डाक विभाग द्वारा टीबी रोगियों के स्पुटम पहुँचाने के साथ-साथ, आईपीपीबी खातों में भेजी जा रही डीबीटी राशि- पोस्टमास्टर जनरल
वाराणसी,जन सामना। टीबी रोग के उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ डाक विभाग भी अहम भूमिका निभा रहा है। डाकिया के माध्यम से टीबी मरीजों के बलगम के नमूने तेजी से स्वास्थ्य विभाग के लैब तक पहुंच रहे हैं। जिससे मरीजों के चिन्हीकरण और उनके त्वरित उपचार में भी तेजी आई है। इसके अलावा तमाम चिन्हित एवं उपचारित क्षय रोगियों को 500 रूपये प्रतिमाह का भुगतान भी डीबीटी के माध्यम से उनके इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक खातों में किया जा रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2 जनवरी से 12 जनवरी तक सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान एसीएफ चल रहा है। जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता चयनित क्षेत्र में प्रत्येक घर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों की खोज कर रहे हैं।
वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि भारतीय डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने की दिशा में संयुक्त पहल के तहत टी०बी० रोगियों के स्पुटम एवं अन्य सैम्पुल को डिजिगनेटेड माइक्रोस्कोपी सेंटर डीएमसी से पैकिंग कर डाक विभाग के माध्यम से जनपद के सम्बंधित सीबीनाट कार्टेज बेस्ड न्यूक्लिकएसिड एम्प्लिफिकेशन टेस्ट लैब, कल्चर एण्ड डीएसटी ड्रग सेंसिटिविटी टेस्टिंग लैब तक पहुँचाया जाता है। दूरदराज़ के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से नमूनों को प्रयोगशाला तक 24 से 48 घंटे के भीतर डाकिये पहुँचाते हैं। ताकि इनकी शुद्धता बनी रहे। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वाराणसी परिक्षेत्र में मई माह से अब तक 2458 नमूनों को एकत्र कर डाकिया टेस्टिंग लैब तक पहुँचा चुके हैं। वाराणसी मंडल के प्रवर अधीक्षक डाकघर सुमीत कुमार गाट ने बताया कि वाराणसी जनपद में 31 जगहों से डाकिया इन नमूनों को एकत्र करते हैं। उत्तर प्रदेश के 4 जनपदों .लखनऊ,चंदौली आगरा, बदायूं और में ये पायलट प्रोजेक्ट 15 जुलाई 2019 से आरम्भ हुआ। जो कि बाद में सभी जनपदों में 1 मईए 2020 से विस्तारित कर दिया गया। राजधानी लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के तत्कालीन निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ0 संतोष गुप्ता के साथ इस साझा पहल का शुभारम्भ किया था।