1856 में गदर आंदोलन के समय की गई थी माता की मूर्ति की स्थापना
कलकत्ता से बंगाली बाबा लेकर आए थे माता काली की मूर्ति
इटावा। इटावा में प्राचीन ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में मां काली की छोटी सी मूर्ति तमाम रहस्यों को समेटे हुए हैं इन रहस्यों से अभी तक पर्दा नहीं उठ पाया है मां काली की इतनी छोटी मूर्ति की स्थापना इस मंदिर में क्यों की गई है अभी तक रहस्य बना हुआ है लेकिन कुछ सूत्र बताते हैं कि कलकत्ता से बंगाली बाबा जब मूर्ति लेकर के चले थे तो मूर्ति बड़ी थी लेकिन जब चलते-चलते थक गए तो मां काली ने अपने रूप को छोटा कर लिया और उसी अवस्था मे और बंगाली बाबा काली की मूर्ति को लेकर इटावा आ गए और यही बीहड़ में यमुना किनारे नागा बाबा के आश्रम में माँ काली की मूर्ति को झूले में रखा गया बाद में स्वामी जगदीशानंद ने मां काली की मूर्ति की स्थापना की और मंदिर निर्माण कराया।
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