बेटियाँ प्रीति का एक संगीत हैं ,
बेटियाँ कीर्ति का इक नयन दीप हैं ।
बेटियों से सृजित है धरा श्रष्टि ये ,
बेटियां सर्व उदित शब्दातीत हैं ।।
बेटियाँ आन हैं मान सम्मान हैं ,
कुल शिरोमणि हैं ये इससे अंजान हैं ।
मोल करते हो क्यों इनका उत्कोच से ,
ये स्वयं स्वर्ण हीरों की खान हैं ।।
प्रेम ही प्रेम तो इनका व्यवहार है ,
मोल इनका लगाते क्या व्यापार हैं ।
इनकी शक्ति सिया सी अतुलनीय है ,
ये स्वयं माता लक्ष्मी का अवतार हैं ।।
प्रेम के पंथ पर पग मिला कर चलें ,
राष्ट्र की कांति को झिलमिला कर चलें ।
इनको मारें नहीं जग में आने तो दें ,
ये शपथ आज से हम लगा कर चलें ।।