कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशकों का मानदेय 8470 ₹/ माह से घटाकर 7000 ₹ / माह कर दिया गया है। इतना ही नहीं पूर्व में प्रदान किये जा चुके मानदेय से 1470 ₹ / माह के अनुसार अतिरिक्त भुकतान कहकर मार्च 18 से दिसंबर 18 (कुल 9 माह) तक कुल 13,230 ₹ की रिकवरी करली गई। यह रिकवरी की रकम अनुदेशकों के जनवरी व फरवरी के मानदेय से की गई है। अनुदेशकों को जनवरी 2019 से 7000 ₹ / माह के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है।
जबकी 2017 में पीएबी को भेजें गये प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी तथा ग्रान्ट भी राज्य सरकार को भेज दी थी। उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशकों का मानदेय 8470 से बढ़ाकर 17,000 ₹ / माह व प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों का मानदेय 3,500 से बढ़ाकर 10,000 ₹ / माह कर दिया गया था, परन्तु देखने वाली बात यह है कि सरकार शिक्षामित्रों को तो 10,000 ₹ के हिसाब से मानदेय देने लगी किन्तु उसी आदेश में वर्णित अंशकालिक अनुदेशकों को 17,000 ₹ के हिसाब से मानदेय प्रदान नहीं कर रही है। राज्य सरकार खुले आम केन्द्र सरकार के आदेश की अवहेलना कर रही है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा में कार्यरत राजेश बाबू कटियार ने बताया कि यह ताज्जुब की बात है की अनुदेशकों को पहले से मिल रहे 8470 ₹ / माह के मानदेय को सरकार ने घटाकर 7,000 ₹ / माह कर दिया और 9 माह की रिकवरी भी यह कहकर करली की तुमको पूर्व में भी 7,000 ₹ / माह की दर से मानदेय मिलना चाहिए था, 1470 ₹ / माह तुम लोगों को ज्यादा भुकतान हो गया है, जिसकी रिकवरी हम कर रहे हैं। प्रत्येक सरकारी अथवा प्राइवेट सेक्टर में प्रत्येक वर्ष कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी होती है, परन्तु पूरे देश में अनुदेशकों का यह पहला मामला है जिसमें उनका मानदेय बढ़ाने की बजाय कम कर दिया गया है। अनुदेशक इस मामले को हाई कोर्ट में लेकर गये जहां 3 जुलाई 2019 को लखनऊ खण्ड पीठ एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2017 से अभी तक का भुकतान 17,000 ₹ / माह के हिसाब से 9 प्रतिशत ब्याज सहित देने का आदेश जारी किया था। परन्तु राज्य सरकार की हटधर्मिता तो देखिये अनुदेशकों को मानदेय का भुकतान करने के बजाय डबल बेंच में चली गई है।
जनपद में 676 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमें 139 विद्यालयों में 226 अनुदेशक कार्यरत हैं। अनुदेशकों की नियुक्ति जुलाई 2013 में 7,000 ₹ / माह के मानदेय पर हुई थी। मार्च 2016 में केंद्र ने अनुदेशकों का मानदेय 8470 ₹ / माह कर दिया था। इनका चयन अंशकालिक अर्थात 2 घण्टे के लिए अपने विषय का शैक्षणिक कार्य करने हेतु किया गया था परन्तु उनसे स्कूल के पूरे समय तक रहकर अपने विषय के अतिरिक्त अन्य विषयों को भी पढ़ाना पड़ रहा है। नियमतः अनुदेशकों को पूर्णकालिक घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि वो स्कूल में पूरे समय तक उपस्थित रहते हैं।
बेचारे अनुदेशक जो कहने को तो अंशकालिक हैं, किन्तु विद्यालय में पूरे समय उपस्थित रहते हुए सभी शैक्षणिक व विद्यालय से सम्बंधित अन्य कार्यों को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से पूरा कर रहे हैं। 7,000 ₹ / माह के अल्प मानदेय में जीवकोपार्जन कर पाना संभव नहीं है। अतः सरकार को चाहिए कि वो अनुदेशकों को सम्मानजनक मानदेय प्रदान करे।
जनपद में कार्यरत अनुदेशक क्रमशः कंचन दीक्षित, राजेश, अपर्णा त्रिपाठी, ज्योति पाण्डे, अजय यादव, पुष्पेंद्र यादव, धर्मेन्द्र कुमार, शैलेन्द्र यादव हेमंत राव, ऋषभ बाजपेई, अनुराग गुप्ता, अमित वर्मा, अवधेश कुमार, संजीव, एकता कनौजिया, प्रबल, दीपेंद्र, अमित कटियार, अजीत सिंह, श्याम सुंदर, स्वाती, प्रतिभा कटियार, ताराचन्द्र, लोकेंद्र सिंह, रवि मोहम्मद आदि ने सरकार द्वारा किये जा रहे इसप्रकार के दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा की और कहा कि यदि सरकार हम लोगों को उचित मानदेय नहीं दे सकती तो “समान कार्य समान वेतन” का नारा बुलंद क्यों कर रही है।