Friday, November 29, 2024
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सुनिये सरकार… इन रंग-बिरंगे फूलों में छिपी दर्दनांक दास्तां

⇒फूलों की खेती करने वाले किसानों ने बयां की अपनी व्यथा
⇒ज्यादातर किसान बोले कुछ नहीं सूझ रहा साहब!
कानपुरः जन सामना ब्यूरो। ये नजारा आँखों के लिये जितना सुखद दिख रहा है उससे भी कहीं ज्यादा दिल के लिये दुःखद अहसास कराने वाला है। ये नजारा अपने आप में एक दास्तां बयां कर रहा हैं उन किसानों की, जिनको दिन के उजाले में सिर्फ और सिर्फ अंधेरा दिख रहा हैं और अपने परिवार के भरण पोषण हेतु कुछ नहीं सूझ रहा है बल्कि उन्हें यह चिन्ता सताये जा रही है कि उस उधारी को कैसे चुकायेंगे जिसकी ओट लेकर सबकुछ चल रहा था?
जी हाॅ, इन दिनों कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर चाहे आम हो या खास सभी को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में व्यापारी से लेकर खेती करने वाले सभी प्रभावित हुए हैं। यहां गौर करने वाला तथ्य यह है कि अन्न उत्पादक व सब्जी उत्पादक किसानों को तो कुछ हद तक ही क्षति होती दिख रही है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशान वो किसान दिख रहे हैं जो फूलों की खेती करके अपने परिवार का गुजारा करते चले आ रहे हैं।
बिगत मंगलवार को ‘जन सामना’ ने जिले के विकास खण्ड सरसौल क्षेत्र के बैजा खेड़ा, लालू खेड़ा, करन खेड़ा आदि गांवों के रहने वाले उन किसानों की व्यथा सुनी व देखी जो गुलाब, गेंदा, जाफरी, बेला, नवरंग, बिजली, चांदनी आदि फूलों की खेती के सहारे अपने परिवार का भरण पोषण करके गुजारा करते चले आ रहे हैं।
यहां के रहने वाले जोगलाल, हरिश्चन्द्र, राज कुमार, पिन्टू कुमार, कमलेश, रमेश, लक्ष्मीकान्त, महादेव, प्रेमलाल, बाल किशन, नारायण, काली चरन सहित अन्य तमाम किसानों ने बताया कि हम लोग फूलों की खेती के अलावा कुछ नहीं करते हैं। जब से लाॅक डाउन की घोषणा हुई है, तब से शहर के व आस पड़ोस के कस्बों के सभी मंदिर-मस्जिद, गिरिजाघर-गुरूद्वारे सबकुछ बन्द हैं। शादी-विवाह सहित अन्य वे सभी मांगलिक कार्यक्रम बन्द हैं जिनमें फूलों का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि फूलों का उपयोग बन्द होने के कारण हम लोगों के खेतों में फूलों को तोड़ने का काम रुक गया है और लागत भी नहीं लगा रहे हैं, हम लोगों की फूलों की खेती बर्बाद हो चुकी है। हम लोग तो भुखमरी के कगार पर पहुंच रहे हैं।
किसानों ने बताया कि प्रति बीघा की दर से लगभग 40-50 हजार रुपये का नुकसान हम सबको झेलना पड़ रहा है। कई किसानों ने बताया कि उन्होंने कर्ज लेकर फूलों की खेती की है। सब कुछ बन्द होने से हम लोग बेहद परेशान हो गये हैं, कैसे कर्ज से छुटकारा मिलेगा, बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा, आगे का गुजारा कैसे होगा, कुछ सूझ नहीं रहा है? कई किसान तो अपनी व्यथा बताते बताते फफक पड़े और बोले कि साहब अब कुछ नहीं सूझ रहा है।
फूलों की खेती करने वाले ज्यादातर किसानों की हालात दयनीय दिख रही है और उनकी फसल पूरी तरह से चैपट हो गई है। फूलों की खेती करने वाले किसानों से जब पूंछा कि कैसे गुजारा करोगे तो उन्होंने अपनी बेबसी बयां करते हुए कहा कि अब तो केन्द्र व राज्य सरकार से ही आसरा है कि उनकी स्थिति को समझते हुए उन्हें सहायता पहुंचाने का काम करेंगी।
अब देखना यह है कि सरकारें इन किसानों के राहत के लिये क्या कदम उठायेंगीं जिनसे इनके परिवार के सदस्यों का भरण पोषण हो सके व बच्चों का स्वास्थ्य व उनकी शिक्षा प्रभावित ना हो?