कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद कानपुर देहात में दिनांक 26 अप्रैल 2020 को अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह रोकने के लिये जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में जनपद स्तरीय अधिकारीयो एवं पुलिस अधीक्षक के दिशा-निर्देश के क्रम में समस्त थानो को अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाह रोकने हेतु आवश्यक निर्देश जारी किये जा चुके हैं।
उपरोक्त जानकारी देते हुए जिला प्रोबेेशन अधिकारी अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला शक्ति केन्द्र, वन स्टाप सेन्टर को बाल विवाह रोकने हेतु जनपद के समस्त ग्राम प्रधानो, आंगनवाडी, ए0एन0एम, आशा वर्कर से संर्पक कर इसे प्रभावी रूप से रोकने हेतु निर्देशित किया गया है वही दूसरी ओर जिला पंचायत राज अधिकारी के माध्यम से ग्राम प्रधान एवं ग्राम पंचायत अधिकारी से संर्पक करने एवं सभी अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत अपने – अपने क्षेत्र में बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल पुलिस की सहायता से बाल विवाह को रूकवाने के लिये जिलाधिकारी महोदय की तरफ से आवश्यक निर्देश जारी किये गये हैं। उन्हाेंने बताया कि बाल विवाह कराने वाले लड़की एवं लड़के के माता- पिता तथा शादी में सहयोंग देने वालों के विरूद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के सुसंगत धाराओं के तहत कठोर कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
बेजुबान जानवरों को कई वर्षों से खाना खिला रहे- जितेन्द्र वाल्मीकि
कानपुर, जन सामना ब्यूरो। कानपुर छावनी से सामाजिक संस्था सर्वधर्म सेवा समिति (रजि0) के अध्यक्ष जितेन्द्र वाल्मीकि की मानवता कि एक और तस्वीर देखने को मिल रही है। श्री वाल्मीकि ने बताया कई बेजुबान जानवरों को कई वर्षों से खाना खिला रहे है कोरोना वायरस की महामारी में तो जानवर भूख प्यास से परेशानी में है क्योंकि लोग लाँक डाउन के चलते घरों से नहीं निकल रहे है और होटल ढाबे ठेले आदि बन्द है जिसके कारण इन बेजुबान पशु पक्षियों को भोजन नहीं मिल पा रहा है। यह बड़ा कठिनाइयों का समय मानव जाति पशु पक्षियों के लिए चल रहा है। हम सब को मिलकर इस महामारी की जंग से लड़ना है और जीतना भी है सक्षम लोगों से अपील करते है कि गरीब असहाय भूखे व्यक्तियों पशु पक्षियों की मदद व रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। हर एक सक्षम व्यक्ति को अपने क्षेत्रों में इनको दाना पानी देकर सहयोग करना चाहिए।
Read More »3 मई तक रहेगा लाॅक डाउन कानपुर में नहीं खुलेंगी दुकाने
कानपुर, अर्पण कश्यप। कानपुर ड़ीएम ड़ा0 ब्रहमदेव राम तिवारी के अदेशानुसार कानपुर में बिना आदेश के कोई भी दुकाने नहीं खुलेगंी। शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैंै। जिसकी वजह से यह निर्णय लिया गया हैं।
शनिवार सुबह अखबार में दुकाने खुलने की खबर पढ कर गली, मोहल्ले ़की दुकानों के शटर खुल गये थे।।खरीदारों की भीड़ भी जमा हो गयी थी। जिसे सभी थाना क्षेत्राधिकारियों ने ड़ीएम के आदेशो का पालन करते हुये तत्काल बंद करवाया साथ ही अग्रिम 3 मई तक बिना पास कोई दुकाने न खोलने को कहा गया दुकाने खुली पाये जाने पर चालान कर सख्ती से निपटने को कहा। इसके अलावा रोजमर्रा की जरूरत की चीजो को ड़ोर टू ड़ोर सप्लाई कर पहुंचाने को कहा है।
सुनिये सरकार… इन रंग-बिरंगे फूलों में छिपी दर्दनांक दास्तां
⇒फूलों की खेती करने वाले किसानों ने बयां की अपनी व्यथा
⇒ज्यादातर किसान बोले कुछ नहीं सूझ रहा साहब!
कानपुरः जन सामना ब्यूरो। ये नजारा आँखों के लिये जितना सुखद दिख रहा है उससे भी कहीं ज्यादा दिल के लिये दुःखद अहसास कराने वाला है। ये नजारा अपने आप में एक दास्तां बयां कर रहा हैं उन किसानों की, जिनको दिन के उजाले में सिर्फ और सिर्फ अंधेरा दिख रहा हैं और अपने परिवार के भरण पोषण हेतु कुछ नहीं सूझ रहा है बल्कि उन्हें यह चिन्ता सताये जा रही है कि उस उधारी को कैसे चुकायेंगे जिसकी ओट लेकर सबकुछ चल रहा था?
जी हाॅ, इन दिनों कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर चाहे आम हो या खास सभी को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में व्यापारी से लेकर खेती करने वाले सभी प्रभावित हुए हैं। यहां गौर करने वाला तथ्य यह है कि अन्न उत्पादक व सब्जी उत्पादक किसानों को तो कुछ हद तक ही क्षति होती दिख रही है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशान वो किसान दिख रहे हैं जो फूलों की खेती करके अपने परिवार का गुजारा करते चले आ रहे हैं।
बिगत मंगलवार को ‘जन सामना’ ने जिले के विकास खण्ड सरसौल क्षेत्र के बैजा खेड़ा, लालू खेड़ा, करन खेड़ा आदि गांवों के रहने वाले उन किसानों की व्यथा सुनी व देखी जो गुलाब, गेंदा, जाफरी, बेला, नवरंग, बिजली, चांदनी आदि फूलों की खेती के सहारे अपने परिवार का भरण पोषण करके गुजारा करते चले आ रहे हैं।
यहां के रहने वाले जोगलाल, हरिश्चन्द्र, राज कुमार, पिन्टू कुमार, कमलेश, रमेश, लक्ष्मीकान्त, महादेव, प्रेमलाल, बाल किशन, नारायण, काली चरन सहित अन्य तमाम किसानों ने बताया कि हम लोग फूलों की खेती के अलावा कुछ नहीं करते हैं। जब से लाॅक डाउन की घोषणा हुई है, तब से शहर के व आस पड़ोस के कस्बों के सभी मंदिर-मस्जिद, गिरिजाघर-गुरूद्वारे सबकुछ बन्द हैं। शादी-विवाह सहित अन्य वे सभी मांगलिक कार्यक्रम बन्द हैं जिनमें फूलों का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि फूलों का उपयोग बन्द होने के कारण हम लोगों के खेतों में फूलों को तोड़ने का काम रुक गया है और लागत भी नहीं लगा रहे हैं, हम लोगों की फूलों की खेती बर्बाद हो चुकी है। हम लोग तो भुखमरी के कगार पर पहुंच रहे हैं।
संजय धोत्रे ने डाक विभाग से कहा कि लोगों की सेवा के लिए अपने अथक प्रयास जारी रखें
लॉकडाउन अवधि के दौरान 300 करोड़ रुपये के मूल्य के 15 लाख से अधिक एईपीएस सौदे हुए
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। संचारएवं मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने वीडियो कांफ्रेंसके जरिये कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान डाक विभाग द्वारा की गई अभिनव पहलोंकी समीक्षा की। मंत्री ने आरंभ किए गए विभिन्न उपायों पर संतोष व्यक्त कियाऔर सोशल डिस्टैंसिंग के सभी नियमों का अनुपालन करते हुए राष्ट्र की सेवा में खुद से अधिकतम रूप से प्रयास करने के लिए डाक विभाग को प्रोत्साहित किया।
संजय धोत्रे ने यह भी कहा कि सरकार के कई विभागों को भी डाकविभाग की मजबूत प्रदायगी प्रणाली की आवश्यकता हो सकती है और अंतरविभागीयसमन्वयन डाक विभाग को नए अवसरों की पेशकश कर सकता है। मंत्री ने जोर देकरकहा कि एईपीएस को डाक विभाग द्वारा व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाया जानाचाहिए और डाक प्रभांगों के डिवीजनल प्रमुखों को नकदी की ग्राहकों के द्वारपर प्रदायगी के लिए जिला कलेक्टरों एवं राज्य प्रशासनो के साथ समन्वय करना चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कोविड-19 से लड़ने में जम्मू एवं कश्मीर की तैयारी की समीक्षा की
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोविड-19 वायरस से लड़ने में जम्मू एवं कश्मीर की तैयारी की समीक्षा की। यह समीक्षा जम्मू एवं कश्मीर यूटी के वरिष्ठ अधिकारियों, सरकारी चिकित्सा संस्थानों एवं महाविद्यालयों के प्रमुखों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई।
राज्य मंत्री ने यूटी के चिकित्सा से जुड़े लोगों, खासकर, जूनियर रेसीडेंट डाॅक्टरों एवं चिकित्सा अधिकारियों की सराहना की जो कोरोना वायरस से प्रभावी तरीके से लड़ने में रोगियों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि भारत कोविड-19 से लड़ने में विश्व के अग्रिम पंक्ति के देशों में एक है। उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर महामारी से लड़ने में केरल की तरह ही अच्छा साबित हुआ है।
CRPF के सीधे नियुक्त राजपत्रित प्रशिक्षु अधिकारियों के 51वे बैच का दीक्षांत समारोह ‘वेबिनार’
अपेक्षा है कि आप देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में भी अपना सर्वोच्च योगदान देंगे: केंद्रीय गृह मंत्री सीआरपीएफ देश की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ है: श्री अमित शाह सीआरपीएफ देश में COVID-19 महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रही है: जी. किशन रेड्डी
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। आज नई दिल्ली में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सीधे नियुक्त राजपत्रित प्रशिक्षु अधिकारियों के 51वे बैच के दीक्षांत समारोह ‘वेबिनार’ संपन्न हुआ। COVID-19 से लड़ने हेतु बनाए गए सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की पालाना करते हुए यह ऑनलाइन आयोजन 42 प्रशिक्षु अधिकारियों का बेसिक प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। वेबिनार में सीआरपीएफ महानिदेशक, श्री ए.पी. महेश्वरी ने केंद्रीय गृह मंत्री, श्री अमित शाह का संदेश पढ़ा।
गृह मंत्री ने अपने संदेश में प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि “अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए परिचालनिक कार्यों को पूर्ण करने में निश्चित रूप से अनेकों प्रकार की चुनौतियां आपके सम्मुख आएंगी, जिनसे निपुणतापूर्वक निपटने के लिए आप अपने उचित प्रशिक्षण के बल पर परिपक्वता हासिल कर चुके हैं, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है”।
शासन के निर्देश के तहत पोषाहार वितरण का कार्य घर-घर जाकर किया जायेगा: राकेश यादव
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। शासन के निर्देशों के तहत नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण के दृष्टिगत लाॅकडाउन के दौरान बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के लाभार्थियों की इम्यूनिटि बनाये रखने की दृष्टि से ”सोशल डिस्टेन्सिंग“ का पालन करते हुए लाॅकडाउन के दौरान पोषाहार वितरण में पर्याप्त पारदर्शिता रखते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों के लाभार्थियों को डोर-टू-डोर (घर-घर) जाकर टेक होम राशन वितरण करने के निर्देश दिये गये है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश यादव ने बताया कि शासन द्वारा नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से रोकथाम हेतु ”सोशल डिस्टेन्सिंग“ का पालन करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा घर-घर जाकर पोषाहार वितरण करने के निर्देश दिये गये है। पोषाहार वितरण के समय सांसद, विधाय, सभासद, ग्राम प्रधान एवं अन्य स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उपस्थिति रहेगी, साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रवार पोषाहार विरण हेतु रोस्टर निर्धारित करने के भी निर्देश दिये गये है। जिससे लाॅकडाउन के दौरान पोषाहार वितरण में पर्याप्त पारदर्शिता बनी रहे।
शासन की गाईडलाइन के अनुसार खनन, परिवहन का कार्य किया जाये संचालित: डीएम
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश में नोविल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से बचाव सुनिश्चित करते हुए खनन संक्रिया एवं खनिज परिवहन कार्य संचालित किये जाने के सम्बन्ध में जनसामान्य की कठिनाईयों को देखते हुए चयनित अतिरिक्त गतिविधियों (Select Additional Activies) जिसमें खनिज के उत्पादन, परिवहन सम्मिलित है, के लिए निर्देश जारी किये गये हैं।
उपरोक्त जानकारी देते हुए जिलाधिकारी राकेश कुमार सिह ने बताया कि जनपद कानपुर देहात में निम्न व्यवस्थाओं को सम्मिलित करते हुए शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अन्तर्गत खनिजों का खनन/परिवहन किये जाने की अनुमति प्रदान की है जिसके तहत नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु सोशल डिस्टेंसिंग तथा केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाईन के अनुसार न्यूनतम श्रमिकों के साथ मशीनों का उपयोग कर खनन क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार खनन गतिविधियां संचालित की जाये।
आयुष के ठोस उपायों और दवाओं से ‘कोविड-19’ का इलाज ढूंढ़ने के प्रयास
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 से बचाव या रोकथाम और नैदानिक प्रबंधन में आयुष के ठोस उपायों/दवाओं के प्रभावों के आकलन हेतु अल्पकालिक अनुसंधान परियोजनाओं में आवश्यक सहयोग देने के लिए एक उपयुक्त व्यवस्था की घोषणा की है।
कोविड-19 मामलों से निपटने में जुटे अस्पतालों/संस्थानों को इस योजना में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो बाह्य (यानी, आयुष मंत्रालय के प्रतिष्ठान से बाहर के संस्थानों के लिए) अनुसंधान श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। प्रस्ताव ‘सार्स-सीओवी-2’ संक्रमण और कोविड-19 रोग से बचाव या रोकथाम और नैदानिक प्रबंधन में आयुष के ठोस उपायों/दवाओं की भूमिका तथा प्रभावों के आकलन से संबंधित होने चाहिए।
संस्थागत आचार समिति (आईईसी) से मंजूरी प्राप्त अधिकतम छह माह की अवधि वाले परियोजना प्रस्तावों पर 10 लाख रुपये तक की सहायता देने के लिए विचार किया जाएगा, ताकि आयुष चिकित्सकों, तकनीकी श्रमबल की सेवाएं लेने, प्रयोगशाला में जांच और संबंधित आकस्मिक जरूरतों पर आने वाले खर्च को पूरा किया जा सके।