Saturday, September 21, 2024
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उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ने 12वें दीक्षान्त में किया प्रतिभाग

मथुरा। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उ0प्र0 पं0 दीनदयाल उपाध्याय विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान (दुवासु) के 12वें दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया। महामहिम राज्यपाल जी ने मथुरा वासियों को होली की शुभकामनायें दी और कहा कि यह ब्रजभूमि है, जिसमें श्रीराधाकृष्ण की आलौकिक जीवन का सौन्दर्य देखने को मिलता है। ब्रज की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है तथा ब्रज में होली कई दिनों तक मनायी जाती है। मथुरा नगरी को सूरदास, स्वामी हरिदास तथा रसखान जैसे महानकवियों की जन्मस्थली होने का गौरव है।
किसी भी देश की प्रगति तथा उपलब्धियां उस देश के नागरिकों के शैक्षिक स्तर, शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता, स्वच्छता तथा सामाजिक उन्नति से आंकी जाती है। विश्वविद्यालयों को वैश्विक पहचान बनाने की दशा में प्रयास करने चाहिए। उ0प्र0 पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान (दुवासु) के पूर्व छात्र डॉ0 महेन्द्र पाल को अभियांत्रिकी एवं विज्ञान के क्षेत्र में सराहनीय योगदान हेतु भारत सरकार द्वारा पदमश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया है, अधिष्ठाता प्रोफेसर पीके शुक्ला व डॉ0 मुकुल आनंद का चयन भारत सरकार के मत्स्य पशु पालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा दुग्ध क्षेत्र की राष्ट्रीय सलाहकार समिति में नामित होना इस विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है।पशुपालन किसी भी राष्ट्र की एक बड़ी सम्पत्ति होती है। पशुपालन हमारे देश की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। पशुपालन के विकास हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है, जिसका उदाहरण राष्ट्रीय कामधेनु आयोग है, जो गाय और गोवंशों की देखभाल व उससे जुड़े नियमों को प्रभावी तरीके से लागू करवाने के लिए तत्पर है। सरकार द्वारा पशुपालन क्षेत्र में घर पर ही इलाज, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भधान, ऋण आदि उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसानों की आमदनी दोगुनी हो रही है। सरकार के विभिन्न प्रयासों से देश में दुग्ध उत्पादन का प्रतिशत बढ़ा है और आज भारत दुनिया का 22 प्रतिशत से अधिक दुग्ध उत्पादन करता है।
दीक्षांत समारोह में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को बुलाने का एक उददेश्य है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था जो टुकड़ों में बांटी गई है, जिसमें हायर एजुकेशन वालों को यह नहीं पता कि आंगनबाड़ी में क्या चल रहा है तथा आंगनबाड़ी को यह नहीं पता की विश्वविद्यालय में क्या चल रहा है। इसलिए दोनों में समन्वय, विचारों का आदान प्रदान होना अतिआवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को रूचि के अनुसार अपना भविष्य तय करना चाहिए। परिवारजनों को अपने बच्चों के भविष्य हेतु उनके रूचि अनुसार सही दिशा, मार्गदर्शन एवं सहभागिता दिखानी चाहिए। युवा धन को सही दिशा दिखानी चाहिए और उन्हें सोसायटी, आस पड़ोस, मित्रों आदि के कहने पर अपने रूचि के प्रतिकूल नहीं जाना चाहिए।
विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि वह आंगनबाड़ी के साथ, छोटे छोटे बच्चों के साथ निरंतर गोष्ठियां करते रहें, प्रतियोगिताऐं करते रहें। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, छात्र छात्राएंे आदि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जाते रहें। आंगनबाड़ी केन्द्रों, प्राथमिक विद्यालयों, उच्च माध्यमिक विद्यालयों आदि में जाकर छात्र छात्राओं से मिलें, उनसे वार्ता करें, उनके भविष्य के लिए दिशा दें, उन्हें बड़ी बड़ी विश्वविद्यालयों में क्या हो रहा है उसके बारे में बतायें। सभी विश्वविद्यालयों को पांच पांच गांव गोद लेना ही है और अगर विश्विद्यालयों को एनएएसी (नेक) एक्रेडेशन में जाना है, तो इन सब गतिविधियों में हिस्सा होना जरूरी है।
श्रीमती पटेल जी ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुविधाओं का अभाव है, यूनिर्वस्टी में लैब हैं, लेकिन छोटे बच्चों के पास खेलने के लिए कुछ नहीं है। खेलने के लिए साधन चाहिए, बैठने के लिए कुर्सी चाहिए, लिखने के लिए टेबिल चाहिए, खाने के लिए छोटी सी प्लेट चाहिए, पानी पीने के लिए छोटा सा गिलास चाहिए और विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करने के लिए शैक्षणिक किट चाहिए। उक्त वस्तुओं के अभाव के कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चे रूचि नहीं लेते हैं। जनपद मथुरा की संस्कृति एवं जीएलए विश्वविद्यालय 100-100 आंगनबाड़ी केन्द्रों को किट उपलब्ध कराने वाले हैं। कम्पनियों के सीएसआर फंड का उपयोग सही ढंग से कर सकते हैं। जिलाधिकारी से वार्ता कर पता चला कि जनपद मथुरा में अधिकारियों द्वारा 131 आंगनबाड़ी केन्द्र गोद लिए गये हैं। केन्द्रों के कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द के बच्चों को सक्षम बनायें और उसे आगे पढ़ाने का प्रयास किया जाये। भारत का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए जो अधिकारी यह काम रहे हैं मैं उनको धन्यवाद देना चाहती हॅू। समाजसेवियों को जोड़ते हुए हमें सामाजिक कार्य निरंतर करने चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि भारत आज जी20 का आगुवाई कर रहा है। जी20 के 20 देशों के पास विश्व की 80 प्रतिशत सम्पत्ति का हिस्सा है, ऐसे बड़े बड़े विश्व के देश आज भारत में आ रहे हैं और 2023 जी20 की अध्यक्षता मा0 प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत कर रहा है, जो एक गौरव की बात है। जी20 की यह बैठक एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की थीम पर आधारित है, जो वसुधैव कुटुम्बकम की भावना जागृत करता है। जी20 की बैठकें विभिन्न जनपदों में हो रही हैं, जिसमें नोएडा, बनारस, आगरा, लखनऊ आदि शामिल हैं। उक्त बैठकों में सभी देश अपने अपने देशों में हो रहे विभिन्न विकासों पर चर्चा करते हैं। आप लोग भी बढ चढ़कर इन चर्चाओं में शामिल हों। विश्वविद्यालय द्वारा किये गये नये नवाचार व रिसर्चों का प्रदर्शन किया जाये।
मन की बात हर महीन के अंत में होती है। प्रधानमंत्री जी ने मन की बात में भारत को खिलौनों के उत्पादन करने एवं भारत को निर्यातक देश बनाने का संदेश दिया था। पहले हम लोग विदेशी खिलौनों का प्रयोग करते थे, लेकिन आज भारत के खिलौने देश विदेश जा रहे हैं। खुशी बातयह है कि जब प्रधानमंत्री जी कुछ बोलते हैं, तो लोग उसे स्वीकार करते हैं और उसमें आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। मा0 प्रधानमंत्री जी ने परम्पागत खेलों को बढ़ावा दिया है, बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे आज यह देखने को मिल रहा है कि भारत के बच्चे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें मोटे अनाज का सेवन करना चाहिए, मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और हमें विभिन्न बीमारियों से दूर रखता है। मा0 प्रधानमंत्री जी ने जब विश्व पटल पर यह प्रस्ताव रखा कि हमें वर्ष 2023 को मोटे अनाज (मिलेट ईयर) के रूप में मनाना चाहिए। तब सभी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और आज पूरा विश्व वर्ष 2023 को मिलेट ईयर के रूप में मना रहा है। प्रधानमंत्री जी ने मोटा अनाज उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया है, जिससे उनकी आमदनी दोगुनी हो रही है।
हर जनपद में 75 तालाब बनायें और पानी का संर्वधन कीजिए। जल संर्वधन के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए, जिससे लाखों लोगों को स्वच्छ जल मिल जाता है। हर विश्वविद्यालय अपनेे कैम्पस में तालाब या जलसंरक्षण का कार्य करें। विश्वविद्यालय अपने कैम्पस में उपयोग होने वाले पानी का आंकलन करते हुए जलसंरक्षण का कार्य करें और फिल्टर करते हुए पेयजल योग्य बनायें, जिससे वह जल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। लड़कियों को सर्वगुण सम्पन्न होना चाहिए। उन्हें पढ़ाई के साथ साथ घरेलू कार्य भी करने चाहिए। संस्कारों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
12वें दीक्षांत समारोह में महामहिम राज्यपाल जी ने 24 छात्रों को गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रांज मेडल प्रदान किये। 131 छात्र छात्राओं को डिग्री प्रदान की, जिसमें बीबीएससी एण्ड एएच के कुल 78 छात्र छात्राएं हैं, जिसमें 53 छात्र एवं 25 छात्राऐं हैं। बीएससी बायोटेक्नोलोजी/इंडस्ट्रीयल माइक्रोबायोलोजी के 30 छात्र छात्राएं हैं, जिसमें 14 छात्र एवं 16 छात्राऐं हैं। एमवीएससी में कुल 20 अभ्यर्थी हैं, जिसमें 06 छात्र एवं 14 छात्राऐं हैं। पीएचडी में 01 छात्र एवं 02 छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई है। इसी क्रम में 10 आंगनबाड़ी केन्द्रों को संसाधन किट प्रदान की है। परिषदीय विद्यालय के 30 विद्यार्थियों को फल एवं पुस्तक भेंट की।
कार्यक्रम में पशुपालन आयुक्त, पशुपालन एवं डेयरी विभाग डॉ0 अभिजीत मित्रा, कुलपति दुवासु प्रोफेसर अनिल कुमार श्रीवास्तव, कुलसचिव दुवासु प्रोफेसर अरूण कुमार मदन मंच पर रहे।