Friday, May 17, 2024
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योगी सरकार स्कूली बच्चों से किया हुआ वादा पूरा करने में नाकाम

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश सरकार पूर्व की भांति इसबार भी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को निःशुल्क प्रदान किये जाने वाली पुस्तकें, पोशाक, बैग, स्वेटर, जूते-मोजे समय से बांटने में विफल रही। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। योगी सरकार स्कूली बच्चों से किया हुआ वादा पूरा करने में नाकाम रही है। अप्रैल से सत्र प्रारंभ होता है किंतु सभी विषयों की किताबें विद्यार्थियों को जुलाई माह तक भी नहीं मिल सकी। लगभग 6 माह तक किताबों का वितरण होता रहा। विद्यार्थियों को जूते-मोजे जुलाई में, स्कूल यूनिफॉर्म अगस्त में, बैग सितंबर में, स्वेटर दिसंबर में मिले हैं।
बैग इतनी खराब गुणवत्ता के बाटे गये की 10 दिनों में ही वो जगह-जगह से फट गये। जूतों की भी गुणवत्ता निराशाजनक रही एक माह के अंदर ही जूते आंगे की तरफ फट गये। कई छात्रों के स्वेटरों में भी जगह-जगह छेद थे। अब हालत ऐसी है कि बच्चे स्कूल में फटे हुए जूते, फटा हुआ बस्ता और फटे हुए कपड़े पहनकर आने को मजबूर हैं।कानपुर देहात में कुल प्राथमिक विद्यालय =1604, उच्च प्राथमिक विद्यालय =676, कुल परिषदीय विद्यालय = 2280 हैं।
सत्र 2019-20 में नामांकित छात्रों की सूची-
अकबरपुर : 15020
अमरौधा : 19668
डेरापुर : 10525
झींझक : 11600
मलासा : 11183
मैथा : 15102
राजपुर : 12463
रसूलाबाद : 21263
संदलपुर : 9659
सरवनखेड़ा : 16206
कुल नामांकित छात्र = 1,42,689
बेसिक शिक्षा विभाग के बच्चों के जूते ढाई महीने में ही फट गए हैं। बच्चे फटे जूते ही पहनकर आ रहे हैं। निःशुल्क पोशाक योजना के तहत विद्यार्थियों को अगस्त तक विभिन्न स्कूलों में पोशाक और जूते-मोजे वितरित किए गये थे। इनमें जूतों की गुणवत्ता खराब बताई गई है। अधिकांश स्कूलों के बच्चों के जूते ढाई महीने में ही फट गए हैं। लगभग 10 प्रतिशत विद्यार्थियों को जूते इसलिये नहीं मिल सके क्योंकि उनके साइज के जूते आये ही नहीं थे। कुछ को बालक-बालिका की वजह से भी जूते नहीं मिल पाए क्योंकि बालक-बालिकाओं के अलग-अलग प्रकार के जूते होते हैं। स्वेटर भी गुणवत्तापूर्ण नहीं मिले किसी के छोटा पड़ रहा है तो किसी के स्वेटर में छेद हैं। बैग का भी यही हाल है बैग तो 10 दिनों में ही फट गये। ऐेसे में बच्चे फटे जूते पहनकर आ रहे हैं।
शासन स्तर से हुई है जूतों व बैग की सप्लाई –
बच्चों को दी जाने वाली पोशाक में से बैग और जूते-मोजे शासन से ही वितरण के लिए आए हैं। पोशाक की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंधन समिति के जिम्में है। इसमें विद्यालय के प्रधानाध्यापक, अभिभावक समेत 15 सदस्य रहते हैं।
सरकार ने ही तय किया था कि अप्रैल माह में ही सभी विद्यार्थियों को किताबें दे देंगे। साथ ही सरकार ने सभी बच्चों को जूते-मोजे देने की बात भी कही थी। लेकिन योगी सरकार का शिक्षा विभाग इन सब बातों से अनभिज्ञ रहा। गौर हो कि राज्य में पहली से आठवीं तक लगभग 1 करोड़ 54 लाख बच्चे हैं। सभी बच्चों को किताबें, जूते-मोजे और बस्ते सरकार द्वारा देने हैं।
अब सवाल ये है कि विद्यार्थियों को दी जाने वाली निःशुल्क सामग्री का समय के अंतर्गत वितरण क्यों नहीं किया जाता है?
विद्यार्थियों की सामग्री पर भी अधिकारी डांका क्यों डालते हैं? क्या विद्यार्थियों की सामग्री पर भी कमीशनबाजी आवश्यक है?
योगी सरकार ने नाक बचाने के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की थी। किन्तु किताबें तक जुलाई में मिली हैं। 5 महीने बिना किताब के बच्चे कैसे पढ़ेंगे? साल में केवल 9 महीने ही पढ़ाई होती है और तीन महीने छुट्टी होती है। ऐसे में 5 महीने बच्चों को बिना किताब के ही पढ़ना होगा और किताब से पढ़ने के लिए केवल 4 महीने का समय मिलेगा।
ये उस उत्तर प्रदेश की कहानी है जहां पहली से आठवीं तक के स्कूलों में 1,53,307 शिक्षकों के पद खाली हैं। 15013 स्कूलों में हेडमास्टर तक नहीं हैं।