⇒दरें कम करने के अलावा विभिन्न समस्यायें रहीं शामिल
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। इनकम टैक्स ट्रेड टैक्स बार एसोसियेशन फिरोजाबाद के डायरेक्टर कुलदीप मित्तल एडवोकेट ने व्यापारी व अधिवक्ता हित में जी एस टी दरें कम करने व बिभिन्न समस्याओं के निस्तारण हेतु जी एस टी काउंसिल को ई मेल द्वारा 11 सूत्रीय ज्ञापनपत्र भेजकर मांग की गई कि जी.एस.टी. का और अधिक सरलीकरण किया जाये।
प्रथम प्रमुख बिन्दु उठाते हुये लिखा है कि जी.एस.टी. के सरलीकरण हेतु ठोस कदम उठायें जायें, जैसे तीन तरह के कर एस.जी.एस.टी., सी.जी.एस.टी. व आई.जी.एस.टी. को समाप्त करके एक ही तरह का जी.एस.टी. लागू किया जाये, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार अपना अपना शेयर तय कर लें तो आमजन को तीन तीन जगह कर जमा करने की परेशानी से भारी राहत मिल जायेगी। द्वितीय बिन्दु में कहा है कि काउंसिल की पिछली बैठक में डेढ़ करोड़ से कम बिक्री वाले व्यापारियों के लिये त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अभी तक पोर्टल पर अभी तक इस संबध में काई व्यवस्था निर्धारित नही की गई है। तृतीय बिन्दु में कहा है कि जी. एस. टी. पंजीयन हेतु सर्वेक्षण न करने व ई वे बिल फिलहाल चालू न करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन उ0 प्र0 में दोनों ही कार्य चालू कर दिये गये है जिन्हें जनहित में समाप्त किया जाये। चतुर्थ बिन्दु में कहा है कि एकल स्वामित्व वाली फर्मों के पंजीयन को साझीदारी फर्म में कन्वर्ट करने हेतु अथवा साझीदार वाली फर्मों को एकल स्वामित्व में परिवर्तन करने हेतु पूर्व की तरह पंजीयन संशोधन की अनुमति प्रदान की जाये। अगले बिन्दु में कहा है कि एकल स्वामित्व वाली फर्मों के पंजीयन प्रमाणपत्र पर फर्म स्वामी के नाम के साथ साथ फर्म का नाम भी लिखा जाना चाहिये। क्योंकि एक ही नाम की दो या अधिक फर्में होने से कभी कभी टैक्स या रिटर्न गलत भर जाता है, और फर्म के नाम से बैंक खाता खोलने व फर्म का साक्ष्य देने में दिक्कतें आ रही है। छटवें बिन्दु में कहा है कि जी.एस.टी. में सरलीकरण हेतु सभी वस्तुओं पर करदेयता चरणवद्ध रुप से एकसमान निर्धारित की जाये जो 10 प्रतिशत से कम ही हो। फिलहाल 28 प्रतिशत वाली कर की दर पूरी तरह से समाप्त की जाये। अगले बिन्दु में लिखा है कि केवल सबमिट वाले ही नही बल्कि पूर्व की तरह प्रत्येक रिटर्न को रिवाइज्ड किये जाने का प्राविधान बनाया जाना चाहिये, चाहे इसकी कोई समय सीमा भले ही निर्धारित कर दी जाये। आठवें बिन्दु में कहा है कि जानवूझकर या भूलवश जमा जी.एस.टी. लेट फीस या पेनल्टी को सभी तरह के कर में समायोजित करने के प्रावधान की महती आवश्यकता है। नवमें बिन्दु में कहा है कि जब तक पोर्टल पूरी तरह से कार्य नही करता तब तक किसी भी तरह की पेनल्टी या लेट फीस से छूट प्रदान की जानी चाहिये। अभी तो रिटर्न दाखिल के अंतिम दिनों में पोर्टल धीमा चलने या कभी नही भी चलने की शिकायते हर माह मिलती ही रहती है।दशवें बिन्दु में कहा है कि समाधान वाले व्यापारियों का कर घटाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन निर्माता व्यापारियों का 2 प्रतिशत से 1 प्रतिशत कर दिया गया परंतु ट्रेडिंग वालों का 1 प्रतिशत से घटाकर आधा प्रतिशत अभी तक नहीं किया गया है जो अबिलंब किया जाये। अंतिम बिन्दु में कहा है कि जी.एस.टी. में कराये गये नये पंजीयन वालांे का व्यापार यदि किसी कारणवश बंद हो जाता है तो उस फर्म को बंद किये जाने की पोर्टल पर कोई व्यवस्था नही है जो व्यापारी हित में बहुत जरुरी है। ज्ञापनपत्र की प्रति काउंसिल के सचिव के साथ साथ अतिरिक्त सचिव, कमिश्नर, असिसटेंट कमिश्नर को भी भेजकर आगामी बैठक में शामिल करने की मांग की गई है।