Saturday, September 28, 2024
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लेख/विचार

संविदात्मक कर्मचारी भी मातृत्व लाभ के लिए हकदार है – नियुक्ति बहाली के निर्देश-नियोक्ता पर 25 हज़ार जुर्माना

हर क्षेत्र के संविदात्मक कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा व शासकीय लाभ के लिए शासकीय योजना जरूरी – एड किशन भावनानी
भारत में कुछ सालों से हर क्षेत्र में संविदात्मक कर्मचारी रखने का एक दौर सा चल पड़ा है, जिसमें शासकीय, अशासकीय, अर्धशासकीय, निजी क्षेत्र के लगभग हर कार्यस्थल पर हम अगर गहराई से देखेंगे, तो वहां कार्य करने वाले कई कर्मचारी सविंदात्मक कर्मचारी मिलेंगे जिसका एक चलन सा चल पड़ा है। हर क्षेत्र में परमानेंट जॉब के लिए संभावना कम नजर आती है, शायद संविदात्मक नियुक्तियों में नियोक्ताओं को दूरगामी लाभ होते हैं, क्योंकि वे कर्मचारी अधिनियमों, नियमों विनियमों, के झमेले से बच जाते हैं और अपनी सुविधाअनुसार कर्मचारियों की सेवाओं का कार्यकाल बढ़ाया जाता है और कर्मचारी पर भी शायद संविदात्मक कार्यकाल पूरा होने के बाद तलवार लटकी रहती है कि अब क्या होगा।

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किसानों को 60 साल की उम्र के बाद 3000 मासिक पेंशन देगी सरकार

प्रधानमंत्री ने किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना है। जिसके तहत 60 साल की उम्र के बाद किसानों के लिए पेंशन का प्रावधान है। इस योजना में 18 साल से 40 साल तक की उम्र का कोई भी किसान लाभ ले सकता हैए। जिसे उम्र के हिसाब से मासिक अंशदान करने पर 60 वर्ष की उम्र के बाद 3000 रूपये मासिक या 36000 रूपये सालाना पेंशन मिलेगी। इसके लिए अंशदान 55 रूपये से 200 रूपये तक मासिक है। अब तक इस योजना से लाखों किसान जुड़ चुके हैं। इस पेंशन कोष का प्रबंधन भारतीय जीवन बीमा निगम स्प्ब् द्वारा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना के अन्तर्गत 18 से 40 वर्ष तक की आयु के छोटी जोत वाले लघु एवं सीमान्त किसान हिस्सा ले सकते हैं। जिनके पास 2 हेक्टेयर तक ही खेती की जमीन है। इस योजना के तहत कम से कम 20 साल और अधिकतम 40 साल तक 55 रूपये से 200 रूपये तक मासिक अंशदान करना होगाए जो उनकी उम्र पर निर्भर है। अगर 18 साल की उम्र में किसान जुड़ते हैं तो मासिक अंशदान 55 रूपये या सालाना 660 रूपये होगा। वहीं अगर 40 की उम्र में जुड़ते हैं, तो 200 रूपये महीना या 2400 रूपये सालाना योगदान करना होगा।

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पर्यावरण प्रदूषण से जूझता भारत

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है -“परी + आवरण” जिसका अर्थ- ‘परी’ का है -‘चारों ओर’ तथा “आवरण” का अर्थ है- घेरा। यानी हमारे चारों ओर फैले वातावरण के आवरण (घेरे) को पर्यावरण कहते हैं।
वायु, जल, भूमि, वनस्पति, पेड़- पौधे, पशु मानव सब मिलकर पर्यावरण बनाते हैं।{1}
पर्यावरण के अंतर्गत स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल तथा जैव मंडल मिलकर पूर्ण रूप से पर्यावरण बना है। हम जिस जीव -जगत की बात करते हैं जिसके बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं है, वह पूर्ण रुप से प्रदूषित हो चुका है। पर्यावरण के बढ़ते प्रदूषण से भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व ग्रसित है।चिंतित है।यह प्रदूषण कई प्रकार का है जैसे; वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ई कचरा प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण नाभिकीय प्रदूषण तथा मोबाइल टावर प्रदूषण इत्यादि वायु, जल, मृदा,ध्वनि यह ईश्वर के उपहार है जिसे आज का मानव से क्षत-विक्षत कर प्रदूषित कर रहा है। जिस कारण इन ईश्वरीय उपहारों के ह्रास से दोष निकलना सत्य है। पर्यावरण प्रदूषण के अनेक कारण है- औद्योगिक करण की गतिविधि, बढ़ते वाहन म, शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, जीवाश्म ईंधन दहन,कृषि अपशिष्ट, प्लास्टिक प्रयोग, रेडियोधर्मी या परमाणु विकिरण,बढ़ते मोबाइल टावर आदि।

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कोचिंग सेंटर में पढ़कर भी छात्रा परीक्षा में फेल – शुल्क वापस करने का आदेश – उपभोक्ता न्यायालय का एतिहासिक फैसला

भारत के हर जिले में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच – उपभोक्ता सेवा की कमी के लिए निर्भय हों शिकायत दर्ज कराएं – एड किशन भावनानी
भारत में अनेक ऐसी शासकीय कार्यपालिका, न्यायपालिकाओं की सुविधा प्राप्त है, जिनके बारे में नागरिकों को जानकारी नहीं है, अतः इस संबंध में जन जागरण अभियान चलाकर नागरिकों को जागरूक व सचेत करने और उसका लाभ उठाने के लिए जागृत करने की बहुत जरूरी आवश्यकता है। बात अगर हम उपभोक्ता न्यायालय की करें, तो भारत में हर जिले में एक जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच बना हुआ है। किसी भी तरह का ग्राहक जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (संशोधित) 2019 के अंतर्गत ग्राहक है और अधिनियम के तहत सेवा प्राप्त की है और जिसने सेवा दी है और वह सेवा की कमी के लिए उत्तरदाई है, तो ग्राहक को हिम्मत कर उपभोक्ता न्यायालय में जाना चाहिए, ताकि प्रतिकूल सेवा या सामान देने वाले दुकानदार या आपूर्तिकर्ता के खिलाफ कार्यवाही की जा सके और भविष्य में किसी के साथ ऐसा ना करें उसका उसको डर बना रहे।

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ग्लेशियर का टूटना और उससे होने वाली भयानक तबाही

उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी 2021 को कुदरत ने तांडव मचा दिया। सुबह 10:30 से 11:00 के करीब नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटा तो सारा मंजर भयानक तबाही में बदल गया। न बादल फटा, न बारिश हुई, हिमालय की चोटी पर अचानक हलचल हुई, ग्लेशियर दरका और सैलाब का समंदर फूट पड़ा। ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया और इस सैलाब के सामने डैम, मकान, इंसान जो भी आया वह बहता चला गया। पानी और मलबे के साथ मौत चुपके से पहाड़ से नीचे उतरी और कई मासूमों को अपने साथ बहा ले गई। कुदरत के इस कहर से पूरा उत्तराखंड थर्रा उठा। वर्ष 2013 की केदारनाथ महाप्रलय की तस्वीर फिर से आंखों में तैर गई।

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राह दिखाएं भी क्यों

गम ए फुर्क़त उन्हें हम सुनाएं भी क्यों
दीदा -ए-तर सबको अपने दिखाएं भी क्यों
दिल जिनका बेखुशबू सा है गुलज़मी
रायगां ऐसी जगहों पर जाएं भी क्यों
तमाम खुशियां हैं जो करती हैं रौशन ये दिल
तेरे बेरूख़ी के अज़ाबों से दिल डराएं भी क्यों
जमाना निहायत नेक दिल को भी बख्सता नहीं
खुद को जमाने की बातों में हम उलझाएं भी क्यों
है काफ़ी मेरी मासुमियत तुझे जलाने के लिए
बेवजह मेरे अदू तुझसे टकराएं भी क्यों
जिन्हें नफरत के जंगल में है भटकना मंजूर
प्यार के चराग़ से उनको हम राह दिखाएं भी क्यों
फुर्कत-जुदाई, दूरी
दिदाए तर -आसुओं से भीगी आंखें रायगां- फ़िज़ूल में अदू- दुश्मन
बीना राय, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश

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क्या किसान आंदोलन अपनी प्रासंगिकता खो रहा है

आज सोशल मीडिया हर आमोखास के लिए केवल अपनी बात मजबूती के साथ रखने का एक शक्तिशाली माध्यम मात्र नहीं रह गया है बल्कि यह एक शक्तिशाली हथियार का रूप भी ले चुका है। देश में चलने वाला किसान आंदोलन इस बात का सशक्त प्रमाण है। दरअसल सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले दो माह से भी अधिक समय से चल रहा किसान आंदोलन भले ही 26 जनवरी के बाद से दिल्ली की सीमाओं में प्रवेश नहीं कर पा रहा हो लेकिन ट्विटर पर अपने प्रवेश के साथ ही उसने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर लिया। वैसे होना तो यह चाहिए था कि बीतते समय और इस आंदोलन को लगातार बढ़ते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचो की उपलब्धता के साथ आंदोलनरत किसानों के प्रति देश भर में सहानुभूति की लहर उठती और देश का आम जन सरकार के खिलाफ खड़ा हो जाता।

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भारत में समान नागरिक संहिता लागू करना अब समय व परिस्थितियों अनुसार अनिवार्य हो गया

कार्यपालिका व न्यायपालिका द्वारा कानूनों का सम्मान व क्रियान्वयन जरूरी – संविधान के अनुच्छेद 44 में यूसीसी लागू करने का उल्लेख – एड किशन भावनानी
अभी हाल ही में जिस प्रकार से आए कार्यपालिका व न्यायपालिका क्षेत्र के निर्देश व आदेशों का अगर हम अध्ययन करें, तो हम यह महसूस करेंगे कि अब वह उचित समय आ गया है कि, भारत में समान नागरिक संहिता लागू करना जरूरी हो गया है, जिसका उल्लेख भारत संविधान में पहले से ही है। भारतीय संविधान अनुच्छेद 44 राज्य नीति के निर्देशकों तथा सिद्धांतों को परिभाषित करता है इसमें समान नागरिक संहिता (UCC) शामिल है। अनुच्छेद 44 में यह उल्लेख किया गया है कि नागरिकों के लिए देश के पूरे क्षेत्र में एक समान अधिकार हो तथा समान नागरिक संहिता की रक्षा करना राज्य का प्रमुख कर्तव्य है। अभी हाल ही में न्यायपालिकाओं के जिस प्रकार जजमेंट आए हैं उसमें तो यह प्रतीत होता ही है।

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चीन का नकली चंद्रमा मुश्किलें खड़ी करेगा

चीन को कभी भी हल्के मेें लेने की जरूरत नहीं है। चीन दीवार के उस पार क्या करता है, इसका दुनिया को तब पता चलता है, जब विश्व सुखद अथवा दुःखद आश्चर्य को पाता है। चीन वायरस पैदा कर सकता है। मौसम का रुख बदल सकता है। पड़ोसी देशों में पानी की प्रचंड बाढ़ ला सकता है और अकाल भी डाल सकता है। चीन अपने दुश्मन देशों के साथ मौसम का युद्ध लड़ने के लिए अपनी वैज्ञानिक सुदृढ़ता हासिल कर रहा है।
बाकी एक जमाना था, जब रूस ने स्पुतनिक नाम का उपग्रह बना कर अमेरिका सहित पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था। उसके बाद तो अमेरिका मैदान में आ गया था। अमेरिका ने अपोलो अंतरिक्ष यान छोंड़ कर मानव को चंद्रमा पर पहुंचा कर दुनिया को दंग कर दिया। उसके बाद मंगल पर चढ़ाई की प्रतियोगिता शुरू हुई। चीन ने ओलम्पिक खेल के समय शहर में बरसात न हो, इसके लिए बादलोें को दूसरे स्थान पर खींच ले जाने की टेक्नोलाॅजी ला कर विश्व को स्तब्ध कर दिया था।

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पहला वैलेंटाइन डे

कमल से मेरी मुलाकात मेरी सहेली निशी के घर पर हुई थी। कमल निशी का कजिन था और वह उसके घर कुछ दिन घूमने के लिए आया हुआ था। आज हमे मिले हुए एक साल होने को आया लेकिन लगता है कि जैसे कल की ही बात है। मैं हमेशा की तरह निशी निशी चिल्लाते हुए उसके कमरे में घुसी ही थी कि निशी के कमरे में एक अनजान व्यक्ति को देखकर मैं एकदम चुप हो गई। अब वो व्यक्ति और मैं एक दूसरे को देख रहे थे कि तभी निशी आ गई। “अरे नंदिता तुम कब आई?” मैं कुछ बोली नहीं बस आंखों से उस अनजान व्यक्ति की ओर इशारा कर दिया। निशी बोली, “अरे, इनसे मिलो यह मेरे कजिन कमल हैं।” हम दोनों का परिचय हुआ। कमल ने मुस्कुराते हुए मुझे “हेलो” कहा और कमरे के बाहर चला गया।

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