
नेता और राज्यसभा सांसद सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नोटों पर धन की देवी लक्ष्मी जी की फोटो छापी जाए। ये अर्थव्यवस्था सुधारने का कौन सा तरीका है? और तो और मर्यादा को लांघते हुए भी इन नेताओं को शर्म नहीं आती और इन सब में छोटे-मोटे नेताओं से लेकर राजनीति गलियारों की बड़ी-बड़ी जानी-मानी हस्तियां भी शामिल हैं। कपिल सिब्बल, कपिल मिश्रा, प्रशांत किशोर, आजम खान, वारिस पठान, शरद यादव, पी चिदंबरम, मणिशंकर अय्यर, विनय कटियार, गिरिराज सिंह, साध्वी प्रज्ञा, बिप्लब देब, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और भी न जाने ऐसे कितने हैं जिनके विवादित बयान उन्हें और उनके दल को शर्मसार करते हैं।
ये नेता महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने से भी गुरेज नहीं करते। आजमखान ने जयाप्रदा पर अश्लील टिप्पणी की वहीं दूसरी ओर ये बयान देते हुए भी नजर आए कि गठबंधन की सरकार बनी तो डीएम से जूते साफ करवाऊंगा। ये कौन सा स्तर है राजनीति का? या फिर आप किस स्तर के हैं ये दर्शा रहे हैं? उमा भारती अपने किसी काम के कारण नहीं बल्कि विवादित बयानों के कारण ज्यादा जानी जाती हैं। विवादित बयान प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर द्वारा दिए गए बयान कि “देश के गद्दारों को गोली मारो” और वे आपके घरों में घुस जाएंगे और आपकी बहन बेटियों से रेप करेंगे” किस तरह की मानसिकता दर्शाता है? कश्मीर को लेकर पी चिदंबरम के विवादित बयान नफरत और अलगाव ज्यादा बढ़ाते हैं।
महिलाओं पर आपत्तिजनक बयान जनता दल (यू) के नेता शरद यादव ने वसुंधरा राजे को उनके वजन को लेकर टिप्पणी करी थी। एक सम्मानित महिला के लिए सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान बाजी क्या उचित है? अभी हाल ही में वारिस पठान द्वारा “15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे” का बयान समाज में सिर्फ नफरत फैलाते हैं? -लेखिका प्रिंयका माहेश्वरी