पत्रकारिता के नाम पर कुछ बहरूपियों जिले के सम्भ्रान्त नागरिकों को कर रहे ब्लैक मेल
हाथरस,जन सामना। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कही जाने वाली पत्रकारिता की साख को कुछ बहरूपिए बट्टा लगाने पर इस कदर आमादा हैं कि उन्हें अपने स्वार्थों के सिवा कुछ भी नज़र नहीं आता। दरअसल हाथरस में अनेक ऐसे कथित पत्रकार पैदा हो गए हैं जो पत्रकारिता की ओलम तक नहीं जानते और पत्रकारिता जैसे शुचितापूर्ण कर्म को दूषित करने का काम कर रहे हैं। ऐसे में सजग पत्रकारों का दायित्व बन जाता है कि पत्रकारिता की आड़ में अपने गोरखधन्धों में लिप्त ऐसे भेड़ियों को बेनकाब किया जाय। ऐसे ही कुछ बहरूपिए कथित पत्रकारों की कहानी सामने आई है जो कभी अपने को पत्रकार, कभी ब्यूरो चीफ तो कभी समाजसेवी कहते फिरते है। पत्रकारिता के नाम पर जिले के संभ्रान्त नागरिकों को तरह-तरह से डराते और धमकाते है तो समाजसेवा के नाम पर चन्दा उगाही कर डकार जाते है। सोशल मीडिया पर यही कुछ बहरूपिए नकली पत्रकार अनर्गल सामग्री पोस्ट करते है। अपने को दूरदर्शी समझने वाले ऐसे व्यक्तियो को वास्तव में किसी योग्य व वरिष्ठ पत्रकार के यहां पत्रकारिता की ओलम सीखनी चाहिए। अब कुछ बहरूपिए कथित पत्रकार की असलियत बताते हैं। कुछ बहरूपिए महानुभाव स्वयं को सम्पादक से कम नहीं समझते। इतना ही नहीं बहरूपिए महाशय जिन अखबारों में कथित रूप से रिपोर्टर भी रहे वहां से भी इनकी ऐसी करतूतों के चलते इन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा। जब सभी मान्य पत्रकार इनकी असलियत जान गए तो यह सड़क पर आ गए, लेकिन आदत से बाज नहीं आये। आज की तारीख में पैदल होते हुए भी इन कुछ बहरूपिए महाशयो के इतने हौसले बुलन्द हैं कि ये किसी को भी कथित पत्रकारिता का रसूख दिखाकर इसलिए डराते-धमकाते रहते हैं क्योंकि कोई इनकी गलत बातों को भी क्यों नहीं मान रहा। इन कथित बहरूपिए पत्रकारो की इसी तरह के कारनामों के कारण मरम्मत भी हो चुकी है। बहरहाल, जो भी है ऐसे कुछ बहरूपिए पत्रकारों से जनता, संभ्रान्त नागरिकों तथा प्रशासनिक अधिकारियों को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि पत्रकारिता की आड़ में ऐसे भेड़िये पत्रकारिता के साथ-साथ समाज का बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं।