Friday, May 3, 2024
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शिक्षा विभाग ने जिस मोबाइल पर बैन लगाया, आज वही काम आया

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिस मोबाइल को बुराई मानते हुए शिक्षा विभाग इसके इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता रहा है, अब शैक्षिक व्यवस्था दुरूस्त करने में वही मोबाइल ही मददगार बना हुआ है। कोरोना की वजह से लॉकडाउन में सरकारी स्कूल छात्रों की पढाई को जारी रखने के लिए शिक्षकों को वाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज का इस्तेमाल करने के आदेश दिए गये हैं। मालूम हो कि सरकारी स्कूलों में स्कूल अवधि के दौरान मोबाइल के प्रयोग पर प्रतिबंध होता है।
सरकार ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है। बेसिक शिक्षा विभाग ने यूनिसेफ की मदद से तैयार मोबाइल एप से बच्चों को पढ़ाने की रणनीति बनाई है। विभाग का दावा है कि देश में सबसे पहले यूपी में इस एप से बच्चों को पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने बताया कि लॉकडाउन में परिषदीय स्कूलों के बच्चों में टॉप पैरेंट मोबाइल एप से भाषा ज्ञान की नींव मजबूत की जा रही है।बच्चों के होमवर्क में अभिभावकों की सहभागिता भी बनाई जा रही है। चिम्पल मोबाइल एप से बच्चे खेल, पहेली, कहानी के जरिए पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं। मैथ मस्ती मोबाइल एप से रोचक तरीकों से न सिर्फ बच्चों में गणित का डर दूर किया जा रहा है, बल्कि बच्चों में गणित की नींव भी मजबूत की जा रही है। बोलो गूगल एप से बच्चों में हिंदी और अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता का विकास किया जा रहा है।
छात्रों के हर प्रश्न का देना होगा जवाब-
शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप पर छात्रों को उनके कोर्स से संबंधित सामग्री सरल भाषा में बनाकर देंगे। यदि छात्र-छात्रायें इस सामग्री के बाबत कोई सवाल पूछें तो शिक्षकों को अनिवार्यरूप से उनके जवाब छात्रों को भेजने होंगे। शिक्षकों को इन प्रश्नों और खुद द्वारा किए गए प्रयास का रिकार्ड भी रखना होगा।
विकासखण्ड सरवनखेड़ा बीईओ आशा कनौजिया ने बताया कि आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने व विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए सभी शिक्षकों को निर्देशित किया जा चुका है। कुछ परिषदीय स्कूलों में आनलाइन कक्षाएं भी शुरू की जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापकों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को आनलाइन टीचिंग के साथ दूरदर्शन रेडियो पर प्रसारित होने वाली कक्षाओं के बारे में भी जानकारी दी जा चुकी है।