Tuesday, November 19, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » नारी की पवित्रता ही समझती है करवा चौथ अर्थ-शैलेश अवस्थी

नारी की पवित्रता ही समझती है करवा चौथ अर्थ-शैलेश अवस्थी

सासनी/हाथरस, जन सामना। पति की लंबी आयु के ब्रत रखने और उनकी कुशलता की कामना करने वाली महिलाओं को सम्मान देते हुए बुजुर्गों और कवियों की सामाजिक साहित्यिक संस्था साहित्यानंद के बैनरतले एक काव्यगोष्ठी का आयोजन कवि शैलेष अवस्थी के आवास पर किया गया। जिसमें कवियों ने मां सरस्वती के छविचित्र के सामने दीप जलाकर एवं माल्यापर्ण कर सरस्वती वंदना की। वहीं कवि वीरेन्द्र जैन ने अपनी कविता में सुनाया कि बजे रातभर प्रेम जोत तो बल्ले-बल्ले, हर हो करवा चैथ तो होगी बल्ले-बल्ले।। कवि शैलेश अवस्थी नेकरवा चैथ का महत्व बताते हुए सुनाया कि तप बल के बालक बने ब्रह्मा विष्णु महेश, पतिव्रता के धर्म में करवा चौथविशेष।। कवि रविराज सिंह ने सुनाया कि पति नाम की लूट है लूटी जाए तो लूट, पतिव्रता ही जाएगी भवसागर से छूट।। कवि मयंक चैहान ने सुनाया कि दिन हो या रात बीबी न पूछे बात, सहे हमने केवल आघात बदलने दिन आए है।, करवा चैथ पर मयंक यह चांदनी संग लाये है।। कवि रविकांत ने फिर एक कविता में सुनाया कि पति पत्नी शिकवे गले गये आज सब भूल, करवाचौथ पे प्यार के रहे हिंडोले झूल।। कवि अशोक अग्रवाल ने सुनाया कि सिंदूरी आभा रहे सजी सदा मेरे भाल, ब्रत ये करवा चैथ का रखा करूं हर साल। इसके अलावा धर्मेन्द्र रघुवंशी, वीरेन्द्र सिंह सोलंकी, आदि कवियों ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं को गुदगुदाया। वहीं सैकडों श्रोता गोष्ठी में मौजूद रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता कवि अशोक अग्रवाल ने की और संचालन व्यंग कवि वीरेन्द्र जैन नारद ने की।