नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 6 मई 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रूस के ऊर्जा मंत्री श्री अलेक्जेंडर नोवाक के साथ चर्चा की। वैश्विक तेल और गैस परिदृश्य तथा तेल एवं गैस और कोकिंग कोल क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा पर चर्चा हुई।
मंत्री श्री नोवाक ने श्री प्रधान को हाल ही में हस्ताक्षरित ओपेक + समझौते के बारे में जानकारी दी। श्री प्रधान ने समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि यह वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता और पूर्वानुमान प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। यह भारत जैसे उपभोक्ता राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है। रूस के मंत्री ने एक प्रमुख द्विपक्षीय भागीदार तथा एक प्रमुख हाइड्रोकार्बन उपभोक्ता के रूप भारत की भूमिका की सराहना की। श्री प्रधान ने जोर देकर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, हाइड्रोकार्बन के लिए एक प्रमुख मांग केंद्र बनी रहेगी।
दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच चल रही परियोजनाओं की समीक्षा की जिसमें शामिल हैं – वोस्तोक परियोजना में रोसनेफ्ट के साथ भागीदारी, एलएनजी की नोवाटेक द्वारा आपूर्ति, गेल और गज़प्रोम के बीच सहयोग, गज़प्रोमनेफ्ट के साथ संयुक्त परियोजनाएँ, रोज़नेफ्ट द्वारा इंडियन आयल को कच्चे तेल की आपूर्ति आदि। रूसी पक्ष ने कोविड – 19 के कारण पैदा हुई अप्रत्याशित परिस्थितियों के बावजूद भारत के निरंतर सहयोग की सराहना की। मंत्री श्री नोवाक ने भारतीय ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की इच्छा की फिर से पुष्टि की।
बैठक के दौरान, कोकिंग कोल क्षेत्र में सहयोग पर विशेष जोर दिया गया, जिसमें सितंबर 2019 में भारतीय प्रधान मंत्री की रूस यात्रा के बाद से काफी प्रगति हुई है। इस संदर्भ में श्री प्रधान ने एक बैठक जल्द ही आयोजित करने का सुझाव दिया जिसका रूसी मंत्री ने स्वागत किया। उच्च स्तरीय कार्य समूह (डब्ल्यूजी) की इस बैठक से कोकिंग कोल के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती मिलेगी। बैठक का उद्देश्य एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देना होगा।
भारतीय पक्ष ने रूसी पक्ष के साथ दीर्घकालिक सहयोग का स्वागत किया और मंत्री श्री प्रधान ने स्थिति सामान्य होने के बाद सुविधाजनक समय पर भारत आने के लिए मंत्री नोवाक से अपना अनुरोध दोहराया। दोनों मंत्रियों ने अपने अधिकारियों को वीसी के माध्यम से चर्चा करने का निर्देश दिया।
दोनों पक्षों ने वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए वर्तमान चुनौतियों के आकलन पर और मांग की वृद्धि के सम्बन्ध में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर सहमति व्यक्त की। वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार के लिये ऊर्जा की मांग में वृद्धि महत्वपूर्ण है ।
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