-जिला अधिकारी इटावा श्रुति सिंह के आदेश का 36 घंटे के बाद भी नहीं दिख रहा कोई असर,सड़कों/मुख्य मार्गों और खेतों की फसल में स्वच्छंद आतंकित विचरण कर रहे गोवंश
-विकासखंड के अंतर्गत कम क्षमता की तीन गौशालाएं बनीं हैं जिनमें एक निष्क्रिय और दो नौगांवा और अनैठा सक्रिय हैं
-चकरनगर विकासखंड के अंतर्गत 41 ग्राम पंचायतें हैं हर ग्राम पंचायत में 100 जानवरों की क्षमता रखने वाली गौशालाएं होना अनिवार्य -क्षेत्रीय किसान
-जे गायन को इंतजाम हुय जाए दद्दा, गौशाला नहीं है, रात दिन सोयत नहिंएं दद्दा,गायन को इंतजाम हो जाए बस यही सरकार से प्रार्थना है -किसान रमेश सिंह
चकरनगर/इटावा। खून पसीना से बोई गई फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए किसान रातोदिन खेत पर डाभ-फूंस की मडैया बना कर/मचान/मैयरा बनाकर पड़ा रहता है। उसके बाद भी घात लगने पर जानवर उन्हें नुकसान पहुंचाने में जरा सा भी विलंब नहीं करते। इस परेशानी को जब तहसील दिवस में उठाया गया तो पीठासीन अधिकारी श्रुति सिंह ने विशेष संज्ञान लेते हुए पशुधन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CVO) को तलब कर इस स्थिति का जायजा लिया।जवाब से संतुष्ट न होकर श्रुति सिंह जिलाधिकारी ने हिदायती सख्त आदेश देते हुए कि आवारा छुट्टा घूम रहे गोवंश इनकी बंदोबस्ती हेतु सख्त से सख्त जरूरी कदम उठाए जाएं।गौशालाऐं आवश्यकतानुसार और बनवाई जाऐं, लेकिन 36 घंटे इस आदेश को हुए व्यतीत हो चुका है के बावजूद भी अभी तक कोई भी इंतजाम जिम्मेदार अधिकारी की तरफ से नहीं किया गया। आवारा जानवर सड़कों से लेकर खेतों तक अतिक्रमण किए हुए हैं।
विकासखंड चकरनगर के अंतर्गत तीन गौशालाऐं बनवाई गईं जिसमें बरचौली बनी हुई गौशाला चलते कुछ खामियों के बंद हो गई या यूं कहें कि वह कार्यरत नहीं है। नौगांवा और अनैठा सिर्फ दो गौशालाएं कार्यरत हैं जो क्षमता से ज्यादा पशुओं को बंद भी नहीं किए जा सकते। नौगावा की गौशाला जो यमुना-चंबल के बेल्ट में है। दूसरी गौशाला आनेठा जो चंबल और कुंवारी के बेल्ट में है। दो गौशालाएं जिनमें अधिकतम १०० गोवंश ही बंद किए जा सकते हैं जबकि विकासखंड के अंतर्गत करीब 41 पंचायतें हैं हर पंचायत में गौशाला स्थापित करने का लक्ष्य था, जो लक्ष्य के अनुरूप गौशालाएं स्थापित नहीं कराई गईं। जिससे आवारा गोवंश सड़कों से लेकर किसानों के खेतों तक धूम मचाए हुए हैं,इनकी तादात 1-2 की संख्या में नहीं 40 से लेकर 100 झुंड के झुंड बने हुए हैं, यदि सड़क के मुख्य मार्ग पर बैठ जाएं तो यातायात भी जाम कर देते हैं। खेतों में घुस जाएं तो टिड्डी की तरह पल भर में खेत को साफ कर देते हैं। तंग आया किसान भुखमरी की कगार पर है येन-केन प्रकारेण फसल की सुरक्षा हेतु खेतों पर 24 घंटे बिताने के बाद भी फसलों में नुकसान हो रहा है।
जगराम सिंह 55 वर्षीय कहते हैं कि- “रात को भी जागे दिन को भी जागें 24 घंटे ड्यूटी, 40 से 100-100 गांयन के टेना हम गरीब के खेतों को चुनें डालत हैं, हम गैर पढ़े लिखे हैं शिकायत करन कहां जाएं, हम हाथ जोड़कर प्रार्थना सरकार साहब से करत हैं कि गौशाला खुलवा कर इनको इंतजाम करो जाए। तो बाबूजी सरकार की बड़ी मेहरबानी हुयहै।” रमेश उम्र करीब 50 वर्ष बताते हैं कि- “जा कहे साहब गायन को इंतजाम हो जाए वरना तो हम सब भूखन मर जैहैं, गौशाला न सुर्वे सें रात दिन नहीं सोए पात दद्दा गायन को इंतजाम हो जाए बस यही प्रार्थना सरकार से है।” प्यारेलाल/जगत नारायण बताते हैं कि “जब यहीं परत हैं ठंड लगत तो रखवाली खूब करत है और अगर गर्म रजाई ओढ़ के पर रहें तो सोय जैहैं। बस सोए गए तो फसल सब खतम, बीवी बच्चा और हम सब भूखंनन मर जैंहैं। हम बिना पढ़े लिखे अंगूठा टेक मजदूर गरीब हैं शिकायतऊ करन कहां जाएं, बोटन वाले आत हैं वोट हांथ जोड़ मांग लेत बनन के बाद शक्लऊ दिखान नहीं आत।”
पूर्व उप जिलाधिकारी इंद्रजीत सिंह आईएएस का भरपूर प्रयास रहा कि क्षेत्र में गौशाला ज्यादा से ज्यादा बनवाई जाएं लेकिन उसमें भी कोई ना कोई उलझनों के चलते गौशालाएं स्थापित नहीं हो पाईं और आवारा गोवंश स्वच्छंद विचरण कर किसानों के ऊपर आघात करने में नहीं चुकेते। इन आवारा पशुओं से जहां एक तरफ किसानों की फसल नष्ट होती है वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर वाहन टकरा जाने से वाहन चालक हताहत ही नहीं होते बल्कि जान से भी हाथ धो बैठते हैं।