Saturday, November 16, 2024
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कानपुरः शताब्दी नगर में जनसमस्याओं को लेकर किया प्रदर्शन

कानपुर, जन सामना संवाददाता। कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा पनकी क्षेत्र के शताब्दी नगर के नाम से कई योजनाएं बनाई गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने अपना आशियाना बनाया, लेकिन सुविधाओं के नाम पर लोग अब ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
राष्ट्रीय समाज पार्टी के अध्यक्ष, शताब्दी नगर फेस 1 निवासी चंद्रपाल ने क्षेत्र वासियों के साथ क्रमिक अनशन कर प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि कानपुर विकास प्राधिकरण की यहां पर बड़ी संख्या में योजनाएं हैं जिनमें लोग भवन बनवाकर रहने लगे हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर लोगों के साथ मजाक किया गया है।
उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या सीवर की है, सही निकासी न होने के कारण सीवर का पानी सड़कों पर भरा रहता है, जिससे सड़कों का बुरा हाल हो गया। नालियों का पता नहीं, पुलिया टूटी पड़ी है, यहां पर बरसात में तो बहुत ही बुरा हाल रहता है, घर से निकलना संघर्ष भरा रहता है, व्यवहारियों को घर बुलाने में शर्म आती है।
इसलिए संबंधित अधिकारियों व प्रतिनिधियों से मांग करते है, कि इतनी बड़ी आबादी वाला क्षेत्र जिसको अनाथ की तरह छोड़ दिया गया है, इस तरफ ध्यान दें और यहां की समस्याओं से निजात दिलाएं।

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ईट भट्ठा उद्योग मालिकों ने किया प्रदर्शन

कानपुर देहात। जिले के ईट भट्ठा उद्योग मालिकों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर जनपद में चल रहे अवैध डंप भूसा माफियाओं पर लगाम लगाई जाने की मांग कर नारेबाजी की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कानपुर देहात के ईट भट्ठा उद्योग मालिकों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर जनपद में चल रहे अवैध डंप भूसा माफियाओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर नारेबाजी की। ईट भट्ठा उद्योग मालिकों का कहना है कि अवैध डंप भूसा माफियाओं की वजह से जिले भर में संचालित ईट भट्ठा उद्योगों की कमर टूट गई है। हम लोग सरकार को लाखों रुपए का टैक्स अदा करते हैं, फिर भी हमारी समस्या को दूर नहीं किया जा रहा है। यदि जिला प्रशासन ने शीघ्र ही अवैध डंप भूसा माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तो ईट भट्ठा उद्योग मालिक विवश होकर भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर हो जायेंगे।

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चीतों से गुलजार होती भारत की धरती

करीब 70 वर्षों के बेहद अंतराल के पश्चात् लंबे प्रयासों के बाद भारत में पिछले साल 17 सितम्बर को चीतों की वापसी हुई थी, जब चीते की शक्ल में तैयार हुए बोइंग 747 के विशेष विमान के जरिये नामीबिया की राजधानी विंडहोक से ग्वालियर लाए गए 8 चीतों को प्रधानमंत्री द्वारा मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बाड़े में छोड़ा गया था। ये सभी चीते यहां के माहौल में पूरी तरह ढ़ल चुके हैं। चीतों के पुनर्वास की चल रही योजना के तहत 18 फरवरी को भी दक्षिण अफ्रीका से 7 नर और 5 मादा चीते कूनो नेशनल पार्क में लाए जाने के बाद अब भारत में चीतों की संख्या 20 हो गई है। हालांकि ऐसा नहीं है कि चीतों को अचानक ही भारत लाए जाने की योजना बनी बल्कि करीब 50 वर्ष पहले चीतों को भारत लाने के प्रयास शुरू हो गए थे। सबसे पहले 1970 में एशियाई शेरों के बदले में एशियाई चीता भारत लाने के लिए ईरान के शाह के साथ बातचीत शुरू हुई थी लेकिन वहां शासक बदलने के बाद चीते भारत नहीं लाए जा सके, जिसके बाद इन प्रयासों की रफ्तार धीमी पड़ गई।
21वीं सदी के इन दो दशकों में चीतों की वापसी के प्रयासों में तेजी आई और उनके संरक्षण के लिए गलियारों की पहचान और उन्हें सुदृढ़ करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। 2009 में राजस्थान के अजमेर में हुई बैठक में चीतों को भारत लाने की चर्चा पुनर्जीवित हुई और आनुवंशिक समानता तथा जीनोम विश्लेषण के आधार पर अफ्रीका से चीते लाकर भारत में बसाने की योजना को उपयुक्त पाया गया। चीतों की पुनर्स्थापना के संबंध में पर्याप्त अध्ययन नहीं होने के कारण 2013 में सर्वाच्च न्यायालय ने चीतों को भारत लाए जाने पर रोक लगा दी थी। अदालत द्वारा 28 जनवरी 2020 को चीतों के पुनर्स्थापना हेतु अनुमति मिलने के बाद चीता परियोजना हेतु माॅनीटरिंग के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ दल का गठन किया गया और उसके बाद चीतों को भारत लाए जाने की इजाजत देने के पश्चात् ही चीतों की भारत वापसी का रास्ता साफ होने से इन प्रयासों में तेजी आई। चीतों को भारत लाने के लिए भारत सरकार ने 2010 में नामीबिया से बातचीत शुरु की थी लेकिन नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने का समझौता जुलाई 2022 में हुआ। 2021-22 से 2025-26 के बीच ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत ‘चीता इंट्रोडक्शन परियोजना’ के लिए भारत सरकार द्वारा 38.7 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।

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नगरीय सुविधा केन्द्र का जिलाधिकारी ने निरीक्षण किया, दिये निर्देश

कानपुर। कानपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अन्तर्गत कानपुर नगर निगम मुख्यालय के भूमितल पर बन रहे सिटिजन फैसिलिटेशन (नगरीय सुविधा केन्द्र) सेन्टर का जिलाधिकारी विशाख जी0 द्वारा निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान शिवशरणप्पा जी.एन. (नगर आयुक्त), सूर्यकान्त त्रिपाठी (अपर नगर आयुक्त प्रथम), आर.के. सिंह (नोडल अधिकारी, केएससीएल), एस.पी.वी कर्मचारी तथा आई.टी-पी.एम.यू टीम उपस्थित रहे ।
यह सिटीजन फैसिलिटेशन सेन्टर में नगर निगम के माध्यम से प्रदान की जा रही विभिन्न प्रकार की सुविधाओं एवं नागरिकों की समस्याओं के समाधान हेतु जोनवानर/विभागवार अलग-अलग काउन्टर/पटल निर्धारित किये जायेगा एवं आम जन की समस्याओं को इन पटलो के माध्यम से प्राप्त कर निर्धारित समय-सीमा में निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा।

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सरकारी मंडप में 50 जोड़े ने खाई जीवन भर साथ निभाने की कसम

फिरोजाबाद। समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन बलवंत सिंह सेवा संस्थान जमालपुर में किया गया। जिसमें लगभग 50 जोड़ो का विधि-विधान से विवाह सम्पन्न कराया गया।
गुरूवार को बलबंत सिंह सेवा संस्थान जमालपुर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें एक साथ 50 वर-वधुओं ने सात फेरे लेकर जीवनभर साथ निभाने का वादा किया। सामूहिक विवाह समारोह में विकास खंड फिरोजाबाद से 22, विकास खंड टूंडला से सात एवं नारखी से 21 जोड़ो की शादी हुई।

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मोटा अनाज अपनाएं, बीमारियाँ दूर भगाएं-सीएमओ

-पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण कई रोगों से बचाता है मिलेट
फिरोजाबाद। वर्तमान में अनियमित दिनचर्या, अव्यवस्थित जीवनशैली व सही खानपान न अपनाने से लोगों को असमय तरह-तरह की बीमारियां घेर रही हैं। हर दूसरा व्यक्ति बीपी, मधुमेह, कैंसर, विटामिन की कमी, तनाव आदि में से किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है। इसी परिपेक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को मिलेट्स अपनाने के लिए जागरूक किया है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
मोटे अनाज को मिलेट कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं। एक मोटा दाना और दूसरा छोटा दाना। मिलेट्स में बाजरा, मक्का, जौ, सांबा या सामा, कुटकी (लघु धान्य) को दो, चेना या चीना, रागी, (मंडुआ), झंगोरा, बैरी तथा कंगनी, ज्वार को शामिल किया गया है। सीएमओ डॉ नरेंद्र सिंह का कहना है कि आज के समय में लोगों को मोटे अनाज (मिलेट) को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। मोटा अनाज खाना बंद करने से लोगों को कई तरह के रोगों के साथ कुपोषण की समस्या भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद मिलेट इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में जाने गए हैं। इन्हें सुपरफूड भी कह सकते हैं, मोटा अनाज को पोषक तत्वों का भंडार माना जाता है।

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कांग्रेसियों ने मनाई संत गाडगे की जयंती

फिरोजाबाद। जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा संत गाडगे की जयंती धूमधाम से मनाई गई। जिलाध्यक्ष संदीप तिवारी ने संत गाडगे की तस्वीर पर माल्यार्पण कर नमन किया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष ने कहा कि गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था। उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। यह सब उन्होंने भीख मांग-मांगकर बनावाया, किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई।

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मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात गोष्ठी का आयोजन 26 फरवरी को

कानपुर। सहायक कृषि विपणन अधिकारी/सदस्य सचिव, मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति, कानपुर मण्डल कमल कान्त त्यागी ने बताया है कि कृषि निर्यात नीति के अन्तर्गत कृषि निर्यात को बढावा देने तथा प्रगतिशील कृषकों/एफ०पी०ओ०/एफ०पी०सी०/एन०जी०ओ० एवं अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण एवं निर्यात नीति के प्रचार प्रसार हेतु कानपुर में एक मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात कार्यशाला/गोष्ठी का आयोजन दिनांक 26 फरवरी, 2023 को प्रातः 10 बजे से सायं 4 बजे तक अटल बिहारी बाजपेयी प्रेक्षागृह, कानपुर विकास प्राधिकरण, मोतीझील, कानपुर में कराया जाना है।

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पर्यावरण संरक्षण के प्रति किया जागरूक

फिरोजाबाद। गांव दौलतपुर में आयोजित शिविर में अमर दीप पीजी कॉलेज की एनएसएस की छात्राओं ने रैली निकाल ग्रामवासियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया। साथ ही गांव स्वच्छता अभियान चलाया। एनएसएस की छात्राओं ने पर्यावरण की रक्षा दुनिया की सुरक्षा, सब रोगों की एक दवाई घर में रखें साफ सफाई, पेड़ लगाओ प्रदूषण भगाओ, पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें आदि नारे लगाते हुए गांव वासियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। द्वितीय सत्र में इस्कॉन मंदिर गाजियाबाद से पधारे संत विष्णु गौर दास ने छात्राओं को राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।

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रहस्यः भीतरगांव में सिलसिलेवार हुई सात मौतें, हो गया अंतिम संस्कार

⇒सभी ने कहा यह प्राकृतिक मौतें, परंतु पोस्टमार्टम के बिना कैसे सुलझेगी गुत्थी.?
⇒स्वास्थ्य विभाग ने गांव में डाला डेरा प्रशासन भी मौजूद , दहशत में गांव के ग्रामीण
पवन कुमार गुप्ता: रायबरेली। जिले के गुरूबख्शगंज थाना क्षेत्र में सिलसिलेवार हुई 6 मौतों की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है। अब इसकी जांच के लिए जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की टीमों को भीतर गांव में तैनात कर दिया है और जांच शुरू हो गई है, फिलहाल सीएमओ वीरेंद्र कुमार सहित क्षेत्र के संभ्रांत नागरिकों का कहना है कि यह सभी प्राकृतिक मृत्यु है। क्योंकि एक युवक को छोड़कर ज्यादातर मरने वालों की उम्र 60 साल से अधिक की बताई जा रही है, जो कि किसी न किसी बीमारी से ग्रसित थे। जबकि ग्रामीणों की मानें तो अचानक तबीयत बिगड़ने पर यह सभी मौतें हार्ट अटैक से बताई जा रही हैं। अब इन कही सुनी जाने वाली बातों में कितनी सच्चाई है, यह प्रशासन कैसे उजागर करेगा क्योंकि ज्यादातर लोगों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है।

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