हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान में विमर्श विविधा के अंतर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत सादगी, साहस और संघर्ष के साक्षी राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती पर संस्था के अध्यक्ष डाक्टर भवानीदीन ने कहा की टंडन जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। यह प्रारंभ से ही राष्ट्र सेवी थे। पुरुषोत्तम दास टंडन 1904 से भारतीय राजनीति में आये। टंडन जी का आजादी के संघर्ष में भी बहुत बड़ा योगदान रहा। टंडन जी की गांधीजी के असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय सहभागिता रही। इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। पुरुषोत्तम दास टंडन एक राष्ट्र नेता, हिंदी के अनन्य सेवक, उच्च कोटि के रचना धर्मी और पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 1 अगस्त 1882 को इलाहाबाद में हुआ था और यह अपने जीवन के आठ दशकों में हमेशा देश की सेवा में लगे रहे। टंडन जी ब्रिटिश कालीन विधानसभा के अध्यक्ष रहे। उसके पश्चात लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे। इनकी राष्ट्र के प्रति समर्पित सेवा के कारण भारत सरकार ने 1961 में उन्हें भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया। यह हमेशा देश सेवा में लगे रहे। कालांतर में इनका 1 जुलाई 1962 को निधन हो गया। कार्यक्रम में अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, राजकुमार सोनी, अशोक अवस्थी, रमेश चंद्र गुप्ता, आयुष गुप्ता, दिलीप अवस्थी और अनीस अहमद आदि उपस्थित रहे।