यह ‘कुमारी’ हमारे आपके सबके परिचय की है। इसे ही कन्या, घृतकुमारी, घीकुआर, ग्वारपाठा, स्थूलदला या ‘एलोएवेरा’ कहते हैं।
कुमारी के बाहर के पत्तों के सूखने पर भी इसके भीतर से नए पल्लव़ आते रहते हैं। यह हमेशा ताजी रहती है, इसलिए इसे कुमारी कहते हैं। हम इसे अपने घर में भी लगा सकते हैं। यदि वनस्पति जड़ के साथ घर में लटका दी जाए फिर भी काफी दिनों तक ताजी रहती है। यह इसकी विशेषता है। इसका पेड़ छोटा होता है, पत्ते लंबे, रसपूर्ण और किनारे से कांटेदार होते हैं। पुराना हो जाने पर इस पेड़ के मध्य से एक डंडी निकलती है और उस पर काले रंग के फूलों का गुच्छा आ जाता है।
घृतकुमारी स्वाद में बहुत कड़वी होती है परंतु शरीर पर इसका षीत प्रभाव पड़ता है।
छोटे बच्चों पर उपयोग
बच्चों में हमेशा भूख और मलवारोध की शिकायत होती है। ऐसी स्थिति में कुमारी के पत्ते अच्छी तरह धोकर कुकर में उबाल लें। थोड़ा ठंडा होने पर साफ कपड़े में रखकर इसका रस निकाल लें। इस प्रकार निकाला गया एक चम्मच रस आधे चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार रोगी को दें। यह पाचक पित्त को सुधारकर धीरे-धीरे भूख को बढ़ाता है।
बहुत से बच्चों में मिट्टी खाने की आदत होती है, इससे उन्हें पेट दर्द की शिकायत रहती है। ऐसे बच्चों की मलपरीक्षा करने पर उनमें सूतकृमि पाए जाते हैं। इस रोग में कुमारी आसव काफी लाभप्रद है। सूतकृमियों को पूर्णतया नष्ट करने के लिए कुमारी से तैयार किया हुआ कृष्णबोल के पानी की बस्ती देना चाहिए।
बार-बार होने वाली खांसी, जुकाम से बच्चों की छाती में कफ जम जाता है। खाने की इच्छा नहीं होती। ऐसी स्थित में कुमारी आसव या कुमारी स्वरस का सेवन करना चाहिए।
यकृत-प्लीहा के दोषों में
यकृत या प्लीहा में होने वाली सूजन में कुमारी आसव का ताजा रस या कुमारी आसव लेने से सूजन कम हो जाती है। अवरोध जन्य कामला में कुमारी स्वरस हल्दी डालकर पिलाना चाहिए। गर्मी में नेत्र विकार, आंखों में जलन, आंखों का लाल होना आम शिकायत हो जाती है। इसमें कुमारी का कल्प आंखों पर रखना चाहिए।
नेत्रभिष्यंद, आंखों में चुभन, वेदना जलन जैसे- लक्षण हां तो इसके पत्तों का रस शहद में मिलाकर दो बूंद आंखों में डालने से आराम मिलता है।
स्त्रियों में कुमारी का महत्व
यौवन अवस्था में लड़कियों के चेहरे पर छोटे-छोटे फोड़े-फुंसी (मुंहासे) हो जाते हैं। धीरे-धीरे वह बढ़ने लगते हैं। दबाने से उनमें दर्द होता है। उसे अगर नाखून से खरेचा जाए तो चेहरे पर काले निशान उत्पन्न हो जाते हैं। चेहरा दागनुमां हो जाता है। पेट की खराबी की वजह से भी चेहरे पर फोड़े हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में सिर्फ चेहरे पर दवा लगाने से काम नहीं चलता। पेट की षुद्धि भी आवश्यक है। ऐसे में कुमारी पीना चाहिए और आरोग्यवर्धिनी की गोलियों का सेवन करना चाहिए। साथ ही कुमारी रस का पतला लेप चेहरे पर लगाना चाहिए। सूखने के बाद चेहरे को अच्छी तरह धो लें। 10-15 दिन इस औषधि का सेवन करने से चेहरे के दाग-धब्बे धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। औषधि सेवन के साथ-साथ थोड़ा परहेज भी आवश्यक है, जैसे तली हुई चीजें, खट्टी और ईस्ट वाली चीजें जैसे ब्रेड, इडली आदि का सेवन न करें।
कष्टार्तव
महिलाओं में आमतौर पर रजोनिवृत्ति के समय पेट में दर्द होना, मासिक स्राव कम होना आदि की शिकायत होती है। साथ-साथ मलावरोध की भी शिकायत होती है। इस स्थिति में कृष्णबोल का इस्तेमाल किया जा सकता है। मासिक आने से पूर्व कृष्णबोल तथा त्रिफला चूर्ण एक साथ लेने से मासिक में होनेवाले कष्टों में छुटकारा मिलता है। प्रसूति के बाद भी कृष्णबोल देने से गर्भाशय संकोच होने में मदद मिलती है।
स्तनविद्रधि
बालक जब स्तनपान करते हैं, उस समय कभी-कभी जंतुदोष से स्तनों में सूजन आ जाती है। दर्द होने लगता है। ऐसे में कुमारी का लेप लगाने से लाभ होता है और कुमारी खाने के लिए दी जाती है।
कुमारी में बना तेल अगर रोजाना इस्तेमाल किया जाए तो बाल, काले, घने और सुंदर बनते हैं।
घृतकुमारी के इतने लाभ जानने के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति इसका पेड़ घर में लगाना चाहे तो कोई आश्चर्य नहीं।
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम