पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। भाजपा की सरकार दुबारा बन गई और मंत्री भी बदल गए लेकिन सरकारी विभाग के कर्मचारियों का रवैया वही दशकों पुराना है। सरकारी बसों में यात्रियों को होने वाली असुविधाएं पिछली ही सरकार की याद दिलाती हैं। यात्री मजबूर होकर उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की बसों में सफर कर रहा है यहां तक कि रोडवेज की कुछ बसों में की जाने वाली अवैध वसूली से भी परेशान होने के बावजूद यात्रियों की मजबूरी है कि इन बसों में वह सफर करे।
बताते हैं कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने बसों का किराया तो बढ़ा दिया गया है, लेकिन यात्रियों की सुविधाओं को लेकर सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। सुविधाहीन पुरानी खटारा बसों में ही सफर करना यात्रियों की मजबूरी बन चुका है। यहां तक कि रोडवेज की बसों में परिचालकों द्वारा यात्रियों से अवैध वसूली की जा रही है हम इसे अवैध वसूली इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यात्रियों को दी जाने वाली किराए की रसीद में यात्रियों से किराए के अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है और उसे पर्ची पर पेन से लिख कर दे दिया जाता है।
यात्री नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं कि बीते दिन वह लखनऊ से प्रयागराज जाने वाली एक बस में रायबरेली से ऊंचाहार जाने के लिए चढ़ा तब परिचालक विवेक द्विवेदी ने उसे 43 रुपए की रसीद दी और उसके टिकट को पर्ची पर 3 रूपए लिखकर उससे 46रुपये का किराया वसूला। परिचालक विवेक द्विवेदी द्वारा यात्री को अतिरिक्त शुल्क 3 रुपये यह बताकर उसे यह अवैध वसूली की गई कि राजमार्ग पर कुछ नए टोल खुल जाने के कारण यह पैसा लिया जा रहा है। परिवहन विभाग की रोडवेज बसों में वसूली जा रही अतिरिक्त शुल्क को यात्री ने अवैध वसूली इसलिए भी बताया क्योंकि 3 महीने पहले 5 जनवरी को भी वह रोडवेज की एक बस में यात्रा कर रहा था तब भी उससे पर्ची पर निर्धारित शुल्क अतिरिक्त 3 रुपये लिखकर लिया गया था। कहा कि यदि यह शुल्क पढ़ाया गया है तो उसे मशीन में फीड क्यों नहीं किया गया। अब यह वसूला जाने वाला अतिरिक्त शुल्क किसकी जेब में जाता है यह तो परिवहन विभाग के अधिकारी और मंत्री ही संज्ञान लें तभी इसमें सुधार हो सकेगा।
परिवहन विभाग के अधिकारियों की मनमानी यहां तक चल रही है कि फोन करने पर कर्मचारी फोन उठाते नहीं और ट्विटर पर भी संबंधित विभाग को टैग करने पर भी कोई जवाब नहीं मिलता है।
प्रदेश सरकार के नए मंत्रिमंडल का गठन होने के बाद परिवहन मंत्री के रूप में तैनात हुए मंत्री ने हाल ही में रोडवेज की बसों में साफ सफाई के लिए निर्देश दिए हैं लेकिन बसों में यात्रियों को होने वाली असुविधाओं और इस धांधली को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।
जबकि यात्रियों से यह अतिरिक्त वसूली लगभग पिछले 4 महीनों से चल रही है रोडवेज की बस के साथ-साथ जनरथ की बसों में भी यही हाल है। यदि अवैध वसूली नहीं है तो क्या इन 4 महीनों में इस किराया को सिस्टम में अपडेट नहीं कर देना चाहिए था।