Sunday, May 5, 2024
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तेरे बगैर मेरा गुजारा नहीं हुआ…हम जो भी चाहते थे हमारा नहीं हुआ…

⇒साहेब स्मृति फाउंडेशन द्वारा जश्न ए मौजशाही का शानदार आगाज
कान्ति शरण निगमः कानपुर। एक नक्श है ख्याल में उसको संवार दो, तुम खुद को मेरे साथ जमीं पर उतार दो, देखो जरा ये दिल की तलब चाहता है क्या, जर्रे को जर्रा रहने दो लेकिन संवार दो। उक्त हुजूरे साहेब के पाक कलाम खानकाह के सूफी गजल गायक प्रदीप श्रीवास्तव ने साहेब स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित एकादश जश्न ए मौजशाही कवि सम्मेलन एवं मुशायरा के मौके पर प्रस्तुत किया। सूफी गायन के बाद फाउंडेशन की संस्थापिका डाक्टर इरा मिश्रा जिन्हे माई साहिबा के नाम से लोग जानते हैं, इनके द्वारा ‘मसनवी आजाद कलंदर’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। झूठ की पैरवी मत किया कीजिए, इतनी बेहूदगी मत किया कीजिए, देखिए सब अंधेरे नुमायां हुए, इस कदर रौशनी मत किया कीजिए…कवि मनीष शुक्ला द्वारा राजनीतिक कटाक्ष से भरे व्यंग से महफिल में वाह वाह क्या बात है की गूंज से समां बांध लिया। नईम रशीद, अना देहलवी, राजीव रियाज, मुकेश आलम, अख्तर काज़ी, असलम राशिद, नुसरत मेहदी, नाज प्रतापगढ़ी आदि कई कवियों और शायरों ने अपनी बेहतरीन शायरी से मुशायरा की महफिल को रौनक किया। देर रात तक चले मुशायरे की निजामत लखनऊ से आए डाक्टर नैय्यर जलाल पुरी ने की।