Thursday, May 2, 2024
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गिरता रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होते जा रहा है क्योंकि बाजार में डॉलर की मांग ज्यादा है काफी समय से मंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और अन्य देशों की तुलना में भारत का रुपया तेजी से गिर रहा है हम जितना निर्यात करते हैं उससे ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं करीब 83% डॉलर में वस्तुओं का आयात करते हैं और 14% निर्यात करते हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉलर क्यों मजबूत हो रहा है।
दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि निवेशकों का मोहभंग हो रहा है और विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं। कारण कि भारत की तुलना में अमेरिका की ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। निवेश में गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजार में भी निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग कम हो गई है।कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी भी डॉलर को मजबूत कर रही है। घटते निर्यात के कारण विदेशी मुद्रा का खजाना लगभग खाली होते जा रहा है। कच्चे तेल का भाव बढ़ते जा रहे हैं और उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसा नहीं है कि डॉलर के मुकाबले सिर्फ रुपया ही कमजोर हुआ है दुनिया की सभी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई है।
रुपया गिरने और डॉलर मजबूत होने का एक प्रमुख घटक हमारे युवाओं का विदेशों में पढ़ने के लिए जाना है क्योंकि जब ये देश से बाहर जाते हैं तब बैंकों से डालर लेकर विदेशी शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेना पड़ता है। अगर चालू साल की बात करें तो मार्च तक करीब 1.33 लाख भारतीय विद्यार्थी दुनिया में अलग-अलग देशों में पढ़ने के लिए निकल गए। 2021 में यह आंकड़ा 4 .44 लाख के आसपास था। 2020 में 2.59 था और 2018-19 के दौरान 6.20 लाख बच्चे बाहर पढ़ने के लिए गये और साल 2017-18 में यह आंकड़ा 7.86 लाख रहा।रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण हजारों बच्चे वहां फंस गए यदि हमारे यहां है मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरे कोर्स के डिग्री दिलाने वाले पेशेवर कॉलेज खुल जाए तो इन बच्चों को विदेशों में पढ़ाई करने के लिए जाना और अरबों रुपए की विदेशी मुद्रा व्यय रोका जा सकता है।इधर कुछ दशकों में खाड़ी में बसे भारतीय विदेशी मुद्रा भंडारण में काफी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। वह हर साल अरबों रुपए भारत भेजते हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत ने विदेशों में बसे भारतीयों से व अन्य रास्तों से 87 अरब रुपए प्राप्त किए। जितनी विदेशी मुद्रा भारतीय अपने देश में भेजते उतना किसी अन्य देश के नागरिक नहीं भेजते हैं।मेडिकल टूरिज्म भी विदेशी मुद्रा कमाने का विकल्प हो सकता है। मेडिकल क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को इस क्षेत्र में विकल्प तलाशने होंगे। साल 2015 में 2.34 लाख और 2016 में 4.27 लाख विदेशों से रोगी इलाज के लिए भारत आए। इसमें बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले रोगियों का आंकड़ा अधिक था। अफगानिस्तान में 2017 में 53,687 रोगी इलाज के लिए भारत में आए। भारत में अमेरिका, जापान और यूरोप की तुलना में सस्ता इलाज है और चिकित्सा तकनीक, उपकरण उत्तम है जिसकी वजह से यहां विदेशी इलाज करवाने आते हैं। जब हमारा विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है और हम हमारा रुपया कमजोर हो रहा है तो हमें नए विकल्प तलाशने ही होंगे।
आज जरूरी हो गया है कि भारत में विदेशी निवेश बढ़े और साथ ही भारत अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हो। भारत की चिंता यह है कि उसका आयत ज्यादा है और वह अधिक महंगा हो जाएगा। कयास लगाया जा रहा है कि रुपया अभी और गिरेगा। यदि हम अभी संभले नहीं तो फिर श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे हालत होने में देर नहीं लगेगी।

प्रियंका वरमा माहेश्वरी
गुजरात