सासनी/हाथरस, जन सामना। पांच माह से क्षीर सागर में शेष शैय्या पर शयन कर रहे हरि विष्णु भगवान देवोत्थान एकादशी की तिथि पर निन्द्रा से जाग गए। इसके साथ ही समस्त मांगलिक कार्य आरम्भ हो गए। देवों के जागने के साथ ही कस्बों और गांवों में शहनाई बज उठी। बरातों की धूम रही, जिससे जगह-जगह जाम भी लगा। प्रवोधिनी के साथ ही मन में बोध होना बुराई को छोड़ अच्छाई एवं हरि के चरणों की ओर अपने अंतस को लगाना चाहिए। देव जगने के साथ ही विवाह शादियों के पंडाल से माहौल महकने लगा। देवोत्थान एकादशी धार्मिक एवं पंचाग रूप से अनसूझ साहलग होता है। अनसूझ साहलग ही वर कन्या के गुण दोष मिलाना जरूरी नहीं है। शादियां शुरू होने के कारण लोगों में काफी उल्लास देखा गया। वहीं शहनाइयों की गूंज के साथ ही बाजारों में रौनक बड़ गयी है। शादी समारोह की बारात चढत के दौरान सडक पर लोगों को यदा-कदा जाम का सामना करना पडा। देवोत्थान एकादशी के अवसर पर कस्बे में गन्ना, सिंघाड़ा आदि काफी महंगे बिके।