चकिया/चन्दौली। ग्राम्या संस्थान, यूएनएफपीए, आरईसी फाउंडेशन, कम्युटिनी -द यूथ कलेक्टिव और ये एक सोच फाउंडेशन अपने साथी संस्थाओं के साथ ‘बी ए जागरिक’ (Be a Jagrik) प्रोजेक्ट के दूसरे चरण मे कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम में कहा गया कि युवाओं की शक्ति को पोषण और पोषित करने और उन्हें इस क्षमता को महसूस करने में सक्षम करने की जरूरत इससे पहले कभी नहीं रही, जितनी आज महामारी की चपेट में आई बदलती दुनिया में महसूस हो रही है। युवा इन परिवर्तनों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। समान रूप से महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके पास अपने और अपने समुदायों के लिए बेहतर जीवन विकल्पों तक पहुंचने का आदर्शवाद, ऊर्जा और संसाधन भी मौजूद है। आज, युवाओं के बीच नेतृत्व का निर्माण करने के उद्देश्य से ‘जागरुक बनिए’ (Be a Jagrik) का दूसरा चरण एक पहल है, जो सही अर्थों में उन्हें जबरदस्त जागरुक (शाब्दिक रूप से जागृत, जागरुक और सक्रिय नागरिक) बनने के लिए सक्षम बनाता है। शिकारगंज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ग्राम्या संस्थान की नीतू सिंह ने बताया कि युवाओं को सक्रिय करने के लिये क्षेत्र के 10 गांव के लीडर युवाओं के साथ चकिया क्षेत्र के शिकारगंज मे बैठक की गई।जिसका उद्देश्य प्रत्येक युवा को जागृत बनाने और प्रत्येक क्षेत्र में जागरुकता बढ़ाने में सक्षम बनाना है। इन युवाओं के साथ बालिका शिक्षा, माहवारी, जेडरगत भेदभाव एवं स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति जागरूक किया गया एवं गांव में कार्य करने हेतु प्लानिंग की गई।यूएनएफपीए, आरईसी फाउंडेशन, कम्युटिनी-द यूथ कलेक्टिव और ये एक सोच फाउंडेशन के साथ-साथ इसके छह यूपी कलेक्टिव मेंबर ऑर्गेनाइजेशन- अवध पीपुल्स फोरम, बदलाव संस्था, बेवजह समिति, दे-हाथ सोसाइटी, ग्राम्या संस्थान, वनांगना, की पहल से एक ऐसा परिदृश्य का निर्माण करना चाहता है, जहां आईसीपीडी एजेंडा और यूएनएफपीए डीएनए में प्रजनन और यौन स्वास्थ्य के लिए सार्वभौमिक पहुंच के मुद्दों को संबोधित करने वाली सोशल एक्शन परियोजनाएं वास्तव में युवाओं द्वारा सह-डिज़ाइन, सह-स्वामित्व और सह-नेतृत्व में चलाई जा सके। यह युवाओं की प्राकृतिक “पहचान-खोज” का हिस्सा है, और युवाओं को यह पता लगाने में मदद करता है कि उनके आसपास के समुदाय से उनकी भलाई कैसे जुड़ी हुई है।
बी ए जागरिक कम्युनिटी, द यूथ कलेक्टिव का एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है जिसमें युवाओं को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश के अलावा यह भारत के 14 अन्य राज्यों में भी चल रहा है। 2018-19 में यूएनएफपीए ने कम्युनिटी, द यूथ कलेक्टिव और 11 जमीनी संगठनों के साथ भागीदारी की, ताकि संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्रवाई को बढ़ावा देने और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के लिए योगदान करने के लिए युवा नेतृत्व को विकसित किया जा सके। एक वर्ष में 400 यूथ लीडर्स ने 1.5 लाख लोगों के साथ ऑन-ग्राउंड एंगेजमेंट के माध्यम से 1300 सोशल एक्शन प्रोजेक्ट्स को कार्यान्वित किया है जो समुदायों के जीने के तरीकों में बदलाव ला रहे हैं और यह समाज के निरंतर नवीकरण का आधार बनता है इस चरण में टीम उत्तर प्रदेश के 4 जिलों- लखनऊ, फैजाबाद, चंदौली और बांदा में हस्तक्षेप करेगी। इस दौरान गांव के कई लोग उपस्थित रहे।