फाइलेरिया उन्मूलन को सफल बनाने के लिए दिया प्रशिक्षण, हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है इस संक्रामक रोग को
स्वास्थ्य विभाग अभियान के तहत मुफ्त में खिलाता है दवा, स्वस्थ शरीर में भी पलते हैं परजीवी, इसलिए दवा जरूर खाएं
कानपुर, लक्ष्मी तिवारी। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य विभाग मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रीएशन (एमडीए) के तहत 25 नवंबर से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान जनपद में शुरू करने जा रहा है। अभियान की सफलता को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में बुधवार को तीन दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ इस प्रशिक्षण में शहरी, ग्रामीण क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों सहित जोनल अधिकारियों को लखनऊ से प्रशिक्षण प्राप्त कर आये नोडल वीबीडी, डीएमओ, एएमओ, डीसीपीएम,शहरी जिला समन्वयक द्वारा प्रशिक्षण दिया गया राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत फ़ाइलेरिया उन्मूलन हेतु जनपद में आई0डी0ए कार्यक्रम 25 नवम्बर से लेकर 10 दिसम्बर तक प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार चलेगा। स्वास्थ्य विभाग की टीमें शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों को डीईसी और एल्बेण्डाजोल की गोली घर-घर जाकर मुफ्त देंगी। इस अभियान में लगभग 50 लाख की आबादी को कवर किया जाएगा। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ ऐके सिंह ने बताया की फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, इसके मच्छर अधिकतर गंदगी में पनपते हैं। संक्रमित व्यक्ति को काटकर यह मच्छर संक्रमित हो जाते हैं। इसके बाद यही संक्रमित मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटकर संक्रमित कर देते हैं। इससे संक्रमित व्यक्तियों को हाथी पाँव व हाइड्रोसिल का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि घर और आस-पास मच्छरों को पनपने न दें, साफ़-सफाई रखें, सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, ताकि इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकें। संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल एसीएमओ डॉ आरएन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रीएशन (एमडीए) के तहत जनजागरूकता के साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एमपीडब्ल्यू, एएनएम, आशा एवं स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं के माध्यम से दवा खिलाने का कार्य घर-घर जाकर किया जायेगा। इसके पश्चात् भी जो व्यक्ति दवा सेवन से वंचित रह जायेंगे, वह अपने पास के उप स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामु. स्वास्थ्य केन्द्र और जिला अस्पताल, मलेरिया कार्यालय से दवा प्राप्त कर सेवन कर सकते हैं। डीसीपीएम योगेंदर पाल ने कहा की खाली पेट, गम्भीर रूप से बीमार व गर्भवती महिलाओं को दवा का सेवन नहीं करायेगें। फाइलेरिया रोग उन्मूलन में अपना योगदान देते हुए कार्यक्रम को सफल बनाए। उन्होंने ने कहा कि माइक्रों प्लान के अनुरूप कार्य करे इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ0 एके सिंह ,सहायक मलेरिया अधिकारी एलके पाण्डेय, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ महेश,डॉ एसके सिंह, डीसीपीएम योगेंदर पाल,पीसीआई संस्था के प्रतिनधि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहेदवा लेने में सावधानियां संयुक्त निदेशक, फाइलेरिया डॉ. वी. पी. सिंह का कहना है कि –“इसके तहत दो से पांच साल के बच्चों को डी.ई.सी. की 100 मिलीग्राम की एक गोली और और अल्बेंडाजोल की 400 मिलीग्राम की एक गोली दी जाती है। छह से 14 साल के बच्चों को डी. ई. सी. की 100 मिलीग्राम की दो गोलियां और अल्बेंडाजोल की 400 मिलीग्राम की एक गोली दी जाती हैं, जबकि 15 साल और उससे ऊपर के लोगों को डी. ई. सी. की तीन गोलियां और अल्बेंडाजोल की 400 मिलीग्राम की एक गोली खिलायी जाती है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगियों को यह दवा नहीं खिलायी जाती है। डी. ई. सी. की गोली को खाली पेट नहीं खाना चाहिए और अल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर खाना चाहिए। इसके साथ ही इन दवाओं को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के सामने ही खाना होता है।
फाइलेरिया के लक्षण :
बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है |पैरों व हाथों में सूजन, हाथी पाँव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन) के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।