Tuesday, April 30, 2024
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उजागर हो रही डलमऊ नगर पंचायत की लापरवाही

⇒लाख कोशिशों के बाद भी नहीं पूरी हो सकीं मेला परिसर की व्यवस्थाएं
⇒डलमऊ घाट पर अब भी लगा गंदगी का अंबार
⇒मुख्य मार्गों पर भी जंगली बबूल और उगी हुई झाड़ियां
पवन कुमार गुप्ताः डलमऊ, रायबरेली। जिले का ऐतिहासिक प्रांतीय कार्तिक पूर्णिमा मेला जिसे देखने के लिए दूर दराज से भी लोग आते हैं। लेकिन डलमऊ क्षेत्र की अव्यवस्थाओं को देखते हुए यह ऐतिहासिक मेला अब करीब कई वर्ष पीछे चला गया। भाजपा सरकार के आते ही पिछले वर्ष 2021 में डलमऊ का ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेला प्रांतीय मेला घोषित हुआ था। लेकिन मौजूदा समय में हो रही मेले की तैयारियों से क्षेत्रीय लोग अनुमान लगा रहे हैं कि डलमऊ का यह ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेला में जो तैयारियां इस समय हो रही हैं, उसे देखते हुए यह ऐतिहासिक मेला अब करीब सैकड़ों वर्ष पीछे हो गया। गौरतलब है कि यह बातें हम नहीं कह रहे हैं यह डलमऊ क्षेत्र की स्थानीय जनता कह रही है।
इसी बात को लेकर जब डलमऊ क्षेत्र और गंगा घाट के आसपास का मुआयना किया गया, तब देखा गया कि स्नान घाटों से लेकर मुख्य मार्गों तक जंगली बबूल और झाड़ियां उगी हुई हैं। जिसकी अभी तक साफ सफाई नहीं कराई गई। मेले में वीआईपी क्षेत्र मेला कोतवाली और श्मशान घाट पर हैंडपंप तो लगे हैं लेकिन उनसे पानी की उम्मीद करना व्यर्थ है। बता दें कि अभी तक हैंडपंपों को रिबोर नहीं कराया गया है। ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन को भी बूंद बूंद पानी के लिए प्यासे ही भटकना पड़ेगा। स्थानीय लोगों का भी कहना है जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी की वजह से इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा मेले में पहले जैसी रौनक नहीं दिखाई दे रही। डलमऊ गंगा घाट ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेले की वजह से ही जाना जाता है। इस मेले में वाहनों के साथ-साथ भारी संख्या में लोग बैलगाडियां लेकर भी आती हैं, जो कि मेले की प्राचीन परंपरा की शोभा बढ़ाते हैं। प्रशासन इस वर्ष साफ-सफाई को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहा। जिलाधिकारी ने मेला परिसर और क्षेत्र का भ्रमण भी किया संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए परंतु उसके बावजूद भी मेले में चारों ओर अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है।
लोगों का मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा मेला की तैयारियां शून्य हैं। डलमऊ गंगा घाट पर 3 नवंबर से ही दुकानदारों का आना-जाना लग गया है। 5 और 6 नवंबर को मेला क्षेत्र में श्रद्धालु अपना डेरा डाल देंगे। 7 नवंबर को डलमऊ महोत्सव मेला का उद्घाटन होगा। 8 नवंबर को पूर्णिमा है जिसमें लगभग 15 से 20 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लग रहा है, लेकिन तैयारियों से ज्यादा मेला क्षेत्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है।
स्थानीय जनता डलमऊ गंगा घाट और क्षेत्र में इन अव्यवस्थाओं का जिम्मेदार नगर पंचायत को ठहरा रही है। नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा मेले की तैयारियों के नाम पर महज खानापूर्ति की गई।