Monday, May 6, 2024
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स्वास्थ्य विभाग में प्रशिक्षित अमले की कमी, 10 हजार लोगों पर मात्र एक डॉक्टर

भारत एक ओर कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी का सामना भी कर रहा है। भारत में अनुमानित तौर पर 6 लाख डॉक्टरों, 20 लाख नर्सों और 7 लाख फार्मासिस्टों की कमी है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारत में एंटीबायोटिक व अन्य दवाइयां देने के लिए उचित तरीके से प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है, जिससे जीवन बचाने वाली दवाइयां मानक के अनुरूप मरीजों को नहीं मिल पाती हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज डाइनामिक्स, इकॉनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) की रिपोर्ट के मुताबिक एंटीबायोटिक उपलब्ध होने पर भी भारत में लोगों को बीमारी पर 65 फीसदी खर्च खुद उठाना पड़ता है। यह हर साल 5.7 करोड़ लोगों को गरीबी के गर्त में धकेलता है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 57 लाख ऐसे लोगों की मौत होती है, जिन्हें एंटीबायोटिक दवाइयों से बचाया जा सकता था। ये मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। ये मौतें एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमणों से हर साल होने वाली अनुमानित 7 लाख मौतों की तुलना में अधिक है।10 हजार लोगों पर एक डॉक्टर-
रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर 10,189 लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर की सिफारिश की है। इस तरह 6 लाख डॉक्टरों की कमी है। भारत में हर 483 लोगों पर एक नर्स है यानी 20 लाख नर्सों की कमी है। 50 बेड के हॉस्पिटल में 2 फार्मासिस्ट एक चीफ फार्मासिस्ट व 100 बेड के हॉस्पिटल में 4 फार्मासिस्ट व 2 चीफ फार्मासिस्ट का नियम है, इसप्रकार देशभर में 7 लाख फार्मासिस्टों की कमी है।