लखनऊ। विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020 पर केंद्र सरकार को 350 से अधिक आपत्ति और सुझाव प्राप्त हुए सरकार उसका करे खुलाशा क्योंकी ज्यादातर का मत निजीकरण के खिलाफ।
उपभोक्ता परिषद् ने केंद्र सरकार ऊर्जा मंत्रालय को निजीकरण पर दी खुली बहस की चुनौती कहा निजीकरण देश के उपभोक्ताओं के हित में बिलकुल नहीं है उपभोक्ता परिषद् के पास सरकारी क्षेत्र में बिजली क्षेत्र को सुधार करने का पूरा मॉडल तैयार है सरकार चाहे तो उपभोक्ता परिषद् सौपने को तैयार है।
विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020 का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा पटल पर रखकर जल्दबाजी में पास करने की कोशिश पूरी तरह उपभोक्ता विरोधी कार्यवाही को दर्शाता है। सरकार खुद मान रही है की केंद्र सरकार को 350 से अधिक आपत्ति और सुझाव प्राप्त हुए उसके आधार पर विधेयक में संशोधन किया जाएगा सरकार की पूरी मंशा इस विधेयक को पास कराकर निजीकरण के रास्ते को खोलना है। वास्तव में सरकार की नियत साफ है तो सरकार 350 जो आपत्ति और सुझाव प्राप्त हुए है उनका खुलाशा किया जाय और सरकार उसको पब्लिक डोमेन में डाले जिससे देश प्रदेश के करोड़ो उपभोक्ताओं को यह पता चल सके देश के बिजली जानकारों बुद्धजीवियो का मंतव्य निजीकरण पर क्या है? और सरकार उसके आधार पर संसद में बहस कराए और बिल में संशोधन करे क्यों की पूरे देश के ऊर्जा जानकर उपभोक्ता संघटन इस विधेयक के विरोध में खड़े है फिर सरकार जल्दबाजी में बिल पास करने के जुगत में लगी है जो पूरी तरह उपभोक्ता विरोधी कार्यवाही को दर्शाता है।
उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सरकार कहती है की बिजली क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कायम करने के लिए उपभोक्ताओं को विकल्प देना जरूरी है ऐसे में निजीकरण का ही विकल्प क्यों सरकार को अगर विकल्प देने का मन ही है तो एक ही लाइसेंसी क्षेत्र में कई सरकारी कंपनी बनाकर विकल्प क्यों नहीं दिये जाने की बात हो रही केवल निजीकरण के लिए विधेयक में संशोधन से यह सिद्ध हो रहा है की सरकार विजली क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है हम केंद्र व राज्य सरकार से इस मुद्दे पर खुली बहस के लिए तैयार है की निजीकरण उपभोक्ता हित्त में नहीं है सरकार देश में किसी भी ऊर्जा विशेषयज्ञ को इस बहस में शमिल कर सकती है उपभोक्ता परिषद् के पास ऊर्जा क्षेत्र को सार्वजानिक क्षेत्र में सुधारा जा सकता है की पूरी रूप रेखा और मॉडल तैयार है सरकार चाहे तो उपभोक्ता परिषद् उसे पूरा मॉडल सौप सकता है।
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