बदलते आधुनिक परिपेक्ष में नई सकारात्मक वैचारिकता का धारण करना समय की मांग – जो समय को छोड़ देते हैं समय उनको छोड़ देता है!!! – एड किशन भावनानी
गोंदिया – भारतीय संस्कृति, सभ्यता और हमारे पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों की वैचारिकता, सोच, कहावतें, प्रेरणा, मार्गदर्शन, हमारे लिए अनमोल धरोहर ही नहीं एक अणखुट ख़जाना भी है!!! अगर हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों की वैचारिक को ग्रहण कर उनकी बताई राहों, उनके द्वारा कही कहावतों पर गहराई से सोचें तो हमें एक-एक शब्द या लाइन में बहुत बड़ी सीख, प्रेरणा, मार्गदर्शन मिल सकता है जो उम्र का तकाज़ा, समय का तकाज़ा, समय बड़ा बलवान रे भैया समय बड़ा बलवान, मुख में राम बगल में छुरी, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, इत्यादि ऐसे अनेक सुने अनसुने शब्द कहावतें हैं जिनकी गहराई में जाकर उनका सकारात्मक मतलब निकाल कर हम बुराई से बच सकते हैं और मूल्यवान शब्दों को अपनाकर अपना जीवन संवार सकते हैं।
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