Sunday, June 2, 2024
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लेख/विचार

शीतकाल में सर्दी-जुकाम

इस ऋतु में आमतौर से होने वाले रोगों में से खांसी-जुकाम या सर्दी एक साधारण रोग होता है। वैसे तो सर्दी या खांसी-जुकाम कभी भी और किसी भी कारण से हो सकता है लेकिन शीतकाल में शीत प्रकृति के लोगों को यह रोग प्रायः हो जाता है।
कारणः- आयुर्वेद के मतानुसार खांसी-जुकाम होने का दो प्रधान कारण बताया गया है। एक शरीर में एकत्र होने वाले विजातीय तत्वों का प्रभाव तथा दूसरा अपचपूर्ण आहार-विहार का सेवन माना गया है। पूर्वसंचित विजातीय विकार, कब्ज, श्वास-रोग, टांसिल बढ़ना, शारीरिक कमजोरी आदि कारणों से कितना भी सावधानी रखने पर बार-बार सर्दी- जुकाम हो जाता है।

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बच्चों से न छीने बचपन

विगत वर्षों इंग्लैंड के राजकुमार चार्ल्स की आत्मकथा को लेकर बड़ा बावेल्ला मचा रहा था। मुद्दा था, चार्ल्स द्वारा अपने बचपन की सहज रूप से न जी पाना। हर बात में उनके मां-बाप की दखलंदाजी से उनके व्यक्तित्व की सहजता, सरलता, स्वाभाविकता, मानवीय गुणों को समझाने की परख ही गयब हो गई। पीछे रह गई, कृत्रिमता, दिखावटीपन और बनावटीपन। जिसने उन्हें एक पढ़ा-लिखा साक्षर व्यक्ति बना दिया, पर मानवीय गुणों को, उसके जज्बे को, संबंधों की ऊष्मा की आंच से सर्वथा वंचित रखा।

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कौन फतह करेगा यूपी का चुनावी रण

देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के विधान सभा चनावों का बिगुल बस बजने ही वाला है| सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए हैं| एक ओर जहाँ जनता के बीच लोक लुभावन वादों और तोहफों की बरसात हो रही है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चालू है| लक्ष्य सबका एक है कि सत्ता हर हाल में उन्हें ही मिले| हो भी क्यों न, आखिर राजनीति का उद्देश्य ही आज मात्र सत्ता सुख भोगना है| जन सेवा तो हो ही रही है| बस जन सेवा में निज सेवा की निष्पत्ति होनी चाहिए|

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ये कैसी मानसिकता

लडकियों की इज्ज़त को तार-तार करने वाले बलात्कार जैसे मुद्दे को मजाक बनाकर ये कहना कि अगर रैप रोक नहीं सकते तो लेट कर मजे लो, जब होना ही है तो खुशी-खुशी हो जाने दो। इस कथन पर कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को जितना लताड़ा जाए उतना कम है। वाह भैया वाह, क्या आप अपनी माँ, बहन, बेटी को भी यही हिदायत देंगे?

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सरकार की ओर से एक सराहनीय फैसला

लड़कियों की शादी की उम्र अठाराह से इक्कीस कर दी गई ये सरकार की ओर से लिया गया एक बहुत ही सराहनीय और अहम् फैसला है। अब लड़के और लड़की दोनों की शादी की उम्र इक्कीस की हो जाएगी। संसद सभ्य जया जेटली की अध्यक्षता में टास्क फोर्स ने पिछले दिसम्बर ही ये निवेदन रख दिया था, जिसे मोदी सरकार ने हरी झंडी देने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से बहुत सारी लड़कियों का जीवन संवर जाएगा और लड़कियों की ज़िंदगी में बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। एक तो कच्ची उम्र में शादी होने से लड़कियां माँ भी बहुत जल्दी बन जाती है, जिस कारण बच्चें कमज़ोर पैदा होते है। अभी खुद माँ ही बच्ची होती है, न शारीरिक विकास होता है न बौधिक उपर से बच्चे की ज़िम्मेदारी। शारीरिक और मानसिक विकास के लिए 20/21 साल सही होते है।

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आजादी कितने प्रतिशत?

जहां आज महिलाएं इस डिजिटल युग में नित नई ऊंचाइयों को छू रही हैं और सबसे बड़ी बात कि गरीब तबकों से आई हुई महिलाएं, लड़कियां भी अपने सपनों को पंख लगा कर उड़ रही हैं ऐसे में महिलाओं की यह सोच एक सवाल खड़ा करती है कि आज भी पति द्वारा पीटा जाना जायज है। नेशनल फैमिली हेल्थ द्वारा एक सर्वे के दौरान यह खुलासा हुआ है और आंकड़ों पर गौर किया जाये तो घरेलू हिंसा को सही ठहराने वाली महिलाओं का प्रतिशत अधिक है. उनमें- आंध्र प्रदेश 83.6℅, कर्नाटक 76.9℅, मणिपुर 65.9℅ और केरल 52.4℅ शामिल हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा में घरेलू हिंसा को लेकर स्वीकृति सबसे कम देखी गई। केवल 14.2℅, 21.3℅ ही सहमति व्यक्त की।

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विवाह की अनमोल भेंट

प्रायः देखा गया है कि अभी भी समाज का कुछ वर्ग दहेज के मायाजाल में उलझा हुआ है। विवाह का मूल उद्देश्य तो खुशहाल जिंदगी में निहित है, जो किसी भी धनराशि पर निर्भर नहीं है, परंतु विवाह की नींव इसी धनराशि को तय करने के बाद रखी जाती है। शंकर के माता-पिता दहेज को लेकर बहुत सारे सपने बुन रखे थे। जब उन्होने शंकर के सामने दहेज की बात रखी तो उसने अपनी उदार सोच उनके सामने रखी। उसने कहा कि मेरी जीवनसाथी की तुलना आप धनराशि से करना चाहते हो। मेरी होने वाली पत्नी भी तो किसी माँ की जिंदगी होगी।

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बुढ़ापा पालतू कुत्ते जैसा होना चाहिए, व्यंग्य नहीं एक हकीकत

किसी ने मुझसे पूछा, बुढ़ापा कैसा होना चाहिए
मैंने कहा पालतू कुत्ते जैसा..वह नाराज़ हो गए बोले वो भला कैसे? ज़रा समझाओ, मैंने कुछ ऐसे समझाया क्या कुछ गलत कहा?
सोचो आजकल लोग शौक़िया तौर पर और खुद को प्राणी प्रेमी समझते कुत्ते पाल लेते है। ना साहब सिर्फ़ पाल नहीं लेते…खुद उनके नौकर हो जाते है। क्या ठाठ होते है उन कुत्तों के। मालिक का सबसे दुलारा, लाड़ला अपने बच्चों से भी ज़्यादा अज़िज और प्राण से प्यारा होता है। असीम प्यार लूटाते मालिक अपने हाथों से गोद में बिठाकर बड़े चाव से खिलाते है, दूध पिलाते है। एक चीज़ नहीं खाता तो दूसरी मंगवाते है।

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जिस पर हमे नाज हैं वो हैं हरनाज

७० वीं मिस यूनिवर्स स्पर्धा जो इजराइल में हुई उसमे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में अनुस्नातक, २१ वर्षीय हरनाज़ संधू ने २०२० का मिस यूनिवर्स का ताज पहना हैं। १९९४ में ये ताज सुष्मिता सेन ने जीता था और २००० में ये ताज लारा दत्ता ने जीता था।ये वही साल था जब संधू ने जन्म लिया था।आज २१ साल बाद फिर उसे संधू ने  प्राग्वे की नदिया फरीरा और दक्षिण अफ्रीका की ललेला मेसवा से कड़ी प्रतियोगिता के बाद जीत ही लिया हैं।गुरदासपुर के छोटे से गांव में जन्मी हरनाज़ संधू जैसे ही मिस यूनिवर्स( विश्व सुंदरी)बनी सब जगह संधू संधू ही छाई हुई हैं।सौंदर्य और बुद्धि मत्ता की धनी पूरी दुनियां में छा गई हैं।आज २१ सालों के बाद भारत को इस खिताब उसिकी वजह से लाने का सदभाग्य मिला हैं।अब जब ये नायब कामयाबी  पाई हैं तो सभी को हरनाज़ के बारे में जानने की उत्सुकता होना स्वाभाविक बात हैं।

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संतानों को इन्वेस्टमेंट समझने वाले मां-बाप इसे न पढ़ें

सभी मां-बाप से मेरा एक सवाल यह है कि मानलीजिए कि आप का शादीशुदा बेटा अचानक एक दिन सुबह आप से कहे कि ‘मेरी आमदनी कम है, मैं पूरे घर का खर्च नहीं चला सकता। इसलिए मैं अपनी पत्नी को ले कर अलग रहने आ रहा हूं।’ उस समय आप का पहला रिएक्शन क्या होगा? आप उसे अलग रहने के लिए जाने देंगे या ‘मैं ने अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारे पीछे खपा दी, अब हमरा कौन है’, यह कह कर रोक लेंगें? या पत्नी के आते ही मां-बाप को किनारे लगाने का आरोप लगाएंगें?

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