्विक संघर्ष और युद्ध से मानव प्रगति बाधित हुई है। श्री नायडू ने आतंकवाद के वित्त पोषण के साधनों को बंद करने के उपाय करने को कहा।
आतंकवाद की सहायता, समर्थन और धन पोषण करने और आतंकवाद को देश की नीति के रूप में अपनाने के लिए पड़ोसी देश के बारे में उन्होंने कहा कि यह देश को खोखला करने वाला है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत हर जगह शांति चाहता है और शांति प्रगति के लिए पूर्व शर्त है। उन्होंने कौटिल्य के बारे में, जिनके नाम पर फेलोशीप कार्यक्रम रखा गया है, कहा कि कौटिल्य दूरदर्शी थे, जिन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र और शासन संचालन की व्यापक पुस्तक दी और यह पुस्तक शक्तिशाली कल्याणकारी राज्य का सैद्धांतिक आधार है।
श्री नायडू ने अर्थव्यवस्था को समावेशी बनाने में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया और सरकार द्वारा जनधन और मुद्रा जैसी लॉच की गई योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों और सौर गठबंधन पर भारत की पहल की भी चर्चा की।