फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के तत्वावधान में आयोजित संत सम्मेलन में दूसरे दिन मनीषी संतो द्वारा संस्कार और चरित्र पर व्याख्या करते हुए कहा गया कि संस्कार विहीन मनुष्य को कोई भी वेद शास्त्र शुद्ध नहीं कर सकते। इसीलिए हम सभी को संस्कार शुद्ध कराने की आवश्यकता है।
रामलीला मैदान में आयोजित संत सम्मेलन में सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि आज कल के भौतिक युग के बदलते परिवेश में बच्चों में संस्कार का ह्रास हो रहा है। आवश्यकता है कि है हम अपने बच्चों को संस्कार देकर उनके अच्छे चरित्र का निर्माण भी करें। संस्कारों का ह्रास होने के कारण ही है कि आजकल माता पिता की सेवा करने से भी बच्चे बचना चाहते हैं। इसी कारण मजबूर माता-पिता वृद्ध आश्रम का सहारा ले रहे हैं। चरित्र निर्माण की कमी के कारण ही बच्चे सही रास्ते से भटक रहे हैं। स्वामी शुकदेवानंद महाराज ने कहा कि अपने वृद्धों का सम्मान करना चाहिए। वृद्ध आश्रम में अधिकांश तौर पर संपन्न परिवारों के ही मां-बाप देखे जाते हैं, आज की शिक्षा व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा वह शिक्षा बेकार है जो संस्कार और चरित्र का निर्माण नहीं कर सके, जो अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना नहीं सिखा पाती है। सम्मेलन में स्वामी प्रणवानंद, भारतान्न्द, अनंतानंद, प्रज्ञानंद, प्रीतम दास आदि संतों द्वारा धर्म पर चर्चा की गई। इस दौरान परीक्षित धर्मेंद्र शर्मा, यज्ञ पति राकेश यादव, प्रकाश शर्मा, लल्ला चौधरी, अशोक यादव, प्रवीन अग्रवाल, शिवनारायण यादव, कुंवर सिंह परमार, अश्वनी शर्मा, अनुग्रह गोपाल, अरुण शर्मा आदि मौजूद रहे।