Thursday, May 16, 2024
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खाकी की मौजूदगी में हुआ किसानों, मजदूरों पर दबंगों के अत्याचार का तांडव!

– यूपी में पनप रहा जंगलराज, सामंती वर्चस्व में किसानों-मजदूरों के घरों को किया तबाह
– प्रतापगढ़ के गोविन्दपुर में महिलाओं, बुजर्गों और बेटियों पर कहर बरसाया दबंगों ने
– सूबे के एक मंत्री की सह पर दबंगों के हौसले बुलंद, पुलिस देखती रही तमाशा, आयोग के हस्तक्षेप से दर्ज हो सकी एफआईआर
पंकज कुमार सिंह-
प्रतापगढ़/लखनऊ/कानपुर। कोविड-19 से फैली महामारी के बीच जहां सूबे की भाजपा सरकार गरीब मजदूर, किसानों की मदद करने का दावा ठोंकती नजर आती है वहीं मजदूर, किसानों पर दबंगों का कहर ढहता भी दिखता है। प्रदेश के कई जिलों से ज्यादती की खबरें रोज आना आम हो गया है वही ताजा मामला प्रतापगढ का है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दबंग सामंतशाही गुण्डे पुलिस की मौजूदगी में महिलाओं, बुजुर्गों और बेटियों पर इस कदर कहर ढाते हैं कि सुनकर रूह कांप उठे। लेकिन शासन-प्रशासन के शीर्ष अफसर मौके का मुआयना और पीड़ितों की व्यथा सुनने की वजाय एसी की ठण्डक में मस्तियाते रहते हैं। पीड़ितों की एफआईआर दर्ज नहीं होती अपितु उल्टा पीड़ितों को उठाकर हवालात में डाल दिया जाता है। यह खबर है जनपद प्रतापगढ के कोतवाली पट्टी के गांव गोविन्दपुर की है। जहां गत 21 मई को किसान नन्हेंलाल वर्मा के खेत में जानवर फसल को नुकसान पहुंचा जा रहे थे। जनवरों के खेत में घुसने पर नन्हें लाल ने आपत्ती जताते हुए अनिल तिवारी, भोला तिवारी से शिकायत की तो वह दबंगई पर उतारू हो गए। पीङित नन्हें लाल ने थाने में शिकायत करने की बात कही तो दबंगो को यह नागवार गुजरी और लड़ने पर उतारू हो गए। 22 मई को दोनों पक्षों के कुछ लोग थाने पहुंचे। आरोप है कि पीछे से पीङितों के घरों पर संगठित होकर भोला तिवारी, अनिल तिवारी, ललित तिवारी, शारदा तिवारी, दिलीप तिवारी, संदीप तिवारी, पप्पू तिवारी, अंकित तिवारी, रामआसरे तिवारी सहित तकरीबन दो दर्जन से अधिक दबंगों ने हमला कर दिया, तकरीबन दर्जनभर घरों को आग लगा दी। घरों का सामान तहस नहस कर दिया। महिलाओं को पीटा और वस्त्र फाङ दिए। बच्चों सहिय कई लोगों के सर फोड़ दिए, हिंसा में धारदार हथियार से हमला किया गया। जिसमें कईयों के हाथ पैर तक गंभीर रूप से जख्मी हुए। पशुधन की भी हानि हुई। सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने दबंगो पर कार्यवाही करने की वजाए पीड़ितों को ही थाने उठा लाए।
शनिवार को गोविन्दपुर की विभीत्स घटना पर जन सामना ने प्रतापगढ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह से स्थिति जाननी चाही तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि एक मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और सभी वादियों की शिकायत उसी एक एफआईआर के तहत दर्ज की गई है। यही मेरा स्टेटमेंट है। पुलिस अधीक्षक ने आगे कोई बात नहीं की और फोन काट दिया। सूत्रों से पता चला है कि सूबे के एक मंत्री के दवाब में पुलिस कोई भी कार्यवाही करने से बच रही है उल्टा दबंगों का सहयोग किया जा रहा है। अभी तक आरोपियों की कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। पीड़ित पक्ष के खिलाफ पुलिस ने ही मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। इसमें 19 को नामजद कर तकरीबन ढाई सौ लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है। पीड़ित सीता देवी, चन्दन सिंह, ओमप्रकाश पटेल, कैलास पटेल, राधेश्याम पटेल, सालिग्राम, बदरी प्रसाद, करमदेवी, गोकुल पटेल, मंजू पटेल, संजू पटेल, सीमा पटेल, सुधा, वंदना आदि को न्याय की आस है। इधर पीड़ितों के न्याय के लिए गए सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. आरएस पटेल व विधायक रामसिंह पटेल के खिलाफ पुलिस ने 66बी, 188, 153, 505 सहित आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। उआरएस पटेल ने कहा है कि यदि पीड़ितों को न्याय न मिला तो हम सड़कों पर उतरेंगे।
मां के आंचल से दुधमुंहे को छीन फेंक दिया कूंए पर
पीड़ितों ने बताया कि दबंगों ने मां का दूध पीते तीन माह के बच्चे को छीनकर कूंए के पास फेंक दिया। मां अनीता वर्मा चीखती चिल्लाती जब बच्चे के पास दौङी मां को पकङकर बेरहमी से मारा।
बाथरूम से घसीट फाड़े युवती के कपड़े
बताया गया कि दबंगों ने 17 साल की एक युवती को बाथरूम से घसीटकर कपङे फाङ दिए। इतना ही नहीं डण्डा दिखाते हुए दबंग ने कहा कि एसी जगह डण्डा डाल दूंगा कि अगली नसल पैदा नहीं कर पाएगी।
आयोग के दखल पर दर्ज हुई एफआईआर
पुलिस का खेल तो देखिए दबंगो के बजाए पुलिस ने पीड़ितों की तहरीर लेने से मना कर दिया और पुलिस पर पथराव का आरोप लगाकर उल्टा पीड़ितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर हवालात में बंद कर दिया। पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कौशलेन्द्र प्रताप के निर्देश पर पुलिस ने मामला दर्ज किया।23 मई को पहले तो आयोग को गुमराह करते हुए अन्य मामले की एफआईआर दर्ज करके आयोग को सूचित किया बाद में शिकायत जाने पर एक पीडित की एफआईआर दर्ज कर आयोग को सूचित किया।
पत्रकार को पुलिस ने रोका
गोविन्दपुर में गांव में खबर कवरेज करने गए सामाजिक कार्यकर्ता व वरिष्ठ पत्रकार को पुलिस ने गांव में नहीं घुसने दिया। इंस्पेक्टर सुशील कुमार सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेंद्र प्रताप सिंह को यह कहते हुए रोक दिया कि गांव में जाने पर रोक है। पत्रकार ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने यूपी सरकार द्वारा जारी अपना मान्यता प्राप्त पत्रकार का परिचय पत्र दिखाया तो इंस्पेक्टर बोले आप कुर्ता पायजामा पहने हो और सौ लोगों को लाए हो। ब्रजेंद्र प्रताप ने बताया कि वह अकेले है और कवरेज करने आए है। ब्रजेंद्र प्रताप ने जन सामना को बताया कि अभी तक 9 में से सिर्फ एक महिला की रिपोर्ट लिखी गई। छेड़छाड़, बलात्कार की कोशिश, डकैती की धाराएं नहीं लगाई। 8 की रिपोर्ट भी लिखनी बाकी है।
10 लोग इसी गाँव के जेल में हैं। उनको अभी तक रिहा नहीं किया गया। ब्रिजेन्द्र प्रताप सिंह कहते है कि मुख्यमंत्री के संज्ञान के बाद इलाहबाद मे किसानों की सब्जियों को कार से रोदने वाले दरोगा को निलम्बित कर कार्यवाही की जाती है। लेकिन न जाने क्यों गोविन्दपुर की घटना पर मुख्यमंत्री तक संज्ञान नहीं जाती।
ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट इलाहाबाद के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर हालात बताये थे। अन्य साथियों ने सुप्रीम कोर्ट में पत्र भेजे। इसमें पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराने की मांग की गई है। मंत्री की भूमिका, जिला के डीएम, एसपी को हटाने/सस्पेंड करने और दबंगो को संरक्षण देने वाले मंत्री को भी बर्खास्त करने की मांग शामिल है। मुआवजा भी पीड़ित के लिए। दिए जाने की मांग की है।
” एक ही एफआईआर में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है, यही मेरा स्टेटमेंट है” – अभिषेक सिंह एसपी प्रतापगढ