Sunday, May 19, 2024
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प्रखर जी महाराज ने धनतेरस एवं दीपावली के महत्व पर विस्तार पूर्वक बताया

कानपुर, जन सामना ब्यूरो। प्रखर परोपकार मिशन ट्रस्ट के तत्वाधान में परम पूज्य गुरूदेव अनन्तश्री विभूषित यज्ञ सम्राट महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज ने दीपोत्सव पर्व पर अपने भक्तों को धनतेरस एवं दीपावली के महत्व पर परिचर्चा कर विस्तार पूर्वक बताया। देश भर से पधारे महाराज श्री के शिष्यों ने परिचर्चा में भाग लिया जिसमें दिल्ली के अजय बंसल, आरती बंसल एवं अनिल गर्ग व सोनीपत से अगित मित्तल ने परिचर्चा में हिस्सा लिया। महाराज श्री ने धनतेरस के महत्व पर बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज एवं भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व है महाराज श्री ने बताया कि शस्त्रों में वर्णित कथानों के अनुसार समुद गंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हार्थों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के अंशावतार है संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार एवं प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्धारि का अवतार लिया था।भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है महाराज श्री ने दीपावली के महत्व पर बताया कि दीपावली का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन प्रतिवर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि भगवान राग रात्रि में अयोध्या में नापस आए थे और अमावस की रात थी। इसलिए अयोध्यावासियों ने पूरे शहर को दीपकों से जगमगा दिया था दीवाली से दो बातों का गहरा संबंध है- एक तो गाता लक्ष्मी का पूजन एवं दूसरा भगवान राम का लंका विजय के पश्चात अयोध्या वापस लौटना प्रचलित मान्याओं के अनुसार इरा महापर्व पर रघुवंशी गगवान श्रीराम की रावण पर विजय के पश्चात अयोध्या आगमन पर नागरिकों ने दीपावली को आलोक पर्व के रूप में मनाया तमीसयहदीम महोत्सव राष्ट्र के विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है दीपावली अपने अंदर प्रकाश का ऐसा उजियारा धारण कर आती है जिसके प्रमान से अनीति, आतंक एवं अत्याचार का अंत होता है और मर्यादा, नीति एवं सत्य की प्रतिष्ठा होती है कार्यक्रम का रागन्वयन सुरेश गुप्ता ने किया कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्वश्री कृष्ण कुमार लग्रवाल मुन्ना मझ्या, विश्वनाथ कानोडिया, पं. नरेंद्र शर्मा ‘तिरंगा’, संतोष गर्ग मनीष गर्ग, शरद शुक्ला ‘इंदू. शेष नारायण त्रिवेदी ‘पप्पू., नवीन अग्रवाल, मदन कानोडिया, प्रकाश मिश्रा (एड.), योगेन्द्र सिंह (एड), हरि प्रसाद, आत्म बोध प्रकाश ब्रह्मचारी, रिनाचा अनवाल, राज तिवारी, सुदन पहलवान आदि मौजूद रहे कार्यक्रम का संयोजन प्रदीप गुप्ता ने किया।