Friday, May 3, 2024
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पैदल चलिए, मोटापा घटाएं

बदन का भारी होना, मोटापा, भोजन का ठीक से एवं समय से न पचना तथा कब्ज की षिकायत का आए दिन बने रहना, खट्टी डकारें, छाती की जलन, गैस, थकान एवं बदन के जोड़-जोड में दर्द और अकड़न का रहना इन तमाम षिकायतों का एक ही सटीक इलाज है- घूमना यानी पैदल चलना। आज जब इंसान भौतिक सुख-सुविधाओं की लिप्सा एवं दौड़भाग में पड़ा है, उसके पास वक्त की निहायत कमी हो गई है। जरा भी कहीं चार कदम भी चलना पड़ता है, तो वह गाड़ी, स्कूटर की जरुरत महसूस करता है। आज की जीवनचर्या ही कुछ ऐसी हो गई है कि व्यक्ति के काफी कुछ काम बैठे-बैठे हो जाते हैं तथा बचा-खुचा वक्त टी.वी. या बिस्तर पर बीत जाता है। भोजन सादा हो या गरिष्ठ, उसे पचाने का उपाय है एक-श्रम या सक्रिय जीवनषैली अपनाना ताकि षरीर भोजन से प्राप्त कैलोरी को खपा सके और षरीर को षक्ति, ऊर्जा प्राप्त हो। पोषक आहार एवं सक्रिय जीवन प्रणाली अपनाकर यानी ज्यादा से ज्यादा काम खुद करके, पैदल ज्यादा चलकर पूरे षरीर को स्वस्थ एवं चेतन बनाए रखा जा सकता है। नियमित व्यायाम करने का बंधन यदि निभ न पाए और व्यायाम के लिए अतिरिक्त वक्त न मिले, तो यह चेष्टा करनी चाहिए कि जहां तक संभव हो, पैदल ज्यादा से ज्यादा चला जाए, बाजार का काम, बच्चों को स्कूल छोड़ना और लेकर आना। सीढ़ियां- चढ़ना ज्यादा से ज्यादा किया जाए एवं चेष्टा की जाए कि स्कूटर-गाड़ी पर कम से कम चढ़ा जाए। पैदल चलना किसी भी तरह के व्यायाम से कहीं ज्यादा प्रभावषाली तथा लाभदायक है क्योंकि इससे संपूर्ण षरीर ही क्रियाषील हो हरकत में आ जाता है। रक्त-संचार तेज होता है, बदन गठाव लेता है, अतिरिक्त चर्बी घटती है। घूमना न हो, तो तेज चाल से चलना चाहिए। यह सामान्य चाल से चलना भर है। धूमने के तमाम लाभ हैंः-
घूमना हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकरी है। घूमने से षरीर की तमाम मांसपेषियां सक्रिय हो जाती हैं, रक्त प्रवाह में तेजी आती है। पैदल चलते समय पांवों पर पूरे षरीर का वजन पड़ता है, अतः पांवों एवं पिण्डलियों की मांसपेषियों में सुडौलता, मजबूती आती है। इससे पांव सुडौल एवं खूबसूरत बने रहते हैं, इनकी मांसपेषियों का व्यायाम खुद-ब-खुद हो जाता है। चलने से पूरे षरीर का रक्त-संचार तेज होता है-दिल एवं फेफडे़ अपना काम ज्यादा कुषलता से कर पाते हैं। रक्त-प्रवाह होने के कारण धमनियों में रक्त के थक्के जमने नहीं पाते एवं दिल के रोग होने की संभावना कम होती है। मधुमेह रोगियों को, तनाव के रागियों को तथा रक्तचाप के रोगियों को डॉक्टर सैर करना जरुरी बताते हैं। सुबह की सैर से तो ऑक्सीजन पहुंच जाती है, इससे षरीर चुस्त-दुरुस्त एवं फुर्तीला बना रहता है, थकावट नहीं घेरती। ऑक्सीजन भरपूर मिलने के कारण दिमागी तनाव भी बढ़ता है। मस्तिष्क की कुषलता, कार्यक्षमता का न केवल विकास होता है वरन् स्वस्थ मानसिकता भी पैदा होती है, तनाव हटता है। मन हल्का एवं उत्फुल्ल बना रहता है। एक अकेले सुबह की सैर व्यक्ति को पूरा दिन चुस्त तथा हल्का-फुल्का बनाए रखने में समर्थ है। पैदल चलना न केवल पूरे षरीर को सुडौलता एवं गठाव देता है वरन् यह पाचन को भी ठीक रखता है। पाचन दुरुस्त रहता है तो गैस, भारीपन नहीं होता तथा खाए भोजन का रस षरीर को लगता है, षरीर षक्ति महसूस करता है, कभी मिर्च-मसालों का तला-भुना भोजन कर भी लिया जाए, तो सुबह की सीमित सैर पेट खराब नहीं होने देती।
रोज नियमित पैदल चलने वालों को मोटापा नहीं घेरता। ठीक रफ्तार से चलने वालों को मोटापा नहीं घेरता। ठीक रफ्तार से चलने वालों पर प्रति एक घंटा 150 कैलारी की खपत होती है। पैदल चलना निष्चय ही प्राकृतिक व्यायाम है जिसके लाभ ही लाभ हैं। गृहिणियां तो छिटपुट बाजार का काम पैदल करके जहां पैसा बचा सकती हैं, वहीं एक पंथ दो काज भी कर सकती हैं अपना स्वास्थ्य बनाना एवं मनचाही वस्तु स्वयं खरीदकर लाना। पैदल चलना हर दृष्टि से लाभप्रद है। बस गाड़ी, स्कूटर का मोह छोड़कर इसे ही जीवन का महत्वपूर्ण संयम बना लेने भर की देर है।
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम