फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। सुहागिनों के पावन पर्व करवाचौथ के अवसर पर पंजाबी एसोसिएशन द्वारा सामूहिक पूजन का आयोजन पंजाबी धर्मशाला आर्य नगर में किया गया। सुहागिनों ने एक साथ पूजन कर अपने सुहाग की लंबी आयु की प्रार्थना की।
सनातन धर्म मंदिर आर्यनगर के महंत त्रिभुवन कुमार श्रीमाली ने करवाचौथ के पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक साहूकार के सात बेटे और एक बहन करवा थी। सभी भाईयों उससे बहुत प्यार करते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। सभी भाई खाना खाने बैठते और बहन से खाने का आग्रह किया। लेकिन बहन ने कहा कि आज मेरा करवाचौथ का व्रत है। वह चंद्रमा को अर्ध्य देकर व्रत पूर्ण करेंगी तभी खाना खाएंगी। छोटा भाई से बहन की हालत देखी नहीं गई और वह पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है और कहता है कि चंद्रमा निकल आया है। तुम अर्ध्य देकर व्रत पूर्ण कर लो। और वह चंद्रमा को अर्ध्य देकर जैसे ही खाने का पहला निवाला तोडकर मुॅह में डालती है, तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है जो उसमें बाल निकल आता है। जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसेे पति की मृत्युु का समाचार मिलता है। उसकी भाभी उसे सारी सच्चाई बता देती है और सच्चाई जानने के बाद वह निश्चय करती है वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अगले करवाचौथ का व्रत रखेगी। एक वर्ष बाद करवा, करवाचौथ का व्रत रखती है और माता के आर्शीवाद से उसका पति जीवित हो जाता है। प्रथम बार करवाचौथ बनाने वाली नवविवाहितों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान डॉ श्रवण कुमार अरोरा, हरिओम अरोरा, नरेश अरोरा, राकेश तुली, सुनील खरबंदा, अजीत अरोरा, विनय नरूला आदि मौजूद रहे।