Saturday, May 3, 2025
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आत्मनिर्भरता से पहले जागरूकता की जरूरत

आज देश में आत्मनिर्भरता की मुहिम जो चल रही है वह अपने आप में एक उत्कृष्ट पहल है जिसे बहुत पहले ही चलाया जाना चाहिए था। जब स्थितियां सामान्य थीं लोगों का अर्थतंत्र गतिशील था लोग आत्मनिर्भरता को हासिल करने में सक्षम थे तब यह मुहिम शायद काफी ज्यादा प्रभावी होती मगर आज देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व इस कोरोना महामारी की चपेट में है और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था चरमाराई हुई है लोगों के रोजगार छिन गए हैं लोग भूखे-प्यासे दर-दर भटक रहे हैं निम्न व मध्यमवर्गीय लोगों में तो इतनी भी क्षमता नहीं कि वो खुद को ही संभाल सकें ऐसे में आत्मनिर्भरता की बात तो बेमानी होगी।
इस आत्मनिर्भरता की रोटी को थाली में परोसने से पहले उसे इस रोटी को खाने के तरीके से अवगत कराया जाना चाहिए था क्योंकि बिना जागरूकता के कोई भी अभियान का सफल होना नामुमकिन है। जागरूकता किसी भी अभियान के लिए वह संजीवनी बूटी है जो शून्यावस्था के अभियान को एकजुट होकर शिखर पर पहुंचा देती है।

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विकास का आधार स्तंभ प्रवासी श्रमिकों का पलायन

कोरोना का कहर पूरे विश्व में छाया है कोरोना को फैलाव को रोकने के लिए सरकार सम्पूर्ण भारत मे लॉकडाउन कर रखा है जिससें पूरा देश
थम गया है सभी गतिविधियां बंद है हवाई, रेलवें, सड़क यातायात बंद है सभी शहरों व गांवों की सड़कें और गलियां सुनी पड़ी हैं। जो जहाँ है वो वही ठहर गया सभी देशवासी अपने घरों में कैद जीवन को जी रहे है सरकार ने मुलभूत आवश्यकओं के लिए राशन, दवाई आदि की दुकानों को सोसल डिसटेंस के साथ खोलने और होम डिलीवरी की सुविधा दी है।
लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो शहरों में दिहाड़ी कर शाम को अपने तथा अपने परिवार की रोटी का जुगाड़ करता था वह कहां? जाए। इन प्रवासी मजदूरों की जेब में न तो पैसे हैं और न ही खाने के लिए घर में राशन घर में बैठकर कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए कोई विकल्प नहीं है। लॉकडाउन के कारण सारा कामकाज ठप है। व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। दिहाड़ीदार मजदूर जो छोटे-मोटे उद्योगों, दुकानों व ढाबों पर कार्य करते थे उनके पास भी कुछ करने को नहीं है। उनके पास काम नहीं तो पैसा नही खाने के लाले उपर कमरे के किराए के लिए प्रेशर भूखे और बदहाली में कोरोना, संक्रमण और जमा पूंजी के खत्म होने के साथ मौत के काउंडाउन के बीच अपने भूख प्यास से बिलखते परिवार की जान की सुरक्षा और भविष्य की चिंता और हालात से मजबूर जाएं तो जाएं कहां! चूंकि लॉकडाउन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है इससे प्रवासी मजदूरों मे अनिश्चितता के डर और घबराहट की स्थिति में शहरों से पलायन कर अपने घर-गांव वापस जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

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पंखा रिपेयरिंग को लेकर पिता पुत्र को पीटा

सासनी/हाथरस, जन सामना संवाददाता। कस्बा में पंखा रिपेयरिंग को लेकर दुकानदार और ग्राहकों में जमकर मारपीट हो गई। दुकानदार ने पंखा ठीक कराने आए पिता पुत्र का पीट दिया। जिसकी शिकायत पीडित ने कोतवाली में की है।
गांव नगला केहरिया निवासी जितेन्द्र पुत्र गिर्राज सिंह ने कस्बा के एक दुकानदार से दो वर्ष की गारंटी वाला छत का पंखा खरीदा था। वह पंखा समय से पूर्व ही खराब हो गयां तो इसे लेकर पिता पुत्र उक्त दुकानदार के पास आए और पंखा समय से पूर्व खराब होने की शिकायत की। जिसे लेकर दुाकनदान ने जितेन्द्र से कंपनी को सीधे फोन करने को कहा और कहा कि कंपनी से ही उसका पंखा ठीक होगा या बदला जाएगा। इस पर जितेन्द्र और उसका पिता बौखला गये और दुकानदार से मारपीट करने पर आमादा हो गये। उधर दुकानदार भी कहां कम पडने वाला था। देखते-ही देखते दोनों ओर से लात घंूसे चलने लगे। जिसमें पिता पुत्र को चोटें भी आई। घटना के दौरान बाजार में लोगांे की भीड जुट गई। लोगों ने दोंनों को समझा बुझाकर शांत किया। मगर जितेन्द्र और उसके पिता गिर्राज का गुस्सा कहां शांत होने वाला था दोनों कोतवाली पहुंच गये और दुकानदार के खिलाफ कोवाली में मारपीट करने तथा पंखा न बदलने की तहरीर दी है।

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कार ट्रक भिडे़ कार सवार घायल

सासनी/हाथरस, जन सामना संवाददाता। आगरा अलीगढ़ राजमार्ग पर गांव समामई के निकट नागपुर से पिलखना जा रहा एक ट्रक अलीगढ़ से आ रही कार से टकरा गया। दुर्घटना में कार क्षतिग्रस्त हो गई। तथा कार सवार गम्भीर रूप से घायल हो गए। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंच गई। घायलों को पुलिस ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भर्ती कराया है।
शनिवार की देर शाम जिला धौलपुर के गांव मनियां निवासी राहुल पुत्र मुरारी लाल ट्रक पर चालक है। तथा रवी कुमार पुत्र भूरे लाल परिचालक के रूप में काम करता है। शनिवार की देर शाम चालक ट्रक में पशुओं का चारा खल लाद कर नागपुर से पिलखुआ जा रहा था तथा तरूण पुत्र राजेश कुमार व आशीष कुमार पुत्र ऋषि कुमार निवासी नगला डांडा थाना हाथरस जंक्शन कार द्वारा अलीगढ़ से हाथरस की ओर आ रहे थे। जैसे ही दोनो वाहन गांव समामई के निकट पहुंचे वैसे ही कार ट्रक से टकरा गई। जिसमें कार में बैठे दोनो लोग घायल हो गए। टक्कर होने से हुई आवाज तथा कार में फंसे लोगों की चीख पुकार सुनकर मौके पर ग्रामीणों तथा राहगीरों की भीड़ जमा हो गई। सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने लोगों की मदद से घायलों को उपचार के लिए सीएचसी भिजवाया जहां उनका उपचार किया गया। पुलिस ने क्षतिग्रस्त वाहनों को कब्जे में ले लिया है। समाचार लिखे जाने तक घटना की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी।

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धर्मगुरूओं और ढाबा होटल संचालकों को सिखाया सोशल डिस्टेंस का पाठ

सासनी/हाथरस, जन सामना संवाददाता। चीन से उछलकर भारत में दस्तक देने वाले विस्फोटक टच वायरस कोरोना से पूरी दुनियां आहत है। वहीं सरकार ने लाॅक डाउन कर देश में लाखों लोगों को असमय काल के गाल में जाने से बचाया है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाॅक डाउन कर आपात स्थिति को लागू कर वायरस पर काफी हद तक कंट्रोल कराया है। लाॅक डाउन या हाॅटस्पाॅट स्थिति से लोगों को परेशानी तो हुई मगर असमय काल के गाल में जाने के खतरे से बचना सहायक हुआ है। वहीं अनलाॅक-1 के तहत कोतवाली परिसर में धार्मिक स्थलों और ढाबा तथा होटल रेस्टोरेंट आदि को लेकर एसडीएम ने धर्मगुरूओं तथा ढाबा एवं होटल संचालकों के साथ एक आवश्यक बैठक आहूत कर उन्हें कोरोना से बचने के उपाय और सोशल डिस्टेंस के बारे में जानकारी दी।

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अब रोजाना वक़्त की आवाज रेडियो स्टेशन में सुनिए कोरोना गाथा

कानपुर देहात, जितेन्द्र कुमार। कानपुर देहात का एक मात्र सामुदायिक रेडियो वक्त की आवाज़ 91.2 ऍफ़ एम कल से एलपीसी के सहयोग से शुरू कर रहा है एक नया कोरोना जागरूकता कार्यक्रम “कोरोना गाथा”। कार्यक्रम कोरोना गाथा सप्ताह से सातो दिन प्रसारित किया जाएगा, जिसका प्रसारण सोमवार को 12.20 मिनट दोपहर में और बाकी दिनों में शाम के 7.05 मिनट पर पुनः प्रसारण होगा। सामुदायिक रेडियो की कोआर्डिनेटर राधा शुक्ला बताती है कि कोरोना गाथा कार्यक्रम में हम शामिल करेंगे। अपने सरकारी चिकित्सकों को धर्म गुरुओं को, समुदाय के लोगो को, साथ ही हमारे प्रशासनिक अधिकारियों को। कोरोना गाथा में सामुदायिक रेडियो वक़्त की अवाज़ के श्रोता जानेंगे कि कोरोना वायरस कैसे एक दूसरे से फैलता है।

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देश में शीघ्र बने पत्रकार सुरक्षा कानून:- शास्त्री

मीडिया काउंसिल एवं मीडिया कमीशन बनाए सरकार
ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने पत्रकारों के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग उठाई शास्त्री जी ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एसोसिएशन लंबे समय से मांग उठाता चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की मांग को देशभर में दौरा करके और तेज किया जाएगा और साथ ही देश भर में मीडियाकर्मियों की सुरक्षा आदि के लिए मीडिया काउंसिल व मीडिया कमीशन का गठन की मांग को लेकर एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही भारत सरकार को ज्ञापन सौपेगा।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एसोसिएशन के देश व प्रदेश एवं जिलों के पदाधिकारी अपने-अपने जनपदों में हर जनप्रतिनिधियों से पत्रकार सुरक्षा कानून और काउंसिल व कमीशन के गठन की मांग को लेकर भारत सरकार को पत्र लिखवाकर सबको एक साथ ज्ञापन के रूप में सौंपा जाएगा। एसोसिएशन पत्रकारों के विभिन्न समस्याओं को लेकर जरिए रजिस्ट्री आदि के माध्यम से सरकार से मांग करता चला आ रहा है।
साथ ही श्री शास्त्री ने कहा है कि पत्रकारों पर किसी भी प्रकार का उत्पीड़न बहुत ही निंदनीय है और चौथे स्तंभ को कमजोर करने की बहुत बड़ी साजिश है।

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कच्ची बस्ती अंजान शहर न कोई माई न कोई बाप

कानपुर नगर, अर्पण कश्यप। शहर जहाॅ लोग दूर दराज से रोजी रोटी कमाने आये थे पर जरूरतों ने वापस न जाने दिया। जिन्होने तह जिन्दगी अपने परिवार से दूर एक अलग दुुनिया बसा ली और शहर में छोटे स्तर पर काम काज को अपनी दिनचर्या बना ली और अपनी एक अलग दुनिया बनाई जिसे आम शहरी जन कच्ची बस्ती मढैया व मलिन बस्ती के नाम से जानते हैं। जो कि छोटे मोटे धंधे कर लोगों तक जरूरत की चीजे बेच कर अपनी जीविका चलाते हैं। पर क्या क्षेत्रीय नेता या अधिकारी इन्हे मुंह लगाते हैं। नहीं बल्कि ये इनका शोषण करते अवैध रूप से रहने के कारण ये लोग मूलभूत सुविधाओं से इनका दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं होता हैं। फिर भी ये जिन्दगी बसर करते हैं। कानपुर के बर्रा क्षेत्र में ऐसे अनगिनत परिवार रहते हैं। जो सरकार के वोटर तो हैं।

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बारा देवी मंदिर को किया गया सैनिटाइज

कानपुर नगर, धर्मेन्द्र रावत। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते करीब 75 दिन से बंद कानपुर के दक्षिण में स्थित बारा देवी मंदिर को किया गया सैनिटाइज मंदिर में प्रसाद वितरण नहीं होगा, सभाओं पर जारी रहेगा प्रतिबंध, मूर्ति या पवित्र ग्रंथ को छूने की नहीं होगी अनुमति सोशल डिस्टेंसिंग, फेस कवर लगा कर आना अनिवार्य, मंदिर में प्रवेश से पहले सैनिटाइजर का प्रयोग और इंफ्रारेड थर्मा मीटर से स्कैनिंग करानी होगी। जिनमे कोरोना के किसी तरह के लक्षण मिलते हैं उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। धार्मिक स्थलों में प्रवेश और निकास की व्यवस्था अलग-अलग द्वार से की जाएगी। रिकार्डेड भक्ति संगीत और गाने बजाए नहीं जा सकते हैं। परिसर में शौचालयों और हाथ पैर धोने के स्थानों पर स्वच्छता के विशेष प्रबंध किये गये मंदिरों में सेनेटाइजर का प्रयोग करने की व्यवस्था की जा रही है। इसके बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। ताकि मंदिर परिसर कोरोना वायरस का वाहक न बन सके।

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कोतवाली के अंदर बिना मास्क के कार्य करते लोग, पुलिस बनी मूकदर्शक

शिवली/कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। जहाँ एक ओर सरकार कोरोना को लेकर ठोस कदम उठा रही है वही शिवली कोतवाली के अंदर कराए जा रहे निर्माण कार्य एवं परिसर की सफाई में बिना मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद भी कोतवाली परिसर में लोग बिना सोशल डिस्टेंसिंग के कार्य करते देखे गए वही किसी ने मास्क का इस्तेमाल करना उचित नही समझा। दूसरों को नियम का पाठ पढ़ाने वाले खुद ही नियमो की धज्जियां उड़वाते देखे जा रहे जबकि सरकार ने गाइडलाइन में साफ तौर पर मास्क पहनना ओर सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए अपील कर रही है। वही कोतवाली शिवली में नियमो को धता बताकर जान जोखिम में डलवाकर कार्य को कराया जा रहा है। आखिर किसी को किसी तरह की समस्या होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ये सवाल खड़ा हो गया है कि इतनी बड़ी चूक आखिर क्यों कि जा रही इसका जिम्मेदार कौन है?

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