Thursday, May 2, 2024
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भारत की दीवार….!

सामने 20 हजार प्रति किलो वाले मशरूम की प्लेट रखी थी, लेकिन मंत्रीजी एक निवाला तक हलक से नीचे नहीं उतार पा रहे थे। उन्हें अमरीकी दद्दा के आने की सूचना जैसे ही मिली, मंत्रीजी गहन चिन्ता के सागर में समा गये | तभी उनका निजी सहायक आ पहुंचा | मंत्रीजी का लटका चेहरा देख पलभर में भांप गया कि मंत्रीजी को क्या परेशानी है।
‘सर-सर ! आप चिन्ता छोडिये। हमने हल निकाल लिया है। आगरा की तर्ज पर बड़े – बड़े बैनर – पोस्टर लगा देंगे। जिससे झुग्गियाँ दिखेंगीं ही नहीं।’ सहायक ने सलाह दी।
‘अरे नहीं! वो आयडिया तो फुस्स हो गया था। गरीबों-भिखारियों के नटखट शैतानी बच्चों ने सारे पोस्टर फाड़ दिये थे। सारी करी कराई मेहनत पर पानी फिर गया था।’ मंत्रीजी ने धीरे से अपनी बात रखी।
तभी सहायक के दिमाग में एक और आईडिया आया -‘क्यों न हम एक गगन चुम्बी लम्बी दीवार खड़ी करादें। जहाँ-जहाँ से अमेरिकी साहब का काफ़िला गुजरेगा। दीवार खड़ी होने से वे हमारी झुग्गियाँ नहीं देख पायेंगे, सिर्फ गुजरात मॉडल को ही देख सकेंगे।’
‘अरे वाह ! बहुत सुंदर आईडिया, संतोष तुम्हारा जवाब नहीं।’ मंत्रीजी ने अपने सहायक की पीठ थपथपाई।
‘पर… एक समस्या है।’
‘कौन सी ?’
‘चिरकुट मीडिया की’….
‘अरे उसकी चिन्ता मत करो। हमारी बड़ी वाली मीडिया तो हमारे साथ है न। ये छोटे से पिद्दी सोशल मीडिया, पोर्टल न्यूज वाले हमारा क्या उखाड़ लेंगे। हम अपनी दीवार को चीन की दीवार वाली तर्ज पर बनायेंगे, और रही बात झुग्गी – झोपड़ी वाले गरीबों की तो उन्हें हम चुटकियों में विदेशी घुसपैठिये घोषित करा देगें।’ मंत्रीजी कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए फटाफट बोल गये।
और फिर देखते ही देखते 20 हजार प्रति किलो वाले मशरूम की प्लेट खाली हो गई…।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा