हमीरपुर। जनपद में स्कूलों के खुलने के साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम सक्रिय हो गई हैं। एक सितंबर से एक बार फिर स्कूली बच्चों की सेहत की जांच का खाका तैयार किया जा रहा है। इसके लिए सातों ब्लाक की आरबीएसके टीम माइक्रोप्लान बनाने में जुट गई हैं।
कोरोना से बच्चों को सुरक्षित बनाने के लिए स्कूलों को बंद कर दिया था। इसी माह से कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक के स्कूलों को खोलने के आदेश जारी किए हैं। हालांकि सभी स्कूलों में पचास फीसदी बच्चों को ही बुलाया जा रहा है और इसके लिए दो शिफ्ट में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
आरबीएसके के नोडल अधिकारी / एसीएमओ डॉ. आरके यादव ने बताया कि एक सितंबर से कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की जांच टीम द्वारा की जाएगी। इसके लिए समस्त ब्लाक की टीम ने माइक्रोप्लान बनाने शुरू कर दिए हैं। एक सितंबर से कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक के स्कूलों के भी खुलने की संभावना है। उक्त कक्षाओं के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर अभी शासन स्तर से किसी तरह की कोई गाइडलाइन नहीं आई है, जैसे गाइडलाइन आएगी, उसका पालन कराया जाएगा। आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर गौरीश राज पाल ने बताया कि वर्ष में एक बार स्कूलों और दो बार आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण कर पंजीकृत बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती हैं। आरबीएसके के माध्यम से कुल 44 किस्म की बीमारियों में से किसी बीमारी से ग्रसित मिलने वाले बच्चों का निःशुल्क उपचार कराया जाता है।
क्या करता है आरबीएसके
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शून्य से 19 साल तक के बच्चों के इलाज के लिए काम करता है। चार डी यानी चार तरह के विकार (डिफेक्ट) सहित कुल 44 बीमारियों के लिए परामर्श के साथ इलाज एकदम मुफ्त होता है। इसमें हृदय रोग, जन्मजात बहरापन, मोतियाबिंद, कटे होंठ-तालू, टेढ़े पैर, एनीमिया, दांत टेढ़े-मेढ़े होना, बिहैवियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, डाउन सिंड्रोम, हाइड्रो सिफलिस, स्किन रोग अन्य सामान्य बीमारियां प्रमुख हैं। आरबीएसके इन बीमारियों से चिन्हित बच्चों का निरूशुल्क इलाज, ऑपरेशन, प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज व उच्चतम इलाज के लिए कानपुर, झांसी, अलीगढ़ और बांदा में कराता है।