Monday, November 18, 2024
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09 दिवसीय विराट किसान मेला का तृतीय दिवस

प्रयागराज। कृषि विभाग द्वारा 09 दिवसीय विराट किसान मेले के तृतीय दिवस का प्रारम्भ मुख्य अतिथि विजय सिंह, पूर्व उप कृषि निदेशक प्रयागराज रहे। विराट किसान मेला में पूर्व दिनों की भांति कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि यंत्रों एवं फार्म मशीनरी सहित लगभग 80 विभागों/संस्थाओं द्वारा लगाये गये स्टालों का कृषकों ने अवलोकन कर तकनीकी जानकारी प्राप्त करते हुए खरीददारी भी की गयी।
मेले में आये हुए कृषकों, वैज्ञानिकों एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों का स्वागत करते हुए विनोद कुमार, उप कृषि निदेशक प्रयागराज द्वारा बताया गया कि कृषक पहले जैविक विधि से खेती कर उत्पादनं करते थे और निरोग रहते थे। देशी गाय के 100 ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं जो आपके खेती में पोषक तत्व संहित रहते हैं। जैविक और प्राकृतिक की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रहे है सरकार कई योजनाएं भी संचालित कर रही है। कृषि विभाग सभी अबाध राजस्व ग्रामों में एक-एक वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाने पर सरकार अनुदान दे रही है। जनपद में 4000 वर्मी कम्पोस्ट यूनिटें बनायी जा चुकी हैं जो सब क्रियाशील हैं। पशुओं का बचा चारा, धान की पुवाल व गोबर, मूत्र, बिछावन आदि एकत्र कर 45 दिन में सडा़कर बढ़िया जैविक खाद बनायी जा सकती है। कम्बाइन हार्वेस्टर से हम धान की कटाई करते हैं तथा पुवाल को हम बेकार समझकर जला देते हैं जिससे वायुमण्डल भी प्रदूषित होता है तथा मिट्टी की उर्वरता कम हो जा रही है। यदि हम उसे छोटे-छोटे टुकड़े मिट्टी में मिला दे तथा उसमें बायो डी-कम्पोजर का छिड़काव कर दे ंतो कार्बनिक खाद बन जायेगी, जो मिट्टी के लिए लाभप्रद होगा। यदि फसल का वेस्ट या पुवाल को हम सड़ा देते है तो निश्चित रूप से उससे जैविक और कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में बढ़ेगें 0.8 प्रतिशत कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में होना आवश्यक है तभी मृदा स्वस्थ मानी जाती हैं तथा जल धारण करने की क्षमता अधिक होगी। नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत इसमें गंगा के किनारे 137 ग्राम पंचायतें तथा 112 न्याय पंचायतें है इस प्रयोजन में जैविक और प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का झुकाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। नमामिगंगे योजनान्तर्ग इन ग्रामों के माध्यम से जैविक एवं प्राकृतिक खेती अपनाने की प्रक्रिया जारी है, जिससे वातावरण व जल सर्वथा शुद्ध रहेगा तथा उससे पैदा हुए उत्पाद विषमुक्त होंगे। जैविक से जो उत्पाद तैयार होगा वह बाजार मूल्य के तीन गुना से अधिक के मूल्यों पर बिकते है जिससे किसानों की आय बढ़ेंगी।
प्रो0 श्री रमेश पाण्डेय शुआटस नैनी, प्रयागराज द्वारा पशुपालन पर बताया गया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारी संस्कृति, हमारा साहित्य, हमारी जीवनशैली रोम-रोम में बसी हुई है। खेती और पशुपालन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जिनको अलग नहीं किया जा सकता है। पशुओं के गोबर को सड़ाकर जो खाद मिट्टी में डाली जा रही है उससे अधिक उत्पादन पैदा होता है जो मानव के लिये हितकारी होगी। गाय पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन ही पशुपालन से लाभ प्राप्ति के प्रमुखतः तीन स्तम्भ हैं। पशुओं की सही नस्ल व प्रजनन की व्यवस्था करके ही पशुपालन से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
डाॅ0 अजय कुमार वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, नैनी, द्वारा कृषकों को जानकारी देते हुए बताया गया कि रासयनिक उर्वरक के प्रयोग से लाभकारी जीवाणु नष्ट होते चले गये। मिट्टी का परीक्षण कराने के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र, नैनी में परीक्षण कराये जाते हैं जहाॅं जीवांश कार्बन की मात्रा निम्न स्तर पर पहुॅंच गयी हैं, जिससे हमारे जीवाणु पनप पा रहे हैं।, किसानों के लिये उसकी भूमि ही आधार हैं जिसे हम धरती माता कहते हैं। यदि हमारे जमीन के अन्दर लाभकारी जीव न हो तो वह मृत है। यही कारण है कि हमारे भूमि के अन्दर जीवांश की मात्रा खत्म होती जा रही है। पौधों की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता हैं। वर्तमान में एकीकृत तत्व प्रबंधन के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य व उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
आर0पी0 राय मुख्य पशुचिकित्साधिकारी प्रयागराज द्वारा बताया गया कि कृषि के साथ पशुपालन का समन्वय करके आय को दोगुना करना सम्भव है इसके लिये सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषकों को लाभ प्रदान किया जा रहा है।
विजय सिंह, पूर्व उप कृषि निदेशक, प्रयागराज द्वारा बताया गया कि सर्वप्रथम यू0पी0 में काला चावल 10 हजार कुन्तल चन्दौली में उत्पादन हुआ जिसका परीक्षण इंडियन इंस्टीट्यट टेक्नोलाजी से कराया गया थां। काला चावल में जिंक, आयरन अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है जो मानव स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त लाभदायक होता है। जनपद चन्दौली में एक समिति बनाकर काला चावल का सर्व प्रथम उत्पादन प्रारम्भ हुआ।
विराट किसान मेला में कृषि विभाग के साथ-साथ अन्य सभी सहयोगी विभागों के मण्डल/जनपद स्तरीय अधिकारी तथा दूर दराज के क्षेत्रों से किसानों को उप कृषि निदेशक, प्रयागराज विनोद कुमार द्वारा सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि का अनुश्रवण एंव व्यापक प्रचार -प्रसार करने का अनुरोध करते हुये समस्त अतिथियों एवं कृषकों को आभार प्रकट करते हुये तृतीय दिवस का समापन किया गया।